आपकी जेब में पड़े मोबाइल फ़ोन में आपसे जुड़ी कई अहम और निजी जानकारियां होती हैं। दोस्तों की तस्वीरों से लेकर दफ़्तर के ज़रूरी फ़ोन नंबर या बैंक खातों की डिटेल। मोबाइल आज के युग में आपकी पॉकेट में पड़ा 'रॉकेट' होता है।
अब सोचिए अगर आपको पता चले कि आपका फ़ोन हैक हो गया है? आपका जवाब होगा कि जल्द से जल्द इसका समाधान निकाला जाएगा। लेकिन अगर आपका फ़ोन हैक भी हो जाए और आपको पता ही न चले, तब? हम आपको यहां ऐसे ही 7 मौके बताते हैं, जब संभवत: कोई आपका फ़ोन हैक करने की कोशिश कर सकता है। फिर चाहे वो इंसानी दिमाग हो या तकनीक।
फ़ोन हैक होने के 7 संकेत और समाधान
1. फ़ोन स्पीड
अगर आपका फ़ोन सामान्य से भी कम स्पीड में चल रहा है तो ऐसा वायरस या किसी मलीसियस किस्म के प्रोग्राम की वजह से हो सकता है। मेलिसियस प्रोग्राम यानी ऐसे प्रोग्राम जो फ़ोन की परफॉर्मेंस और यूज़र्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इस तरह के वायरस आपके फ़ोन की स्पीड और परफॉर्मेंस को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। लेकिन ये भी ध्यान रखिए कि नियमित तौर पर फ़ोन के ऑपरेटिंग सिस्टम के अपडेट होने की वजह से भी ऐसा हो सकता है। ऐप्पल ने हाल ही में पुराने वर्ज़न के आईफ़ोन की स्पीड कम करने की बात को माना था।
2. फ़ोन का काफ़ी गरम होना
आपने ग़ौर किया होगा कि अक्सर आपका फ़ोन कुछ ज़्यादा ही गरम हो जाता है। अमेरिकन इंटल टेक्नॉलजी के एक्सपर्ट इसकी वजह बताते हैं, ''संभव है कि आपके फ़ोन में कोई मलीसियस ऐप्लीकेशन बैकग्राउंड में चल रहा हो।'' फ़ोन के गरम होने की एक वजह उन ऐप्स को सही तरीके से नहीं बंद करना भी हो सकता है।
3. बैट्री लाइफ़
फ़ोन के लगातार गरम होने का असर बैट्री पर पड़ता है। इस वजह से बैट्री अपनी उम्र से कम ही चल पाती है। लेकिन यहां जो वजह अहम है, वो है सिस्टम अपडेट। मोबाइल ज़ोन वेबसाइट के मुताबिक़, अगर अपडेट वाकई काफी नया या प्रभावशाली है तो ऐसा करने से हिचकना नहीं चाहिए।
4.अज्ञात मैसेज
कुछ मौकों पर फ़ोन के हैक होने की जानकारी आपसे पहले आपके अपनों को मिल जाती है। शायद आपने ध्यान दिया हो कि कई बार आपके पास अंजान नंबर से मैसेज आते है या आपके फ़ोन से अपने-आप चले जाते हैं। ऐसी स्थिति में आपके दोस्तों और परिवार के लोगों को एसएमएस या वॉट्सऐप के ज़रिए ये मैसेज मिल जाते हैं। हालांकि इन मैसेजों को आपने नहीं भेजा होता है।
तो अगली बार जब आपका कोई दोस्त कहे कि फलां मैसेज क्यों भेजा है और आपने वो मैसेज न भेजा हो तो इसे हैकर्स की करामात माना जा सकता है। ऐसी स्थिति में सिर्फ एक बटन पर भरोसा कीजिए, वो है डिलीट।
