- क्रिश्चन जैरेट
अगर आप आम लोगों जैसे हैं तो आपको भी लगता होगा कि आपको अपने बारे में अच्छी समझ है। आप बिंदास हैं या शर्मीले। बात-बात में नर्वस हो जाते हैं या फिर मुश्किल वक़्त में भी शांत रहते हैं। ख़ुद के बारे में राय आपने क़ायम कर ली होगी।
मगर क्या आपने सोचा कि जो आप अपने बारे में सोचते हैं, वैसा ही आपके जानने वाले आपके बारे में सोचते हैं या नहीं?
मनोवैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की है। उन्हें लगता है कि हम सबको ये मोटा-मोटा अंदाज़ा होता है कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं। हालांकि हममें से किसी को भी ये पक्के तौर पर नहीं मालूम होता कि दूसरे, हमारे बारे में क्या ख़याल रखते हैं।
2011 में इस बारे में एक रिसर्च अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में हुई थी। ये रिसर्च एरिका कार्लसन और उनके साथियों ने मिलकर की थी। उन्होंने सैकड़ों छात्रों को ख़ुद के बारे में राय बताने को कहा था। ये पूछा था कि वो अपने किरदार को कैसे देखते हैं। जैसे कि वो बिंदास हैं, मज़ाकिया हैं, दिलकश हैं, वग़ैरह...वग़ैरह। फिर उन छात्रों के बारे में यही सवाल उनके जानने वालों से किया गया। फिर छात्रों से ये पूछा गया कि उनके जानने वालों ने उनके बारे में क्या कहा होगा।
अपने बारे में दूसरों की राय जानने का सीधा तरीक़ा है। आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, पहले वो जानिए। फिर दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं इसका अंदाज़ा लगाइए।
एरिका कार्लसन की रिसर्च से पता चला था छात्रों ने जो अंदाज़ा लगाया था कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं, वो काफ़ी हद तक सही निकला था। इससे पता ये चलता है कि अक्सर हम ये सही-सही समझते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या राय रखते हैं।
ये बात, उस वक़्त भी सही साबित हुई जब कुछ अनजान लोगों ने छात्रों के साथ पांच मिनट का वक़्त बिताया और तब उनके बारे में अपना ख़याल ज़ाहिर किया। तो आपको मोटे तौर पर अंदाज़ा होता है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं। मगर ये पूरी तरह सही हो, ज़रूरी नहीं।
2013 में जर्मनी में कुछ मनोवैज्ञानिकों ने एक रिसर्च किया था। इसमें 65 छात्रों ने ख़ुद के बारे में बताया था। किसी ने ख़ुद को आलसी कहा, तो किसी ने ये दावा किया कि वो सबके साथ बराबरी का बर्ताव करते हैं। इसके बाद उनके बारे में उनके जानने वालों से राय पूछी गई।
रिसर्च करने वाले ये जानकर हैरान रह गए कि दूसरों ने उन छात्रों के बारे में वो राय नहीं जताई जो ख़ुद छात्रों ने अपने बारे में ज़ाहिर की थी। हम अक्सर इस बात से अनजान होते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं।
हममें से बहुत से लोग इस बात को लेकर फ़िक्रमंद रहते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं। मगर, इसका कोई फ़ायदा नहीं। अक्सर वो लोग दूसरों के बारे में ग़लत साबित होते हैं जो दिमाग़ी तौर पर मज़बूत होते हैं। अभी हाल में कनाडा के टोरंटो में, कॉलेज के कुछ सौ छात्र एक लैब में गए। वहां उन्होंने एक सेल्फ़ी ली।
वहीं पर एक पेशेवर फोटोग्राफर ने भी उनकी तस्वीर खींची। छात्रों को लगता था कि अपनी सेल्फ़ी में वो ज़्यादा दिलकश लग रहे थे। मगर जब दोनों ही तस्वीरें ऑनलाइन, दूसरों को दिखाई गईं, तो ज़्यादातर मामलों में पेशेवर फोटोग्राफर की खींची तस्वीर को लोगों ने बेहतर माना।
तो अगली बार से जब आप सेल्फ़ी लें, तो इस बात का ख़याल रखें! अगर आपको ये पता लगाना है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं, तो बेहतर होगा कि उनसे पूछ ही लें। अगर वो ईमानदार हैं, तो वो आपको सही-सही बता देंगे। तब आपको पता चलेगा कि असल में आप वो इंसान नहीं, जो आप अपने बारे में सोचते हैं।
ख़ास तौर से दूसरे लोग ऐसा ही मानते हैं और अगर आपको ख़ुद पर भरोसा है। इस बात की फिक्र नहीं है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं। तो, इसे लेकर ज़्यादा परेशान होने या पूछताछ करने की ज़रूरत नहीं। कई बार कुछ बातों की जानकारी नहीं होना ही बेहतर होता है।