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एक महिला की दिल दहलाने वाली कहानी

हमें फॉलो करें एक महिला की दिल दहलाने वाली कहानी
, शनिवार, 12 अक्टूबर 2019 (16:40 IST)
-फ्रांसेस माओ, बीबीसी न्यूज़, सिडनी
गवाही देने वाले स्टैंड में उस दिन एक ही महिला मौजूद थी लेकिन इस महिला ने यौन उत्पीड़न में कितना कुछ झेला है उसके पक्ष में गवाही देने के लिए उसके अंदर से छह अलग-अलग लोग बाहर आए। जेनी हेंस ने बीबीसी को बताया, "मैं अदालत में गई और बैठी। मैंने शपथ ली और कुछ घंटों के बाद मैं अपने शरीर में लौटी और बाहर आई।"
 
चौंकिए नहीं, इस मामले को पूरे विस्तार से जानने की जरूरत है। एक बच्ची के तौर पर जेनी के साथ उसके पिता रिचर्ड हेंस ने लगातार बलात्कार किया और उसे प्रताड़ित किया। ऑस्ट्रेलिया पुलिस के मुताबिक यह देश के इतिहास का सबसे भयावह बाल उत्पीड़न का मामला है।
 
इस डर को झेलने के लिए जेनी के दिमाग ने एक असाधारण तरीका विकसित किया- दुख से खुद को दूर करने के लिए उसने नई पहचान गढ़नी शुरु की। उसके साथ होने वाला उत्पीड़न इतना भयावह और नियमित था कि जेनी के मुताबिक उसने कम से कम 2500 अलग-अलग व्यक्तियों की पहचान को गढ़ लिया।
 
मार्च में हुई ऐतिहासिक सुनवाई में जेनी अपने पिता के खिलाफ गवाही दे रही थी, इस दौरान वह अपने व्यक्तित्वों के सहारे अदालत में सबूत भी पेश कर रही थी, जिन पहचानों के साथ वह ऐसा कर रही थी उसमें एक चार साल की बच्ची सिम्फनी की पहचान भी शामिल थी।
 
इसे ऑस्ट्रेलिया ही नहीं बल्कि दुनिया का ऐसा पहला मामला माना जा रहा है जहां पीड़िता मल्टीपल पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर या डिसोशिएटिव आईडेंटी डिसऑर्डर की शिकार थी, लेकिन उसने अलग अलग पहचान के साथ गवाही दी और मामले में अभियुक्त को सजा भी सुनाई गई।
 
उसने बताया कि हम लोग डरे नहीं हैं। हमारे साथ उन्होंने क्या-क्या किया था, ये बताने के लिए हमने लंबा इंतजार किया था और अब वे हमें चुप नहीं करा सकते। "छह सितंबर को 74 साल के रिचर्ड हेंस को सिडनी की अदालत ने 45 साल के जेल की सजा सुनाई है।
 
चेतावनी- विवरण में हिंसक और बाल उत्पीड़न की सामाग्री आपको विचलित कर सकती है।
 
'सुरक्षित नहीं थी' : हेंस का परिवार लंदन के बेक्लेहीथ से 1974 में ऑस्ट्रेलिया पहुंचा था। जेनी तब चार साल की थी लेकिन उसके पिता ने उसका उत्पीड़न शुरू कर दिया था। सिडनी में पहुंचने के बाद वे हर दिन के हिसाब से क्रूरता के स्तर पर उत्पीड़न करने लगे थे।
 
जेनी ने मई में पीड़िता पर पड़ने वाले असर वाले बयान में अदालत को बताया था, "मेरे डैड सब सोच विचारकर मेरा उत्पीड़न किया करते थे, योजना बनाकर। वे जानबूझकर ऐसा करते और हर मिनट का आनंद उठाते थे।"
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उत्पीड़न की शिकार महिला के तौर पर जेनी चाहती थी तो खुद की पहचान जाहिर नहीं करने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया ताकि उनके पिता की पहचान जाहिर हो सके।
 
जेनी ने बताया, "मैं उनसे ये सब बंद करने की भीख मांगती थी, उन्होंने मुझे रोते हुए सुना, उन्होंने मेरा दर्द देखा, मैं जो आतंक महसूस कर रही थी वो देखा, उन्होंने खून देखा और मेरा शारीरिक नुकसान भी देखा। लेकिन अगले दिन वे ये सब फिर से करते थे।"
 
जेनी के मुताबिक, डैड ने इस तरह से मेरा ब्रेनवॉश किया था कि मुझे लगता था कि वे मेरा दिमाग भी पढ़ सकते हैं। उन्होंने जेनी को धमकाते हुए कहा था कि अगर उत्पीड़न के बारे में किसी को कहा तो दूर, सोचा भी तो मां, भाई और बहन को मार दूंगा।
 
