Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पाकिस्तान की गणेश चतुर्थी देखी है कभी

हमें फॉलो करें पाकिस्तान की गणेश चतुर्थी देखी है कभी
, बुधवार, 19 सितम्बर 2018 (12:27 IST)
- शुमाइला जाफरी (कराची से)
 
कराची के क्लिफ़टन इलाक़े में एक छोटा-सा अपार्टमेंट है, जहां इन दिनों जश्न का माहौल है। अपार्टमेंट देव आनंद संदिकर नाम के व्यक्ति का है, जो पाकिस्तान की 'महाराष्ट्र पंचायत' के मुखिया हैं। यह पाकिस्तान में रह रहे मराठियों का समुदाय है, जिनकी संख्या बहुत कम है।
 
 
अपार्टमेंट में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है। रंग-बिरंगी साड़ियों और सोने के गहने पहने ये महिलाएं ज़मीन पर बैठ कर मोदक बना रही हैं। ये मोदक उनके सबसे प्रिय त्योहार गणेश चतुर्थी के लिए तैयार किए गए हैं।

webdunia
देव आनंद की पत्नी मलका कहती हैं, "भगवान गणेश के भोग के लिए हम लोगों ने कई पकवान बनाए हैं, पर मोदक उनका सबसे प्रिय है।" "इसे पारंपरिक तौर पर चावल के आटे, नारियल, गुड़ और सूजी से तैयार किया जाता है। लेकिन आज इसमें कई प्रयोग किए जा रहे हैं। जैसे चॉकलेट मोदक, वनीला फ़्लेवर मोदक आदि..."
 
 
भारत से मंगवाई जाती हैं मूर्तियां
मलका ने घर को बेहद ख़ूबसूरती से सजाया है। एक ख़ास खूशबू से लोगों का स्वागत किया जा रहा है। त्योहार के पहले देव आनंद थोड़े परेशान थे। कुछ साल पहले तक वो भगवान गणेश की मूर्ति दुबई के रास्ते भारत से मंगवाते थे।

webdunia
वो कहते हैं, "मूर्ति हम लोगों के लिए बेहद ज़रूरी है। यह त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है। इसलिए हम चाहते हैं उनकी खूबसूरत से खूबसूरत मूर्ति मंगवाई जाए।" "हालांकि आसपास भी मूर्तियां बनाई जाती हैं, लेकिन इन मूर्तियों की फ़िनिसिंग वैसी नहीं होती जैसी भारत की होती है।"
 
 
रत्नेश्वर महादेव मंदिर में हुई पूजा
इस साल समय पर मूर्ति भारत से पाकिस्तान नहीं पहुंच पाई। देव आनंद ने फिर दुबई में रहने वाले भाई को अपनी परेशानी बताई। उनका भाई गणेश की मूर्ति लेकर खुद दुबई से पाकिस्तान पहुंचा।
 
 
मूर्ति के पहुंचने के बाद विधि-विधान से पूजा की शुरुआत हुई। भगवान गणेश पर मोदक और मोतीचूर के लड्डू चढ़ाए गए। इसके बाद समुदाय के लोग मूर्ति लेकर नाचते-गाते कराची के रत्नेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे। वहां मूर्ति की विधिवत स्थापना हुई।
 
webdunia
रत्नेश्वर महादेव मंदिर क्लिफ़टन इलाक़े में समुद्र के किनारे स्थित है। मान्यता है कि यह मंदिर सैंकड़ों साल पुराना है। गणेश चतुर्थी के दौरान मुख्य कार्यक्रम का आयोजन इसी मंदिर में होता है।

 
दूध-शहद से पूजा
देव आनंद कहते हैं, "हम लोग यहां करीब 500 की संख्या में जुटते हैं। मराठाओं के अलावा दूसरे हिंदू समुदाय के लोग भी जश्न में शामिल होते हैं। कोई भी इसमें शामिल हो सकता है, किसी तरह की रोक-टोक नहीं होती है।"

 
मंदिर के एक बड़े हॉल में गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। यहां के हॉल को भी ख़ूबसूरती से सजाया गया है, जहां शाम को सैंकड़ों लोग जुटते हैं। मंदिर के पुजारी महाराज रवि रमेश गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। उन पर कई तरह के फल-फूल चढ़ाए जाते हैं। उनकी दूध और शहद से अभिषेक किया जाता है।
 
webdunia
महाराज रवि रमेश कहते हैं, "हम हर साल इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। पूरे सिंध प्रांत से लोग यहां आते हैं।" जो भी लोग यहां आते हैं, सभी एक-एक कर गणेश की पूजा करते हैं। रातभर यह चलता रहता है।
 
 
अगले दिन शाम एक बार फिर यहां लोग जुटते हैं और गणेश की मूर्ति को सभी मिलकर अरब सागर में विसर्जित करते हैं। इस दौरान जयकारे लगाए जाते हैं, गीत गाए जाते हैं। लोग नाचते हैं और मूर्ति विसर्जन के बाद यह त्योहार ख़त्म हो जाता है।
 

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

यूरोप में घड़ी की सुइयों पर खींचतान