Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्यूबा: कौन हैं वो नेता जिन्होंने कास्त्रो से सत्ता ली है?

हमें फॉलो करें क्यूबा: कौन हैं वो नेता जिन्होंने कास्त्रो से सत्ता ली है?
, शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018 (12:39 IST)
क्यूबा के नेता राउल कास्त्रो ने 12 साल बाद सत्ता छोड़ दी है और अब देश की कमान मिगेल डियाज़ कनेल के हाथों में हैं। राउल ने 2006 में अपने भाई फ़िलेद कास्त्रो के बीमार होने के बाद सत्ता संभाली थीं। अब राउल कास्त्रो ने भी पद छोड़ दिया है।
 
ये क्यूबा में कास्त्रो युग का अंत है जो 1959 में फुलगेंचियो बतिस्ता को पद से हटाकर फिदले कास्त्रो के सत्ता संभालने के बाद शुरू हुआ था। साल 2013 में क्यूबा का उपराष्ट्रपति बनने से पहले तक मिगेल डियाज़ कनेल बहुत ज़्यादा चर्चित नहीं थे। लेकिन उसके बाद से वो राउल कास्त्रो का दाहिना हाथ बन गए थे।
 
बीते पांच सालों से उन्हें देश के राष्ट्रपति का पद संभालने के लिए ही तैयार किया जा रहा था। लेकिन देश का पहला उपराष्ट्रपति बनने से पहले भी मिगेल डियाज़ कनेल के पास राजनीति का लंबा अनुभव था। वो अप्रैल 1960 में पैदा हुए थे। इससे एक साल से कुछ अधिक पहले ही फिदेल कास्त्रो देश के प्रधानमंत्री बने थे।
 
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले कनेल कॉलेज के दिनों में ही सांता क्लारा की यंग कम्यूनिस्ट लीग से जुड़ गए थे और राजनीति में सक्रिय हो गए थे। क्यूबा की क्रांति की अंतिम लड़ाई सांता क्लारा में ही हुई थी और इसी शहर में आज भी चे ग्वेरा का मकबरा है।
 
2013 में बने उपराष्ट्रपति
उन्होंने अपने मूल प्रांत विला क्लारा में भी कम्यूनिस्ट पार्टी में अहम भूमिका निभाई थी। कहा जाता है कि उनके समय में विला क्लारा की प्रांतीय सरकार देश के अन्य इलाक़ों के मुकाबले में ज़्यादा स्वतंत्र थी।
 
स्थानीय लोगों के मुताबिक क्यूबा के अन्य इलाक़ों में जिन रॉक कंसर्ट पर बैन रहता था वो यहां आयोजित किए जाते थे। 1985 के बाद से सांता क्लारा शहर क्यूबा के सबसे चर्चित एलजीबीटी क्लबों में से एक के लिए भी जाना जाता है। इस क्लब के मालिक का कहना है कि ये क्लब नहीं बचता यदि इसे डियाज़ कनेल का समर्थन प्राप्त नहीं होता।
 
इस क्लब में हर उस 'अलग व्यक्ति' का ऐसे समय में स्वागत किया जाता था जब कम्यूनिस्ट क्यूबा के अन्य इलाक़ों में ऐसी आज़ादी नहीं थी।
 
डियाज़ प्रांतीय स्तर पर अच्छा काम कर रहे थे लेकिन कम्यूनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो में शामिल होने के लिए उन्हें दस और सालों का इंतज़ार करना पड़ा। साल 2009 में उन्हें देश का उच्च शिक्षा मंत्री चुना गया और अंततः साल 2013 में वो देश के पहले उपराष्ट्रपति बन गए।
 
बंधे रहेंगे हाथ?
उनके पीछे राष्ट्रपति राउल कास्त्रो खड़े थे जो उनकी वैचारिक मज़बूती और तेज़ प्रगति की प्रशंसा करते रहे थे।
 
राउल कास्त्रो ने जब उन्हें अपना नंबर दो नेता बनाया था तब उन्होंने कहा था कि डियाज़ के बारे में कहा था कि उनकी उभार अचानक नहीं हुआ है। ये उस पार्टी में डियाज़ के लिए प्रशंसा जैसा ही था जिसमें प्रभाव उन्हीं लोगों का था जो क्रांति में फिदेल कास्त्रो के साथ लड़े थे।
 
लेकिन भले ही डियाज़ कनेल को पांच सालों से राष्ट्रपति पद संभालने के लिए तैयार किया जा रहा था बावजूद इसके आज भी ये कहा मुश्किल है कि अहम मुद्दों पर वो कहां खड़े हैं।
 
विश्लेषकों का मानना है कि भले ही वो चीज़ों को बदलना चाहते हों लेकिन उनके हाथ बंधे हुए ही रहेंगे क्योंकि माना जा रहा है कि राउल कास्त्रो का राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद देश की सत्ता पर अभी भी बड़ा प्रभाव रहेगा।
 
राउल कास्त्रो साल 2021 तक कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रमुख बने रहेंगे और शायद वो डियाज़ कनेल को तब तक पूरी आज़ादी न दें जब तो इस बात को लेकर आश्वस्त न हो जाएं कि कास्त्रो बंधुओं ने जिस क्यूबा का निर्माण किया है उसकी कमान सही हाथों में है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नहीं, बीबीसी ने दुनिया के अंत की ख़बर नहीं दी