- एलिज़ाबेथ गारोन
नौकरीपेशा लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है, तनख़्वाह के लिए मोलतोल। नौकरी की तलाश करने वाला हर शख़्स इससे बचना चाहता है। अक्सर लोग इससे बचने के लिए जो भी सैलरी ऑफर होता है, वो मान लेते हैं।
2015 में हुए एक सर्वे के मुताबिक़ 38 फ़ीसद अमेरिकी ग्रेजुएट नौकरी में जो भी तनख़्वाह ऑफ़र होती है, वो मान लेते हैं। वैसे ऐसा करना गलत है। नौकरी देने वाली कंपनियां तनख़्वाह के लिए मोलभाव की गुंजाइश रखती हैं। जो लोग सैलरी के लिए मोलतोल नहीं करते, उनके बारे में कंपनियां अच्छी राय नहीं रखती हैं।
सवाल यह है कि नौकरी तलाशते वक़्त कैसे तय करें कि तनख़्वाह के मामले में मोलभाव भी अच्छे से हो जाए और आपको दिक्कत भी न हो। ऐसे लोगों के लिए तो यह जानना और भी जरूरी होता है, जो सौदेबाजी में कमजोर हैं। ये जरूरी इसलिए भी है कि काम का अच्छा पैसा मिलना आपका हक है। इसका आपके करियर पर भी फर्क पड़ता है। तो चलिए आपको बताते हैं तनख़्वाह के लिए सौदेबाज़ी के कुछ गुर:-
होम वर्क करके जाइए : इंटरव्यू के लिए जाने से पहले अच्छे से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए। जिस ओहदे के लिए आप इंटरव्यू देने जा रहे हैं, उसके लिए बाजार में औसत सैलरी कितनी है। दूसरी कंपनियां कैसा ऑफ़र देती हैं। इस बारे में ख़ूब अच्छे से जानकारी कर लेनी चाहिए। अपने दोस्तों, जानकारों से भी इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।
जिस कंपनी में आप इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं, वहां के किसी पुराने कर्मचारी से वास्ता हो तो उससे जरूर बात कर लें। ऐसे कर्मचारी ही आपको उस कंपनी में काम के माहौल से लेकर सैलरी तक को लेकर सबसे अच्छी सलाह देंगे।
दूसरा तरीका यह है कि जिसके जरिए नौकरी के लिए जा रहे हों, उससे भी इस बारे में बात करें। खासतौर से किसी रोजगार दिलाने वाली कंपनी के जरिए। ऐसी कंपनियों के पास, नौकरी देने वालों के बारे में खासी जानकारी होती है। तनख़्वाह को लेकर भी इन्हें अंदाज़ा रहता है। ऐसे में इन रोजगार मुहैया कराने वाली कंपनियों से बात करना भी मददगार हो सकता है।
अमेरिका के बोस्टन में ऐसी ही रोज़गार दिलाने वाली कंपनी चलाने वाले फ्रैंक जेंटाइल ने हमसे अपना तजुर्बा बांटा। वह कहते हैं कि कंपनियां, अक्सर उनसे साल की शुरुआत या आख़िर में अलग-अलग नौकरियों में चल रही सैलरी के बारे में पड़ताल करते हैं। ताकि अपने यहां नौकरी के लिए आने वालों से सौदेबाज़ी कर सकें।
अगर, ऐसी रोज़गार कंपनियों से आपका संपर्क नहीं, तो दूसरी कंपनियों में काम करने वालों से बात करके अपने ओहदे की ताज़ा सैलरी के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं। इस काम में लिंक्डइन जैसी वेबसाइट भी मददगार हो सकती हैं। हां, यह सावधानी ज़रूर बरतें कि जिस कंपनी में काम करने जा रहे हों, उसमें किसी सीनियर से ये सवाल-जवाब न करें।
कंपनी के बारे में जानकारी जुटाएं : जिस कंपनी में आप जा रहे हैं, वहां की सिर्फ़ सैलरी स्ट्रक्चर के बारे में जानकारी जुटाना काफ़ी नहीं होगा। वहां के काम के माहौल, जैसे ओवरटाइम, वीकेंड पर काम करने जैसी शर्तों के बारे में भी पता कर लें।
इसके पैसे अलग से मिलेंगे या फिर सैलरी में ही जुड़ा होगा, यह पता करना बहुत ज़रूरी है। फिर वह कंपनी बोनस देती है कि नहीं, सालाना सैलरी बढ़ाने का चलन वहां है कि नहीं। ये मालूमात भी ज़रूरी है। इन मामलों के एक जानकार, फ़िलिप गॉड कहते हैं कि अगर आप सैलरी के लिए अच्छी सौदेबाज़ी करना चाहते हैं, तो आपको उस कंपनी के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए। इसका इंटरव्यू लेने वाले पर बहुत अच्छा असर पड़ता है।
