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बाइडन के कारण क्वॉड समिट रद्द होने के मायने जानिए

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BBC Hindi

, गुरुवार, 18 मई 2023 (07:54 IST)
कीर्ति दुबे, बीबीसी संवाददाता
Quad Summit cancles due to biden : ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने बताया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) का ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द होने के बाद सिडनी में होने वाली क्वॉड की बैठक रद्द कर दी गई है। बाइडन ने अपना दौरा अमेरिका में चल रहे आर्थिक संकट को देखते हुए लिया है।
 
मंगलवार की देर रात तक पीएम अल्बनीज़ को उम्मीद थी कि भारत, जापान के नेताओं और अमेरिका के प्रतिनिधि के साथ क्वॉड की ये बैठक होगी लेकिन फिर बुधवार सुबह अल्बनीज़ ने एलान किया कि क्वॉड की बैठक रद्द की जा रही है।
 
24 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाना था और क्वॉड सम्मेलन में हिस्सा लेना था, सिडनी पहुँचने से पहले बाइडन पापुआ न्यू गिनी में भी कुछ देर के लिए ठहरने वाले थे, ये पापुआ न्यू गिनी में किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति का पहला दौरा था।
 
लेकिन अब अमेरिका ने ये दौरा आनन-फ़ानन में रद्द कर दिया है। अब बाइडन का ऑस्ट्रेलिया दौरा कब होगा इस पर भी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
 
हालांकि बाइडन जापान में इस सप्ताहांत पर होने वाले जी7 समिट में शामिल होने के लिए हिरोशिमा जाएंगे। माना जा रहा है जी7 समिट के दौरान क्वॉड देश के सदस्य आपस में मिल सकते हैं।
 
एंथनी अल्बनीज़ ने कहा है, "क्वॉड हमारे लिए एक बेहद अहम समूह है। हम चाहते हैं कि सदस्य देशों के नेताओं की बैठक जारी रहे। इसे लेकर इस सप्ताहांत हम बातचीत करेंगे।"
 
अमेरिका के हाउस स्पीकर और रिपब्लिकन नेता केविन मैकार्थी ने अमेरिका के आर्थिक संकट के बीच जो बाइडन के जी7 सम्मेलन में हिस्सा लेने के फ़ैसले की आलोचना की है।
 
लेकिन सवाल ये है कि इस तरह जो बाइडन का दौरा रद्द होने के केंद्र में आख़िर क्या वजह है? अमेरिका में ऐसे क्या हालात पैदा हुए हैं, जिसके कारण बाइडन को ये दौरा रद्द करना पड़ा।
 
अमेरिका में आख़िर चल क्या रहा है?
अमेरिका के ट्रेज़री डिपार्टमेंट के मुताबिक़ अमेरिकी सरकार के पास एक जून के बाद फ़ंड ख़त्म हो जाएगा। जिसका मतलब है कि बूढ़े लोगों को पेंशन रुकेगी, सरकारी कर्मचारियों को वेतन मिलने में देरी होगी, सेना के लोगों को तनख्वाह मिलने में देरी होगी और साथ ही अमेरिका की ब्याज दरों में ज़बरदस्त उछाल आ सकता है।
 
राष्ट्रपति बाइडन के साथ रिपब्लिकन और डेमोक्रेट नेताओं की व्हाइट हाउस में मंगलवार को मुलाकात हुई। इस बैठक के बाद भी अब तक दोनों पक्षों के बीच ऐसी कोई डील पर नहीं पहुंचा जा सका है, जिससे एक जून तक देश की क्रेडिट लिमिट (कर्ज़ लेने की क्षमता) बढ़ाई जा सके।
 
केविन मैकार्थी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा था कि 'सप्ताह के अंत तक ये संभव है कि हम किसी डील पर पहुंच सकें।'
 
अमेरिकी सरकार इस साल 19 जनवरी को 31।4 ट्रिलियन के क़र्ज़ की सीमा पूरी कर चुकी थी और तब से लेकर ट्रेजरी विभाग तरह-तरह के अकाउंट के ज़रिए किसी तरह देश के तमाम बिलों का भुगतान कर रहा था।
 
