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मेट्रो की 'पेनिस सीट' जिस पर कोई नहीं बैठना चाहता

हमें फॉलो करें मेट्रो की 'पेनिस सीट' जिस पर कोई नहीं बैठना चाहता
, शुक्रवार, 31 मार्च 2017 (11:52 IST)
मेक्सिको सिटी मेट्रो में जब नई स्टाइल की सीट दिखी तो यात्री हैरान रह गए। यहां लगी 'पेनिस सीट' को अनुचित, असुविधाजनक, अपमानजनक और शर्मनाक कहा जा रहा है।
 
सीट पर ढाला गया 'पेनिस' का आकार, असल में महिला यात्रियों के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। संदेश में लिखा है, "यहां बैठना असुविधाजनक है, लेकिन यह उसके मुकाबले कुछ नहीं जो महिलाएं अपनी रोज़ाना यात्रा के दौरान झेलती हैं।"
 
सीट पर बनी आकृति स्थायी नहीं है बल्कि एक अभियान #नोएसडीहोमब्रेस का हिस्सा है, जिसका मक़सद सार्वजनिक परिवहन के दौरान होने वाले यौन उत्पीड़न की ओर ध्यान खींचना है। लेकिन इस अभियान को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
 
जागरूकता फैलाने के लिए अभियान : यूट्यूब पर जारी किए गए वीडियो में दिखता है कि लोग बैठने के बाद उछल कर खड़े हो जाते हैं। पिछले दस दिनों में इसे सात लाख बार देखा गया है। कुछ लोगों ने इस आइडिया की तारीफ़ की है जबकि अन्य लोगों ने इसे 'लैंगिक भेदभाव' बताया है।
 
'जेंडेज़', मेक्सिको की एक संस्था है जो यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ जागरूकता और बराबरी बढ़ाने के लिए पुरुषों के साथ मिलकर काम करती है।
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उनके रिसर्च प्रोग्राम का नेतृत्व करने वाले रेने लोपेज़ पेरेज़ ने इस अभियान की तारीफ़ की है। लेकिन उन्होंने एहतियात बरतने की भी सलाह दी है, "यह बहुत अहम है कि सभी पुरुषों को महिलाओं के ख़िलाफ़ संभावित हमलावर के रूप में चित्रित न किया जाए।"
 
अमेरिकी वेबसाइट 'स्टॉप स्ट्रीट हरासमेंट' की संस्थापक हॉली कीर्ल का कहना है कि आम तौर पर किसी बदलाव का सारा भार महिलाओं पर ही थोप दिया जाता है। महिलाओं की सुरक्षा के मामले में मेक्सिको सिटी का सार्वजनिक परिवहन लंबे समय से बदनाम रहा है।
 
2014 में ब्रिटेन की एक सर्वे कंपनी यूगो ने सार्वजनिक परिवहन को लेकर दुनिया भर में एक सर्वे किया था, जिसमें मेक्सिको सिटी मेट्रो को सबसे बुरा वोट किया गया था। छवि सुधारने के लिए यहां कई उपाय किए गए मसलन, ट्रेनों में महिलाओं के लिए अलग डिब्बा, महिलाओं के लिए अलग बस आदि।
 
लेकिन पिछले साल शहर के मेयर ने महिलाओं को सीटी देने की घोषणा की थी, ताकि उत्पीड़न के समय वो चेतावनी दे सकें। इस पर काफी विवाद हुआ था। मेक्सिको के एक पत्रकार ने ट्वीट किया, "अगर चिल्लाने से मदद नहीं मिल सकती तो इससे कैसे मदद मिलेगी?"

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