Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

'डेरा सच्चा सौदा में नपुंसक बना दिए गए' साधु की आपबीती

हमें फॉलो करें 'डेरा सच्चा सौदा में नपुंसक बना दिए गए' साधु की आपबीती
, बुधवार, 6 सितम्बर 2017 (11:39 IST)
- प्रभु दयाल (सिरसा से)
साध्वियों से दुराचार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद जेल में सज़ा काट रहे डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर साधुओं को नपुंसक बनाने का आरोप भी लगा था। साधुओं को गुमराह करके नपुंसक बनाने का यह केस पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
 
इस मामले को डेरा के पूर्व साधु हंसराज अदालत तक ले गए थे। उनका आरोप है कि डेरा प्रमुख ने क़रीब पांच सौ साधुओं को नपुंसक बन दिया जिनका जीवन आज नर्क बन गया है। बीसीसी से बातचीत में हंसराज बताते हैं कि डेरा प्रमुख ने साधुओं को नपुंसक बनाने से पहले एक घोड़े पर प्रयोग किया था।
 
उन्होंने कहा, "घोड़े पर एक्सपेरिमेंट करने के बाद पहले सीनियर और फिर जूनियर साधुओं को नपुंसक बनाया गया। यह काम बाबा के पैतृक गांव गुरुसर मोडिया के अस्पताल में हुआ।" हंसराज कहते हैं, "जब साधुओं की संख्या बढ़ गई तो सिरसा डेरा में 'सच कहूं' अख़बार के भवन की पहली मंज़िल पर अस्थायी अस्पताल बनाकर यह काम जारी रखा गया।"
 
मगर साधु इसके लिए तैयार कैसे हुए? 
इसके जवाब में हंसराज बताते हैं कि उन्हें भगवान की सिद्धि प्राप्ति और भक्तिमार्ग में मन लगने का झांसा दिया गया था। उन्होंने कहा, "साधुओं को नपुंसक बनाने से पहले काले रंग की टैबलेट और अमृतरस नाम का शर्बत पिलाया जाता था। इससे साधु बेहोश हो जाते थे और उनके गुप्तांग का ऑपरेशन करके नपुंसक बना दिया जाता था।"
 
डेरे के पूर्व साधु हंसराज बताते हैं कि नपुंसक बना दिए गए इन साधुओं को बाबा अपने परिवार के सदस्यों और अपनी गुफा की सुरक्षा में तैनात करते थे। उन्होंने कहा कि डेरा की सैकड़ों एकड़ भूमि इन साधुओं के नाम है, मगर उसकी पावर ऑफ़ अटॉर्नी बाबा ने अपने पास रखी हुई है।
 
ऐसे साधु बने थे हंसराज
हंसराज बताते हैं कि वह झांसे में आकर नपुंसक बन गए थे, मगर तीन दिन बाद ही उन्हें इस कदम पर पछतावा हआ था। वह बताते हैं, "मैंने सात साल बाद परिजनों को इस बारे में बताया। इससे वे हक्के-बक्के रह गए। मां बस्सो देवी बीमार हो गईं और चल बसीं। इस ग़म में पिता बल्लूराम भी दुनिया छोड़ गए।"
 
हंसराज ने बताते हैं कि उनके परिजनों ने उसका रिश्ता पंजाब के चांदू गांव में तय किया था। मगर डेरा प्रमुख ने उनके घर पहुंचकर साधु बनाने की पेशकश की। उन्होंने कहा, "पहले तो मेरे परिवार वाले इसके लिए तैयार नहीं हुए। फिर टोहाना के ही डेरा अनुयायियों के कहने पर मैंने ज़हर पीने का ड्रामा किया। मजबूर होकर उन्होंने इजाज़त दे दी और मैं डेरा जाकर साधु बन गया।"
 
"विरोध पर कर दी जाती थी हत्या"
हंसराज ने बताया कि ऐसे साधुओं को सत ब्रह्मचारी कहा जाता था। इन्हें डेरा के स्कूली बच्चों के हॉस्टल से बचा खाना परोसा जाता था।
वह बताते हैं, "अगर ये साधु किसी वजह से नाराज़ हो जाते तो बाबा उन्हें ख़ुद इस्तेमाल किए गए जूते, घड़ी या कप देकर खुश किया करता था। मगर कोई साधु अगर डेरे की किसी बात विरोध करता तो उसे डेरे में ही मारकर गुफा के पास बाग में लगी मोटर नंबर 4 के पास तड़के चार बजे जला दिया जाता था।"
 
हंसराज दावा करते हैं कि अगर कोई एजेंसी इसकी जांच करे तो मानव कंकाल भी मिल सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हॉस्टल में रह रही छात्राओं को भी मौत की नींद सुला दिया गया जिनका आज तक कोई पता नहीं चल पाया है।
 
"बना हुआ है जान को ख़तरा"
पूर्व साधु हंसराज ने बीबीसी को बताया कि साधुओं को नपुंसक बनाने का यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चल रहा है जिसकी अगली सुनवाई 25 अक्तूबर को होगी। साध्वियों के मामले में गुरमीत राम रहीम सिंह को सज़ा मिलने के बाद हंसराज को उम्मीद जगी है कि उनके केस में भी बाबा को सज़ा मिलेगी।
 
उन्होंने साध्वियों के यौन शोषण में मिली सज़ा को भी कम आंकते हुए फांसी की सज़ा की मांग की। मगर वह कहते हैं कि बेशक डेरा प्रमुख जेल में हों, मगर उनकी जान को ख़तरा बना हुआ है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रोहिंग्या मुस्लिमों की संख्या और समस्या, क्या करेगा भारत?