Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सौरव गांगुली क्या बीसीसीआई के 'दाग़' धो पाएंगे?

हमें फॉलो करें सौरव गांगुली क्या बीसीसीआई के 'दाग़' धो पाएंगे?
, सोमवार, 21 अक्टूबर 2019 (11:48 IST)
आदेश कुमार गुप्त (खेल पत्रकार, बीबीसी)

बात साल 1991-92 की है, जब दिल्ली में एस्कॉर्ट क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। इस टूर्नामेंट में सौरव गांगुली भी खेल रहे थे और उनकी टीम ने इस टूर्नामेंट का फाइनल भी जीता, जो दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में खेला गया था। सौरव गांगुली ने तेज़तर्रार अर्द्धशतकीय पारी खेली थी और उस दौरान उनके कई ज़ोरदार छक्के दर्शकों के बीच जाकर गिरे। सौरव गांगुली 'मैन ऑफ़ द मैच' के साथ-साथ 'मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट' भी रहे।
 
तब बीसीसीआई के अध्यक्ष माधवराव सिंधिया थे। तब फ़िरोज़शाह में पैवेलियन की तरफ जाती सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते उन्होंने मुझसे संक्षिप्त इंटरव्यू में कहा था कि उनकी योजना सचिन तेंदुलकर जैसे युवा खिलाड़ियो को अधिक अवसर देने की है ताकि भारत का भविष्य क्रिकेट में सुरक्षित रहे।
 
और उसके बाद, जब मैंने सौरव गांगुली से बात करनी चाही तो वे काफ़ी देर ना-नुकर करते रहे, आख़िरकार उस टूर्नामेंट को अपनी देखरेख में करा रहे भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव से मैंने गुज़ारिश की। कपिल देव के कहने के बाद सौरव गांगुली ने बड़े नपे-तुले शब्दों में कहा कि उन्हें अच्छा लग रहा है और आज भी वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में अधिक समय नहीं लेते।
 
कौन जानता था कि यह सौरव गांगुली आने वाले समय में न सिर्फ़ भारत के सबसे कामयाब कप्तान बनेंगे वरन दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई के बॉस भी बनेंगे। अगर सब कुछ सही रहा तो वे 23 अक्टूबर को बीसीसीआई के अध्यक्ष बन जाएंगे और इसके साथ ही कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा।
 
अब सबसे बड़ा सवाल यह कि जिस विवाद के कारण पूरी बीसीसीआई का सफाया सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद हो गया था, क्या सौरव गांगुली उस पर पूर्ण रूप से लगाम लगा पाएंगे? यानी बीसीसीआई के अपने ही टूर्नामेंट आईपीएल में कथित सट्टेबाज़ी और क्या बीसीसीआई आईसीसी से मिलने वाला अपना हिस्सा बढ़ा पाएगा। और लाख टके का सवाल कि भाई-भतीजावाद से भरी पड़ी बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों को कैसे संभालेंगे?
 
इन तमाम सवालों को लेकर क्रिकेट समीक्षक अयाज़ मेमन सिलसिलेवार जवाब देते हुए कहते हैं कि सौरव गांगुली के सामने कई चुनौतियां हैं और उनके पास केवल 10 महीने का समय है। तकनीकी रूप से उसके बाद उनका समय समाप्त हो जाएगा। अयाज़ मेमन सौरव गांगुली की ही बात सबसे पहले करते हुए कहते हैं कि ख़ुद गांगुली ने कहा है कि वे घरेलू क्रिकेट में खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं और पैसे पर अधिक ध्यान देंगे। इसके अलावा अलावा आईसीसी से बात करेंगे कि भविष्य में भारत के जो क्रिकेट कार्यक्रम बनेंगे, उसमें भारत को अधिक लाभ कैसे हो?
webdunia
अयाज़ मेमन के अनुसार गांगुली का मानना है कि अगर भारत की वजह से सबसे अधिक पैसा आईसीसी की जेब में जाता है तो फिर सबसे अधिक हिस्सा भी भारत को मिले। इसके अलावा गांगुली यह तो मानते हैं कि भारतीय टीम शानदार है लेकिन वह आईसीसी के टूर्नामेंट जीत नहीं पाती है, वह इस ओर भी ध्यान देंगे।
 
