रवि प्रकाश, बीबीसी हिन्दी के लिए, रांची से
पैरों में चप्पल, ढ़ीली शर्ट-पैंट और सिर के बालों पर फैली सफेदी। चंपई सोरेन की यही पहचान है। वे सादगी से जीवन जीते रहे हैं। किसी को दिक़्क़त हुई, तो उन्हें टैग कर सोशल मीडिया पोस्ट किया। फिर चंद मिनटों में उसका समाधान। ये सब करते रहते हैं चंपई सोरेन।
अब वे झारखंड के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। झारखंड के सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों ने उन्हें अपना नेता चुना है।
हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ को लेकर ये संकेत मिलने लगे थे कि वो पद छोड़ सकते हैं।
मीडिया रिपोर्टों में मंगलवार से नए सीएम के तौर पर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन बुधवार शाम नए नेता के तौर पर चंपई सोरेन का नाम सामने आया।
बुधवार रात झारखंड की राजधानी रांची में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने बताया, “ हेमंत सोरेन ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। हमारे गठबंधन ने चंपई सोरेन जी का नाम नेता के रूप में पेश किया है। 43 विधायकों के हस्ताक्षर का पत्र हमने दिया है। हमारे पास 47 विधायकों का समर्थन है। राज्यपाल ने अभी (नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की) शपथ ग्रहण के लिए समय नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि पहले आपके पेपर को देख लेंगे फिर आपको समय देंगे।”
कौन हैं चंपई सोरेन
झारखंड मुक्ति मोर्चा के ये 67 वर्षीय नेता पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत सोरेन दोनों के विश्वसनीय रहे हैं। हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में वे परिवहन और खाद्य व आपूर्ति विभाग का काम देख रहे थे।
झारखंड राज्य गठन के आंदोलन में वे शिबू सोरेन के निकट सहयोगी रहे हैं। झारखंड विधानसभा में वे सरायकेला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे इस सीट से सात बार विधायक रहे हैं।
वे सरायकेला खरसांवा जिले के गम्हरिया प्रखंड के जिलिंगगोड़ा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता सेमल सोरेन किसान थे। साल 2020 में 101 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था।
चंपई सोरेन उनकी अपने माता-पिता की छह संतानों में तीसरे नंबर पर हैं। उनकी मां माधो सोरेन गृहिणी थीं।
चंपई सोरेन का विवाह काफी कम उम्र में मानको सोरेन से हुआ। इस दंपति की सात संताने हैं।
1991 में पहली जीत
11 नवंबर 1956 को जन्मे चंपई सोरेन ने दसवीं तक की ही पढ़ाई की है। साल 1991 में सरायकेला सीट के लिए हुए उपचुनाव में उन्होंने पहली बार जीत हासिल की और तत्कालीन बिहार विधानसभा के सदस्य बने। तब वह उपचुनाव वहां के तत्कालीन विधायक कृष्णा मार्डी के इस्तीफ़े के कारण हुआ था। इसके बाद वे 1995 में फिर चुनाव जीते लेकिन साल 2000 का चुनाव हार गए।
साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की और उसके बाद कोई चुनाव नहीं हारे। वे छह बार इस सीट से विधायक रहे हैं।
हेमंत सोरेन ने क्यों छोड़ी कुर्सी
हेमंत सोरेन से बुधवार को ईडी अधिकारियों ने पूछताछ की। ये पूछताछ जमीन की कथित हेराफेरी के एक पुराने मामले में की जा रही है।
इसके लिए ईडी अधिकारियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजकर उनसे समय की मांग की थी। हेमंत सोरेन ने इन अधिकारियों को 31 जनवरी की दोपहर एक बजे अपने आवास पर बुलाया था।
ईडी ने इसी मामले में पिछले 20 जनवरी को भी उनसे पूछताछ की थी। तब यह कहा गया था कि पूछताछ पूरी नहीं हो सकी है।
इससे पहले ईडी के अधिकारी 29 जनवरी की सुबह मुख्यमंत्री के दिल्ली स्थित आवास पर भी गए थे लेकिन उनकी मुख्यमंत्री से मुलाक़ात नहीं हो सकी थी।
तब हेमंत सोरेन के कथित तौर पर लापता होने की भी खबरें चलीं। हालांकि, इसके अगले ही दिन हेमंत सोरेन रांची में नजर आए। सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया और विधायकों की बैठक में भी शामिल हुए।
ईडी ने कथित खनन घोटाले में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज किया था। जबकि हेमंत सोरेन इन मामलों में प्राथमिक अभियुक्त नहीं हैं। उनकी पार्टी ईडी पर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाती रही है।
अब कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी से खुलकर क़ानूनी लड़ाई लड़ना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने का निर्णय लिया है।