इस तरह के हमले ई-मेल के रास्ते भी आप तक पहुंचते हैं। ऐसे में पहली सलाह ये है कि इसे फ़टाक से बंद कीजिए और ऐसे किसी लिंक पर क्लिक मत कीजिए, जो ज़्यादा लुभावने दिख रहे हों। अलग-अलग सिस्टम पर फ़ोन लगाने से भी ये वायरस मोबाइल में दाखिल होते हैं।
5. किसी विंडो का खुलना
कई बार ऐसे वायरस भी होते हैं, जो अचानक आपके फोन में खुलकर आ जाते हैं। कभी ये विज्ञापन की शक्ल में होते हैं तो कभी ये आपको नई विंडो या टैब में ले जाते हैं। कंप्यूटर की भाषा में इसे पॉप-अप्स कहते हैं।
साइबर सिक्योरटी एक्सपर्ट जोसेफ़ स्टिनबर्ग कहते हैं, ''जैसे कंप्यूटर में इंटरनेट की वजह से नए टैब्स खुल जाते हैं, ठीक ऐसे ही फोन में भी ये टैब खुलते हैं। इनसे बस सावधान रहते हुए दूर रहने की ज़रूरत है।''
6. नए ऐप
आप अपने फ़ोन में ऐप कहां से डाउनलोड करते हैं और ये कैसी ऐप्स हैं, ये बहुत मायने रखता है। बहुत मौकों पर आपका इंटरनेट पैक इसलिए जल्दी ख़त्म होता है क्योंकि ये ऐप्स काफी इंटरनेट डाटा खींच रहे होते हैं।
स्टिनबर्ग कहते हैं, ''फोन को अपडेटेड रखना बहुत ज़रूरी होता है। लेकिन ऐप्स बनाने वाली कंपनी या सर्विस प्रोवाइडर का भरोसेमंद होना ज़रूरी है। अगर ऐसा नहीं है तो फर्जी ऐप्स से बचकर रहना चाहिए।''
जानकारों की सलाह है कि आप जो भी फ़ोन ऐप डाउनलोड करना चाह रहे हैं उसे इंटरनेट पर पहले तनिक खोज लीजिए। भरोसा हो, तभी ऐप्स डाउनलोड कीजिए। वरना इसका नुकसान ये हो सकता है कि इन ऐप के ज़रिए हैकर्स आपका इंटरनेट इस्तेमाल करें। इसीलिए फ़ोन पर पैसों से जुड़े लेनदेन सोच समझकर करने चाहिए।
7. बैकग्राउंड की आवाज़
इंटरनेट पर कुछ काम करते हुए कई बार अजीब सी आवाज़ आने लगती है। या इन वेब पेजों पर अनचाही और असामान्य चीजें दिखने लगती हैं। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि दूर कहीं बैठा एक हैकर आपकी डिवाइस को कंट्रोल कर रहा होता है।
नतीजा ये होता है कि आपका फ़ोन अजब-ग़ज़ब तरीके से काम करने लगता है। सबसे डराने वाली बात ये है कि अगर आप किसी से फ़ोन पर बात कर रहे हैं और पीछे से अजब आवाज़ आ रही है तो संभव है कि कोई इसे रिकॉर्ड कर रहा हो। इस दौरान अगर बीप या ऐसी ही आवाज़ें लगातार आ रही हैं तो कॉल रिकॉर्ड होने की संभावनाएं सबसे ज़्यादा होती हैं।
इन मुसीबतों का समाधान क्या है?
*भरोसेमंद कंपनी का एक एंटी-वायरस फ़ोन में रखिए।
*जिन ऐप्स को आपने इंस्टॉल न किया हो, उन्हें डिलीट कीजिए।
*मुफ्त के वाई-फाई के चक्कर में हर जगह फ़ोन मत जोड़िए।
*फ़ोन का ऐसा पासवर्ड रखिए, जिसका कोई अंदाज़ा न लगा सके
*पॉप-अप्स पर भूलकर क्लिक मत कीजिए।
*डिवाइस को अपडेट रखिए, मगर संभलकर।
*कितना इंटरनेट डाटा खर्च हो रहा है, इस पर नज़र रखिए।