जेनी बताती हैं, "डैड ने मेरे आंतरिक जीवन पर हमला किया था। मैं अपने दिमाग में भी सुरक्षित महसूस नहीं किया करती थी। मैं अब ये भी नहीं जांच कर सकती कि मुझे क्या हुआ था और मैं अपने निष्कर्ष भी नहीं बता सकती थी।" अपने विचारों को छुपाने के लिए वह गीतों की रचना किया करती थी। जब उसे भाई-बहनों की चिंता होती तो वह लिखती- वह भारी नहीं है, वह मेरा भाई है।
 
उस शख्स के उत्पीड़न के बारे में सोचती जिसका काम उसकी सुरक्षा करना था तो वह लिखती- क्या आप मुझे वाकई दुखी करना चाहते हैं, क्या आप मुझे वास्तव में रुलाना चाहते हैं।
 
जेनी के पिता ने स्कूल में भी उसकी सोशल गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी थी ताकि दूसरे वयस्कों से संपर्क कम हो। जेनी ने खुद को दबा छुपाकर चुप ही रखा। अगर उसकी तैराकी वाले कोच उसके पिता को ये कहते कि इसके नेचुरल टैलेंट को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है तो जेनी को ही सजा मिलती।
 
मारपीट और यौन उत्पीड़न के चलते जेनी को चोटें लगती थीं लेकिन उन्हें मेडिकल सुविधाओं भी वंचित रखा गया जिसके चलते आगे चलकर उन्हें गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
 
जेनी अब 49 साल की हो चुकी हैं। लेकिन उनकी आंखों की रोशनी, जबड़े, आंत, गुदा और गुदा की हड्डी सब इतने क्षतिग्रस्त हो चुके हैं कि ठीक नहीं हो सकते। हालांकि इन सबकी सर्जरी करवानी पड़ी। इसके अलावा जेनी को 2011 में कोलोस्टॉमी ऑपरेशन, जिसमें पेट के हिस्से पर छेदकर कर अपशिष्ट को निकालने का रास्ता बनाया जाता है।
 
जेनी के साथ तब तक यौन उत्पीड़न होता रहा जब तक कि वे 11 साल की नहीं हो गईं। तब उनका परिवार फिर से ब्रिटेन आ गया था। इसके कुछ ही दिनों के बाद 1984 में उनके पैरेंट्स में तलाक हो गया। जेनी को यकीन था कि वह जिन परिस्थितियों से गुजरी है उसके बारे में उसकी मां तक को मालूम नहीं है।
 
सिम्फनी का कर रहे थे यौन उत्पीड़न : समकालीन ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों के मुताबिक जेनी डिसोशिएटिव आईडेंटिटी डिसऑर्डर वाली स्थिति का गहरा जुड़ाव इस बात से भी था कि उसे सुरक्षित वातावरण में होने के बाद भी बच्चे को तौर भयानक उत्पीड़न झेलना पड़ा था।
 
बचपन में लगे मानसिक आघातों की एक्सपर्ट डॉ. पैम स्टावरोपोलोस बताती हैं, "डिसोशिएटिव आईडेंटिटी डिसऑर्डर वास्तव में अस्तित्व बचाने की रणनीति है। यह एकदम मुश्किल परिस्थितियों में अपनाई जाने वाली बेहद परिष्कृत रणनीति है। हमें यह ध्यान रखने की जरूरत है कि यह मामला अत्यधिक उत्पीड़न से बच्ची पर लगे आघात का है।"
 
यौन उत्पीड़न से लगे आघात और फिर लगातार भयावह होते उत्पीड़न के चलते, बच्ची खुद से भागना चाहती होगी और इसके चलते उसके अंदर कई व्यक्तित्व उभर आए होंगे। जेनी बताती हैं कि उनके अंदर जिस पहली आईडेंटिटी ने जन्म लिया था वो था सिम्फनी का, चार साल की बच्ची सिम्फनी, अभी भी अपने समय में मौजूद है।
 
जेनी ने बीबीसी को बताया, "उसे हर मिनट डैड के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। जब वे अपनी बेटी जेनी का उत्पीड़न कर रहे होते थे, वास्तव में उस वक्त वह सिम्फनी का उत्पीड़न कर रहे थे।"
 
