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जब मोदी और कैबिनेट की 'लगी क्लास'

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, बुधवार, 31 अगस्त 2016 (11:48 IST)
- नितिन श्रीवास्तव
 
'आप अच्छे विकेट पर बैटिंग कर रहे हैं लेकिन सिंगल्स से काम नहीं चलेगा और हर ओवर में चौके-छक्के मारने होंगे। साथ ही, हर दूसरी पारी में एक शतक भी जड़ना होगा।'
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्योते पर सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री तारनम शन्मुगारत्नम ने नीति आयोग के 'ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया' कार्यक्रम में पौन घंटे का भाषण दिया जिसमें ये बात भी कही।
 
कार्यक्रम की शुरुआत नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन से की थी और उसके बाद मंच पर तारनम शन्मुगारत्नम को माईक थमा कर अपने मंत्रिमंडल के साथ बैठकर पूरा भाषण सुना। पीएमओ से जुड़े सूत्रों के अनुसार, 'ये नरेंद्र मोदी का फ़ैसला था कि वे अपने मंत्रिमंडल के साथ बैठकर इस भाषण को सुनेंगे'।
 
लेकिन सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री ने अपने इरादे शुरू में ही ज़ाहिर कर दिए जब उन्होंने भारत को एक मज़बूत आर्थिक भविष्य के लिए अपनी नसीहत में क्रिकेट का 'चुभने' वाला सहारा लिया।
 
उन्होंने कहा, 'दुनिया भर की आबादी में भारत का हिस्सा 18 फ़ीसदी है लेकिन दुनिया भर के निर्यात में भारत का योगदान मात्र 2 फ़ीसदी है। अगर भारत अगले 20 वर्षों में अपने सामर्थ्य तक पहुंचना चाहता है तो इसे बढ़ाना पड़ेगा।'
 
भाजपा सरकार में शामिल कुछ लोगों के मुताबिक तमाम राज्यों में से डायरेक्टर या उससे ऊपर के स्तर के 1,400 अफसरों को छांटा गया है, जिन्हें नीति आयोग की अहम बैठक का हिस्सा बनाने का फ़ैसला खुद प्रधानमंत्री ने लिया है।
 
बहराल, सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री ने साफ़ कर दिया था, 'मैं यहां जो भी कहूंगा वो एक दोस्त के नाते ही कहूंगा, भले ही वो सीधी या कड़ी बात हो।'' उनकी कही कुछ ख़ास बातें:-
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*अगर भारत को अपने युवाओं को नौकरी मुहैया करानी है और बेरोज़गारी को कम करना है तो अगले 20 वर्षों में 8-10 फ़ीसदी की आर्थिक बढ़त दर्ज करनी ही पड़ेगी।
 
*भारत विश्व अर्थव्यवस्था में अपना एक विशेष स्थान बना सकता है लेकिन उसे मौजूद नीतियों को बदलना होगा।
 
*भारत में नौकरशाही की परंपरा कुछ ज़्यादा ही लंबी हो गई है और अब दूसरे लक्ष्यों की ज़रूरत है। भारत ने अब तक अपनी अर्थव्यवस्था में ज़रूरत से ज़्यादा हस्तक्षेप किया है जबकि सामाजिक और मानव संसाधनों में ज़रूरत से कम निवेश किया है।
 
*भारत को अपनी आर्थिक नियंत्रण वाली नीति त्यागनी पड़ेगी जो निजी निवेश और नई नौकरियों के लिए रोड़ा बनने के अलावा मौजूदा इंडस्ट्री को ही कायम रखती है।
 
*पिछले 25 वर्षों में काफी तरक्की के बावजूद नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कराने के मामले में बहुत कमियां हैं।
 
*साफ़ पीने का पानी, बिजली सप्लाई, अस्पताल का अभाव जैसी कमियां बड़ी चुनौती हैं और तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत है।
 
*जहां 1970 के दशक में भारत और चीन की औसत प्रति व्यक्ति आय लगभग बराबर थी, उसमें अब चीन के पास ढाई गुना की बढ़त है।
 
*भारत में सुधार तो बहुत तेज़ी से हो रहे हैं और 'आधार कार्ड' जैसे डिजिटल प्रोजेक्ट की हर जगह तारीफ हुई है। लेकिन व्यापक सुधार लाने का एजेंडा अभी भी अधूरा है और बदलाव में तेज़ी लानी होगी।
 
*मेक इन इंडिया को मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड करना पड़ेगा।

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