आईपीएल से जुड़े कथित सट्टेबाज़ी के मामलों से जुड़े सवाल पर अयाज़ मेमन मानते हैं कि सौरव गांगुली से किसी ने इस पर बात नहीं की है लेकिन यही वह कारण है जिसके चलते वे आज बीसीसीआई के अध्यक्ष पद तक पहुचेंगे। अगर भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आता तो शायद ऐसा नहीं होता।
webdunia
अब आईपीएल के नए गवर्नर होंगे पूर्व क्रिकेटर ब्रजेश पटेल। गांगुली को उनके साथ मिलकर इसे साफ-सुथरा बनाने की नीति बनानी चाहिए। अभी कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु प्रीमियर लीग और कर्नाटक प्रीमियर लीग में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए। 100 प्रतिशत तो कहीं भी सही नहीं होता लेकिन कुछ तो करना होगा।
 
अब अगर क्रिकेट से जुड़े राज्य संघों की बात हो तो उसमें अधिकतर पूर्व पदाधिकारियों के रिश्तेदारों का आधिपत्य है। इनमें पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के भाई और एन. श्रीनिवासन की बेटी के नाम तक शामिल हैं। इनके बीच सौरव गांगुली कैसे काम कर सकेंगे?
 
इसे लेकर अयाज़ मेमन कहते है कि सौरव गांगुली ख़ुद कप्तान रह चुके हैं, वह इनसे निपटना ख़ूब जानते हैं। गांगुली ख़ुद सोच रहे होंगे कि जिन लोगों की वजह से यह सारा विवाद हुआ वह अब उनके चेहरे सामने नहीं हैं लेकिन पर्दे के पीछे से डोरी वही खींच रहे हैं।
 
कहीं किसी की लड़की, कहीं किसी का भाई, कहीं किसी का बेटा, कहीं किसी का भांजा अध्यक्ष बन गए हैं। क्रिकेट में सियासत की भूमिका इंकार नही किया जा सकता और सौरव गांगुली की नियुक्ति भी ऐसे ही हुई।
 
भारत के गृहमंत्री अमित शाह के घर बीसीसीआई की पुरानी और नई टीम गई जिसमें ख़ुद सौरव गांगुली भी शामिल थे। ऐसे में यह सवाल भी उठा कि क्या आने वाले समय में वे बंगाल में बीजेपी का चेहरा होंगे, हालांकि गांगुली ने इससे इंकार किया। भारत में और ख़ासकर क्रिकेट में राजनीति अपना रोल इतना अदा करती है कि तो यह कहना इसमें कोई एंगल नहीं है, कहना मुश्किल है। लेकिन अगर क्रिकेट पर ध्यान दे तो सौरव गांगुली के पास केवल 10 महीने है और वह किस तेज़ी से अपने निर्णय लेते है, वह देखना होगा।
 
सबसे बड़ी बात बीसीसीआई को भ्रष्टाचारमुक्त बनाना। इसे लेकर अयाज़ मेमन मानते हैं कि पिछले कुछ सालों में बीसीसीआई पर बहुत दाग़ लगे हैं और उसे नई टीम के लिए भी आसान नहीं होगा।
 
लेकिन अगर सौरव गांगुली जैसा इंसान बीसीसीआई का अध्यक्ष बनाता है तो सबकी उम्मीदें उनसे होंगी ही। वे न सिर्फ़ खिलाड़ी और कप्तान रहे हैं। वह भले ही जगमोहन डालमिया जैसे व्यवसायी या चार्टर्ड अकाउंटेंट न हों लेकिन व्यवसाय और वित्त को अच्छी तरह समझते हैं। अच्छी बात यह है कि पहली बार कोई नामचीन क्रिकेटर बीसीसीआई का अध्यक्ष बनेगा और लोढ़ा समिति भी यही चाहती थी कि क्रिकेटरों का बोलबाला बीसीसीआई में हो।
 
तो कुल मिलाकर कई चुनौतियां सौरव गांगुली के सामने हैं। सबको साथ लेकर चलना और वह भी केवल 10 महीनों के लिए, यह उनके लिए समय के ख़िलाफ़ रेस की तरह है। अपने साथियों में 'दादा' के नाम से मशहूर सौरव गांगुली क्रिकेट की नई पिच पर कितनी दादागिरी दिखा पाते हैं, समय बताएगा।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जापान के राजवंश की किस्मत इस 13 साल के राजकुमार के कंधों पर है