समय के बढ़ने के साथ साथ सिम्फनी ने उत्पीड़न को सहने के लिए दूसरे व्यक्तित्वों को भी विकसित किया। सैकड़ों व्यक्तित्वों में प्रत्येक के पास उत्पीड़न से जुड़ी कोई ना कोई बात शामिल है, चाहे वह कोई भयानक रूप से किया हमला हो, या फिर यौन उत्पीड़न के लालायित नजर हो या फिर कोई गंध ही क्यों ना हो।
 
जेनी ने बीबीसी को बताया, "सिम्फनी के दिमाग से बात निकलेगी तब वह व्याकुल दिखेगी। मेरे विचार में मैं अपने पिता के खिलाफ अपना पक्ष रखूंगी।" सिम्फानी से बातचीत से पहले हमें इस स्थिति तक पहुंचने में आधा घंटा का वक्त लगा। जेनी पहले ही बताया था कि ऐसा हो सकता है। उसने ये बताया था कि ट्रांजिशन होने से पहले वह जवाब देते हुए हकलाने लगेगी और यह हमारे लिए संकेत जैसा था।
 
वह तेजी से बोली, "हैलो मैं सिम्फानी हूं। जेनी ने बेहद मुश्किलों का सामना किया है। अगर आपको बुरा नहीं लगे तो मैं उसके बारे में बताऊंगी।''
 
सिम्फनी की आवाज तेज थी, उसका लहजा भी सख्त था, लेकिन लड़कियों वाली आवाज थी जिसमें दम घुटने का भाव था। हम 15 मिनट बात करते रहे और उसने इस दौरान एक दशक पहले घटी घटना की हर छोटी छोटी बातों को याद किया जो एक तरह से किसी पिता के द्वारा चौंकाने जैसा उत्पीड़न था।
 
सिम्फनी ने कहा, " जो चीज़ भी मेरे लिए मूल्यवान थी, महत्वपूर्ण और प्यारी थी उन सबको मैंने डैडी से छुपाकर रख दिया था क्योंकि जब वे मेरा उत्पीड़न किया करते थे तो लगता ही नहीं था कि वे सोचने समझने वाले इंसान नहीं लगते थे।"
 
वे 'लोग' जिन्होंने जेनी को बचाने में मदद की
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• मसेल्स- मजबूत मांसपेशियों वाला एक टीनएजर। यह लंबा शख्स वैसे कपड़े पहनता है जिससे उसके मजबूत बाहें दिखाई देती हैं। यह बेहद शांत और सुरक्षात्मक प्रवृति का लड़का है।
• वोलकेनो बेहद लंबा और मजबूत है, सर से पांव तक काले चमड़े में लिपटा हुआ है। उसने सुनहरे बालों को ब्लीच किया हुआ है।
• रिकी महज आठ साल का लड़का है जो पुराने ग्रे सूट पहनता है। उसके बाल छोटे और चमकीले लाल रंग के हैं।
• जुडास भी लाल बालों वाला कम लंबा शख्स है। वह प्लेन ग्रे स्कूली पेंट में है और चमकीले हरे रंग का जंपर पहनता है। हमेशा ऐसा लगता है कि वो बोलने ही वाला है।
• लिंडा या मैग्गट लंबी और पतली है। उसने 1950 के दशक वाला गुलाबी स्कर्ट पहना है, जिसमें एक छोटे कुत्ते की बुनाई उकेरी हुई है। उसके बालों में शानदार जुड़ा है और पतली भौंहें हैं।
• रिक बड़ा सा चश्मा लगाता है, ठीक वैसा ही जैसा कि रिचर्ड हेंस पहना करते हैं। चश्मे में उसका चेहरा छोटा लग रहा है।
 
मार्च में जेनी को अदालत में सिम्फनी और पांच अन्य आईडेंटिटी के तौर पर गवाही देने की अनुमति मिली। इनमें प्रत्येक ने उत्पीड़न के अलग पहलूओं के बारे में बताया। यह सुनवाई केवल एक न्यायाधीश की मौजूदगी में हुई क्योंकि वकीलों ने इस मामले को जूरी के लिए बेहद दर्दनाक माना था।
 
शुरुआती दौर में हेंस पर 367 मामले थे जिसमें बलात्कार, अप्राकृतिक सेक्स, हिंसक उत्पीड़न और दस साल से कम उम्र के बच्चों के साथ अश्लील जानकारियां शेयर करने कई मामले थे। जेनी, अपनी विभिन्न शख्सियतों के साथ हर अपराध के बारे में विस्तृत सबूत अदालत के सामने रखने में कामयाब हुई। उसकी अलग अलग शख्सियतों ने उसे उन बातों को याद रखने में मदद की नहीं तो आघात के चलते वह कई बातें भूल चुकी होती।
 