कंपनियां तीन बातों पर ज़ोर देती हैं। उम्मीदवार की क़ाबिलियत कितनी है। वो बाक़ी लोगों से किन मायनों में बेहतर है। साथ ही उसे रखना कंपनी के लिए फ़ायदे का सौदा होगा या आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
फ़िलिप गॉड कहते हैं कि कंपनी की तरह नौकरी की तलाशने वालों को भी अपनी क़ाबिलियत और पैसे मांगने की क्षमता का अहसास होना चाहिए। इसके बाद आप सीधे सवाल कीजिए कि बाज़ार के लिहाज़ से आप क्या ऑफ़र दे रहे हैं? या सैलरी के अलावा मुझे और किस मद में पैसे मिलेंगे। इसका फ़ायदा यह होगा कि सैलरी पर सीधे सौदेबाज़ी से आप बच जाएंगे।
स्मार्ट बनिए : आप अपने बारे में, कंपनी के बारे में जितने बेहतर तरीक़े से अपनी बात रखेंगे, वो आपके हक़ में जाएगा। इससे पहले कि इंटरव्यू लेने वाले आपको तनख़्वाह का ऑफ़र दें। आप अपनी उम्मीद के बारे में उन्हें बताएं। हालांकि सिर्फ़ तनख़्वाह का मसला न उठाएं।
आप बातचीत का फ़ोकस बाज़ार के चलन, अपनी क़ाबिलियत और काम अच्छे ढंग से करने की क्षमता पर ही रखें। साथ ही यह भी भरोसा दिलाने की कोशिश करें कि आप उस कंपनी में लंबी पारी खेलने के इरादे से आना चाह रहे हैं। अगर आप इंटरव्यू में अच्छा असर छोड़ने में कामयाब रहते हैं तो इससे आप सैलरी बढ़वाने में भी सफल रहेंगे।
अपना मोल बताइए : जब इंटरव्यू के लिए जाएं तो आप अपनी उपलब्धियों के हवाले से बात करें। किस तरह आपने पिछली कंपनी में अपने काम से पैसे बचाए। या नया सिस्टम डेवलप करके कंपनी की आमदनी बढ़ाई। अगर आप सेल्स टीम में हैं तो यह बता सकते हैं कि आपकी रणनीति की मदद से कैसे सेल्स टीम ने अपने टारगेट से 30 फ़ीसदी ज़्यादा बिज़नेस हासिल किया।
इन कामयाबियों की मदद से आप इंटरव्यू में अपनी अहमियत और उसका मोल सामने वालों को समझा सकते हैं। इससे सैलरी के लिए मोलभाव में काफ़ी मदद मिलती है। कंपनी को भी मालूम होगा कि आपको नौकरी पर रखकर उन्हें क्या फ़ायदा होने वाला है। इस तरह आप बेहतर तनख़्वाह भी हासिल कर सकते हैं, बिना सैलरी का ज़िक्र किए हुए।
पहले अपनी डिमांड मत रखिए : जानकार सलाह देते हैं कि कभी भी नौकरी के इंटरव्यू में पहले अपनी तनख़्वाह की उम्मीद नहीं बतानी चाहिए। कई बार होता यह है कि आप जो सैलरी मांगते हैं, कंपनी उससे ज़्यादा देने का मन बनाए होती है। ऐसे में अगर आपने पहले कम सैलरी की डिमांड कर दी तो नुक़सान आपको ही होगा। बेहतर होगा कि पहले कंपनी का ऑफ़र सुन-समझ लें।
जब आपसे पूछी जाए मौजूदा सैलरी : इंटरव्यू में अक्सर लोगों से उनकी मौजूदा तनख़्वाह पूछी जाती है। इसका सामना करने की आपकी तैयारी पूरी होनी चाहिए। एक्सपर्ट कहते हैं कि जैसे ही आपका इस सवाल से सामना हो, इसका सीधा जवाब देने से बचिए।
इसके बजाय आप कह सकते हैं कि मेरे ओहदे और क़ाबिलियत वाले लोगों को बाज़ार में फलां से फलां तक सैलरी मिल रही है। सैलरी की अपर लिमिट पर ही आपका ज़ोर होना चाहिए।
नौकरी क्यों बदलना चाहते हैं? : लोगों के नौकरी बदलने की अलग-अलग वजहें होती हैं। ब्रिटेन की करियर एक्सपर्ट लिन सेजविक इस बारे में बहुत सटीक सलाह देती हैं। वह कहती हैं कि अगर आप ज़्यादा पैसों के लिए नौकरी बदलना चाहते हैं तो सैलरी को लेकर जमकर सौदेबाज़ी करिए। ज़्यादा मांग रखने में भी हर्ज़ नहीं। हां, आप दिमाग़ में यह बात भी रखें कि कितनी कम सैलरी पर आप नौकरी बदलने को राज़ी हो जाएंगे।
मगर कई लोग बेहतर करियर, काम के अच्छे माहौल के लिए भी नौकरी बदलते हैं। ऐसे लोगों को सैलरी को लेकर सौदेबाज़ी पर बहुत ज़ोर नहीं देना चाहिए। इस नीयत से नौकरी तलाशने वालों को काम के माहौल के बारे में ही बात करनी चाहिए। अगर कम तनख़्वाह का ऑफ़र हो तो इंटरव्यू के दौरान अगले सैलरी रिव्यू के बारे में बात कर लें। जो कमी रह गई है, वो उस रिव्यू में पूरी होने की उम्मीद रहती है।