Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ग्राउंड रिपोर्ट: 'लेनिन, स्टालिन सबको जाना होगा'

हमें फॉलो करें ग्राउंड रिपोर्ट: 'लेनिन, स्टालिन सबको जाना होगा'
- सलमान रावी (बेलोनिया, त्रिपुरा से)
 
"लेनिन, स्टालिन सबको जाना होगा। लेनिन, स्टालिन, मार्क्स। सबको जाना पड़ेगा। मूर्तिंयां खत्म और अब उनके नाम वाले रोड भी खत्म होंगे।"
 
ये कहना है त्रिपुरा के बेलोनिया क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक अरुण चंद्र भौमिक का। उन्होंने ये भी कहा कि किताबों में इन लोगों के बारे में जो लिखा हुआ है वो हटाया जाएगा क्योंकि वो भारत की संस्कृति का हिस्सा नहीं।
 
कभी लेनिनग्रेड माने जाने वाला त्रिपुरा का दक्षिणी हिस्सा अब लेनिन-शून्य हो गया है। एक के बाद एक, कम्यूनिस्टों का गढ़ रहे उत्तर-पूर्व भारत में लेनिन की मूर्तियां ढहाई जा रही हैं।
 
सड़कें सुनसान, डरे हुए लोग
राज्य में भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की जीत के बाद अब हालात बदल रहे हैं। कम्यूनिस्ट, जिन्हें दो दशकों तक सत्ता में रहने के बाद हार का मुंह देखना पड़ा, वो आरोप लगा रहे हैं कि दक्षिणपंथी उनके पार्टी कार्यालयों और कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं।
 
लेनिन की पहली मूर्ति दक्षिणी त्रिपुरा के बेलोनिया कॉलेज स्कवायर में ढहाई गई। इसी क्षेत्र से लेफ़्ट के नेता बसुदेब मजुमदार चार बार विधायक रह चुके हैं और इस बार भाजपा के अरुण चंद्र भौमिक से मात्र 753 वोटों के अंतर से हार गए।
webdunia
रविवार की सुबह भौमिक की जीत का जश्न मना रही भीड़ ने लेनिन की मूर्ति पर बुलडोज़र चढ़ा दिया। सोमवार की शाम को अगरतला से 150 किलोमीटर दूर सबरूम में भी लेनिन की मूर्ति को तोड़ दिया गया। मंगलवार को बेलोनिया के ज़िला प्रशासन ने सभी पार्टियों की मीटिंग बुलाई ताकि शांति बनाई जा सके। साथ ही धारा 144 भी लागू रही।
 
सड़कें सुनसान हैं। दुकानें बंद हैं क्योंकि लोग घर में ही रहना ठीक समझ रहे हैं। कॉलेज स्कवायर के पास सिर्फ एक दुकान खुली हुई थी जो एक युवती की है। कैमरा देखकर उन्होंने एकदम से कहा, "मैं वहां नहीं थी। मेरे परिवार का भी कोई नहीं था वहां। हमने कुछ नहीं देखा।"
 
जिस जगह यह सब घटा उसके साथ ही पुलिस बैरक हैं और स्थानीय एसपी और डीएम के दफ्तर भी। एक स्थानीय चश्मदीद ने बताया कि इसके बावजूद भीड़ ने अपना उन्माद जारी रखा। कुछ ही दूरी पर सीपीआईएम के पार्टी दफ्तर पर ताला पड़ा हुआ है। यहां पर मुझे कुछ बाइक सवार मिले जो मुझसे पूछताछ करने लगे। मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने भी घटना के बारे में कुछ नहीं बताया।
 
जब वो वहां से चले गए तो एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि इन लोगों में से कुछ लोग उस वक्त वहां मौजूद थे जब लेनिन की मूर्ति को तोड़ा जा रहा था।
 
लेफ्ट पर भाजपा को बदनाम करने का आरोप
स्थानीय भाजपा के पार्टी दफ्तर में काफी गहमागहमी थी। दफ्तर के मैनेजर शांतनु दत्ता ने कहा कि भाजपा के सदस्यों का मूर्ति गिराने में कोई हाथ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीपीआईएम के कार्यकर्ताओं ने ही भाजपा के टी-शर्ट पहन कर ये काम किया ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके।
 
यूक्रेन में भी 2014 में कई मूर्तियां ढहाई गई थीं। सीपीआईएम के दीपांकर सेन कहते हैं कि मूर्ति जनता के पैसे से बनाई गईं थीं और स्थानीय नगरपालिका ने उनका निर्माण कराया था। उन्होंने बीबीसी को बताया कि इस कारण कम्युनिस्ट नेताओं से लेकर कार्यकर्ता सभी डरे हुए हैं।
 
अरुण चंद्र भौमिक ने कहा कि उनकी पार्टी अब उन भारतीय महानायकों की मूर्तियां लगावाएगी जिन्होंने अंग्रेजों के साथ लड़ाई की थी या पंडित दीनदयाल जैसे दक्षिणपंथी विचारकों की मूर्तियां लगवाएगी।
 
इधर कम्युनिस्ट नेताओं का कहना है कि ये सब गवर्नर तथागत रॉय के ट्वीट के बाद हुआ जिसमें उन्होंने लिखा था, "जो काम एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार कर सकती है, उस काम को एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार ही नष्ट भी कर सकती है।"

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्रीलंका में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा की ये है वजह