प्रॉसिक्यूटरों ने मनोवैज्ञानिकों और डिसोशिएटिव आईडेंटिटी डिसऑर्डर (डीआईडी) के एक्सपर्ट्स को भी शामिल किया था ताकि वे सब जेनी की बताई स्थिति की विश्वसनीयता के बारे में बता सकें। जेनी ने बीबीसी को बताया, "मल्टीपल पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर (एमपीडी) के तौर पर मेरी यादें आज भी उतनी नई हैं जितनी नई वह घटना वाले दिन थी।"
 
मल्टीपल पर्सनॉलिटी के तौर पर बदलने से ठीक पहले जेनी ने बताया, "हमारी याददाश्त समय के साथ फ्रीज हो जाती है- अगर मुझे उसकी जरूरत है तो वहां जाकर मुझे उसे पिक करना है।"
 
सिम्फनी ने ऑस्ट्रेलिया में सात सालों के दौरान हुए उत्पीड़न के बारे में विस्तार से बताने का इरादा किया था। मसेल्स, एक 18 साल के मजबूत मासंपेशियों वाले शख्स ने शारीरिक उत्पीड़न के सबूत दिए, जबकि एक खूबसूरत महिला लिंडा ने जेनी के स्कूली जीवन और रिश्तों पर पड़ने वाले असर की गवाही दी।

जेनी के मुताबिक, 'सिम्फनी अपनी गवाही में बढ़ती हुई उम्र की बातों को भी शामिल करना चाहती थी लेकिन हम केवल 1974 की बात ही बता सके और वह लुढ़क गया, इसे संभाल नहीं पाया।'
 
सुनवाई के दूसरे दिन सिम्फनी ने करीब ढाई घंटे की गवाही के दौरान जेनी के पिता ने कम से कम 25 भयावह मामलों में खुद का दोष मान लिया। हालांकि उनके सजाए सुनाए जाने में अन्य मामलों में उनकी संलिप्ता का ख्याल रखा गया।
 
मल्टीपल पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर से हुआ फायदा : बचपने में मानसिक आघात झेलने वाले बच्चों की मदद करने वाली संस्था ब्लू नॉट फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. कैथी केजेलमैन बताती हैं, "यह एक ऐतिहासिक मामला था। जहां तक हमारी जानकारी है उसके हिसाब से पहली बार डिसोशिएटिव आईडेंटिटी के लोगों के फेस वैल्यू के आधार पर अदालत में गवाही देने का मौका मिला और अभियुक्त को सजा भी मिली है।"
 
जेनी ने उत्पीड़नों की शिकायत पहली बार 2009 में की थी। पुलिस को जांच करने और रिचर्ड हेंस को दोषी साबित करके जेल भेजने में 10 साल का वक्त लगा।
 
रिचर्ड को उत्तरी पूर्वी इंग्लैंड के डार्लिंगटन से 2017 में प्रत्यर्पित करके सिडनी लाया गया है, वहां वे एक अन्य अपराध में सात साल की सजा भुगत रहे थे। हालांकि वे जेनी के ही विस्तृत परिवार में रह रहे थे जहां उन्होंने अपनी बेटी को झूठी और मैनिपुलेट करने वाली कहा है।
 
उधर 1984 में रिचर्ड हेंस को तलाक दे चुकी जेनी की मां को जब इनका पता चला तो वह अपनी बेटी की लड़ाई में मजबूती के साथ खड़ी रहीं।
 
लेकिन जेनी को अपने मानसिक आघात से उबरने के लिए दशकों तक लंबा संघर्ष करना पड़ा। जेनी के मुताबिक, "काउंसलर और थेरेपिस्ट बीच रास्ते में साथ छोड़ देती थीं क्योंकि उन लोगों को मेरी कहानी पर भरोसा ही नहीं होता था या फिर यह इतना भयावह था कि वे इससे जुड़ना नहीं चाहती थीं।"
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डिसोशिएटिव आईडेंटिटी डिसऑर्डर
• मानसिक आघात लगने के बाद खुद से या फिर दुनिया से संपर्क तोड़ लेना, कट कर रहना एक सामान्य प्रक्रिया है।
• डीआईडी किसी भी आदमी, ख़ासकर बच्चों में तब उत्पन्न हो सकता है जब उसे लंबे समय तक जटिल मानसिक उलझनों का सामना करना पड़ता है।
• किसी वयस्क से मदद नहीं मिलने या फिर वयस्क इसे वास्तविक समस्या मानने से इनकार कर दे तो भी डीआईडी विकसित हो सकता है।
• डीआईडी से प्रभावित शख्स अपने सोचने, विचारने, करने, बोलने के लिए अलग-अलग ढंग का इस्तेमाल करता है, खुद को अलग अलग खांचे में देखने लगता है। इसके यादाश्त और अनुभव एक दूसरे से मेल नहीं खाने वाले भी हो सकते हैं।
• इसका अब तक दवाइयों से कोई इलाज नहीं है, इससे प्रभावित लोगों के लिए विशेषज्ञ बातचीत वाली थैरेपी का इस्तेमाल करते हैं।
 