अब अमेरिकी सरकार कई तरह के विकल्प पर विचार कर रही है, जिसकी मदद से इस संकट से निपटा जा सके।
 
जैसे- कोविड फंड को इस्तेमाल करना, अमेरिका में कई अरब डॉलर जिसे कोविड के दौरान लोगों के व्यापार और आर्थिक मदद के लिए आवंटित किया गया था उसका बड़ा हिस्सा अब भी इस्तेमाल नहीं हुआ है।
 
देश के खर्चे की सीमा तय करने और निजी ऊर्जा कंपनियों को अनुमति देने की प्रक्रिया तेज़ करना। ये वो विकल्प हैं, जिस पर अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य चर्चा कर रहे हैं।
 
क्वॉड का रद्द होना चीन की जीत?
लेकिन अमेरिका में जो कुछ हो रहा है, उसका असर ये हुआ है कि आने वाली क्वॉड की बैठक रद्द कर दी गई है। क्वॉड की बैठक का रद्द होना चीन के लिए कई लिहाज से बेहतर ख़बर है।
 
गार्डियन के विदेशी मामलों के संवाददाता डेनियल हर्स्ट ने लेख लिखा है, "बाइडन के ऑस्ट्रेलिया दौरा रद्द करने से जिसकी सबसे बड़ी जीत हुई है, वो है चीन। चीनी मीडिया में अमेरिका के लिए ये लिखा जा रहा है कि घरेलू राजनीति और आर्थिक संकट से जूझ रहा अमेरिका एक ऐसा साझेदार है, जिस पर निर्भर नहीं हुआ जा सकता और उसने फिर अपने साझेदारों को छोड़ दिया है। "
 
बाइडन सिडनी पहुँचने से पहले पापुआ न्यू गिनी का कुछ घंटों का दौरा करने वाले थे। चीन का पापुआ न्यू गिनी पर प्रभाव है। अमेरिका बाइडन के इस दौरे के ज़रिए ये संदेश देना चाहता था कि वह प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर कितना गंभीर है।
 
पापुआ न्यू गिनी के एक स्थानीय ब्लॉगर ने दावा किया है कि जो बाइडन की यात्रा को देखते हुए पापुआ न्यू गिनी ने सार्वजनिक अवकाश का एलान कर दिया था और अब अमेरिका ने ये दौरा ही रद्द कर दिया।
 
दिल्ली स्थित फ़ोर स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट में चीनी मामलों के विशेषज्ञ फ़ैसल अहमद कहते हैं, "क्वॉड के प्रभाव को पहले ही अमेरिका कम कर चुका है। क्वॉड को ग़ैर-पारंपरिक सिक्यॉरिटी पर केंद्रित कर दिया गया है। ग़ैर-पारंपरिक सिक्यॉरिटी का मतलब है- खाद्य सुरक्षा, हेल्थ-केयर सिक्यॉरिटी और ऊर्जा सुरक्षा। साल 2017 में जिस तरह क्वॉड को शुरू किया गया था, आज उस का मैनडेट ही वो नहीं रहा है। तो इससे चीन को कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।"
 
"हालांकि समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा जैसी चीज़ें अभी भी क्वॉड का हिस्सा हैं। लेकिन क्वॉड के पास कोई फ्रेमवर्क जैसी चीज़ नहीं है, जैसा कि चीन के पास है। चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव एक तय फ्रेमवर्क है जो आईपीईएफ के पास नहीं है। हाँ लेकिन चीन के लिए एक बेहतर बात यही है कि एक फोरम जिसे उस पर अंकुश लगाने के इरादे से बनाया गया है, उसकी बैठक रद्द हो गई।"
 
जो बाइडन का दौरा रद्द होने के बाद से बैठक में शामिल होने वाले हर पक्ष ने ये तो ज़रूर कहा है कि वह बाइडन की राजनीतिक कठिनाइयों को समझते हैं। लेकिन इस दौरे के रद्द होने से पीएम अल्बनीज़ को झटका तो लगा है।
 