इन दिनों व्यापक तौर पर स्वीकृत किए जाने और साक्ष्य समर्थिक प्रक्रिया होने के बाद भी डीआईडी को आम लोग और चिकित्सा जगत में कुछ लोग संदेह की नजर से देखते हैं।
 
डॉ. पैम स्टावरोपोलोस बताती हैं कि इसकी प्रकृति ऐसी है कि इसमें सहसा विश्वास नहीं होता है, इसकी वजहें भी असहजता पैदा करती हैं क्योंकि लोगों को यकीन नहीं होता है कि बच्चों के साथ इतने भयावह अंदाज में उत्पीड़न हो सकता है।"
 
"यही कारण है कि जेनी का मामला इतना अहम है क्योंकि यह चुनौतीपूर्ण मामले में विस्तृत जागरूकता पैदा करने वाला है। ऐसे मामले अब असामान्य नहीं रहे हैं, लेकिन अभी इसे स्वीकार नहीं किया जाता है।"
 
जेनी के मुताबिक उसकी मल्टीपल पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर ने उसके जीवन और उसकी आत्मा दोनों को बचाया है, लेकिन एक ही स्थिति और उसके चलते होने वाले मानसिक आघात के चलते काफी मुश्किलें भी आईं।
 
जेनी ने पढ़ाई में अपना जीवन लगा दिया। उन्होंने कानूनी मामलों और दर्शनशास्त्र में मास्टर्स करने के बाद पीएचडी की पढ़ाई भी पूरी की लेकिन फुल टाइम नौकरी संभालने में उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जेनी अपनी मां के साथ रहती हैं और दोनों ही पेंशन पर निर्भर हैं।
 
जेनी ने अपनी पीड़िता वाले बयान में कहा है, "उन्हें और उनके दूसरी पर्सनॉलिटी को बहुत ही सावधानी से अपना जीवन बिताना पड़ा है, हर वक्त रक्षा की मुद्रा में रहना पड़ा है। हमें इसे छुपाकर रखना होता है। व्यवहार, दृष्टिकोण, बातचीत और तौर तरीकों में एकसमान भाव रखना पड़ता है, जो अमूमन असंभव होता है। एक साथ 2500 आवाजों, विचारों और नजरिए को संभालना बेहद मुश्किल भरा है।"
 
जेनी कहती हैं, "मुझे ऐसे नहीं जीना था। मैंने कोई गलती भी नहीं की थी, मेरी मल्टीपल पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर की वजह डैड रहे।"
 
छह सितंबर को जिस दिन जेनी के पिता को 45 साल की सजा सुनाई गई उस दिन वह अपने पिता से कुछ मीटर की दूरी पर बैठी थी। रिचर्ड हेंस की तबियत ठीक नहीं है लेकिन उन्हें पैरोल पर रिहा होने के लिए कम से कम 33 साल जेल में बिताने होंगे।
 
सजा सुनाने वाली जज सारा हग्गेट ने कहा कि संभव है कि हेंस की मौत जेल में ही हो जाए। सारा ने कहा, "रिचर्ड का अपराध गंभीर रूप से विकृत और परेशान करने वाला है। घृणित और भयावह भी है।" जज हग्गेट न कहा कि जितना नुकसान जेनी को उठाना पड़ा है उसकी भरपाई किसी सजा से कर पाना असंभव है।
 
जेनी ने सजा सुनाए जाने से पहले बीबीसी से कहा था, "मैं चाहती हूं कि मेरी कहानी दुनिया को सुनाई जाए। मैंने इंसाफ पाने के लिए दस साल तक संघर्ष किया है, यह आग पर चलने जैसा रहा क्योंकि मैं चाहती थी कि मेरे बाद किसी को इतना संघर्ष नहीं करना पड़े, उसकी लड़ाई आसान हो।"
 
"अगर आप उत्पीड़न के चलते मल्टीपल पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर के शिकार हैं तो भी आपको न्याय मिलना संभव है। आपको पुलिस के पास जाना चाहिए और शिकायत दर्ज करना चाहिए। भरोसा रखिए। इंसाफ के रास्ते में आपकी बीमारी रुकावट नहीं बनेगी।"
 

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