ऑस्ट्रेलिया ने बीते अक्टूबर के बजट में 2।3 करोड़ डॉलर का बजट इस सम्मेलन का आयोजन करने के लिए आवंटित किया था।
 
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर स्वर्ण सिंह मानते हैं कि भले ही क्वॉड ग़ैर-पारंपरिक सुरक्षा वाला समूह है लेकिन हाल फ़िलहाल में क्वॉड के सदस्य देशों की गतिविधि ने चीन को कुछ हद तक चितिंत जो ज़रूर किया है। ऐसे में इसकी बैठक का रद्द होना चीन के लिए अच्छी ख़बर है।
 
स्वर्ण सिंह कहते हैं, "क्वॉड ग़ैर-पारंपरिक सुरक्षा समूह है, लेकिन ऐसा होने के पीछे सबसे बड़ी वजह भारत ही है, क्योंकि भारत नहीं चाहता था कि ये एक सिक्यॉरिटी फ़ोरम बन जाए। भारत की विदेश नीति ऐसी है कि वह बातचीत से मामले को सुलझाने में यक़ीन करता है। लेकिन बीते सप्ताह ही क्वॉड देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक हुई है। उससे पहले मालाबार में क्वॉड देशों और सिंगापुर के बीच एक नौसैनिक अभ्यास से इस बात के संकेत भी मिल रहे हैं कि भारत क्वॉड का अंदाज़ बदलने की दिशा की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में अगर क्वॉड की बैठक रद्द होती है तो ये चीन के लिए ये फ़ायदेमंद ही साबित होता है। "
 
अमेरिका का कितना बड़ा नुकसान
स्वर्ण सिंह कहते हैं कि अमेरिका के लिए बाइडन का ये दौरा रद्द होना उसके खिलाफ़ ही जाएगा। दुनिया भर में इतना दखल रखने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति को अगर आंतरिक कारणों से अपना दौरा रद्द करना पड़े तो बाक़ी देशों पर इसका ठीक संदेश नहीं जाता क्योंकि चीन में ऐसा देखने को नहीं मिलता।
 
वह कहते हैं, "जब अमेरिका में इस तरह की हलचल होती है और तो इससे दुनिया भर में ये संदेश तो जाता है कि अमेरिका जो दुनियाभर में अपना इतना दखल रखता है, उसके घर में हालात ऐसे हैं कि उन्हें अपना दौरा रद्द कर करना पड़ा रहा है।"
 
"अमेरिका की क्रेडिट क्षमता आसानी से बढ़ाई जा सकती है, वो ऐसा देश है कि उसे क़र्ज़ देने के लिए कई लोग तैयार हो जाएंगे लेकिन फिर भी इस साल वहां चुनाव को देखते हुए रिपब्लिकन बाइडन के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।"
 
अमेरिका में सभी देशों का बड़े स्तर पर निवेश है, 40 अरब डॉलर भारत का निवेश है, इसलिए वहां जब आर्थिक संकट की खबरें भी आती हैं तो दुनिया भर के देश सहम जाते हैं।
 
अमेरिका को न्यू पापुआ गिनी सिर्फ़ तीन घंटे के लिए ही जाना था, लेकिन उस चीन घंटे के लिए वो लंबे वक्त से तैयारी कर रहे थे। 18 प्रतिनिधियों से उनकी मुलाकात होनी थी। ये पहली बार था जब अमेरिका का कोई राष्ट्रपति पपुआ न्यू गिनी जा रहा था लेकिन अब वो भी रद्द हो गया है।
 
डेनियल हर्स्ट अपने लेख में कहते हैं कि अभी क्वॉड के भविष्य को लेकर कुछ कहना बहुत जल्दबाज़ी होगी। लेकिन क्वॉड का मकसद है कि वो चीन के बढ़ते प्रभुत्व और शक्ति के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाए लेकिन इस प्रोजेक्ट को एक 'टेम्परेरी धक्का' तो लगा है।

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