- मुनज़्ज़ा अनवार
पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर ऐसी कुछ ऑडियो वायरल हुई हैं जिनमें कथित तौर पर प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, मुस्लिम लीग (नवाज़) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ और केंद्रीय कैबिनेट में शामिल मुस्लिम लीग (नवाज़) के सदस्यों को विभिन्न मुद्दों पर बात करते सुना जा सकता है। इस कथित ऑडियो लीक विवाद पर अब तक पाकिस्तान सरकार या मुस्लिम लीग (नवाज़) की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
बीबीसी ने केंद्रीय योजना मंत्री हसन इक़बाल से जब सरकारी रुख़ जानने के लिए संपर्क किया तो उनका कहना था कि अब तक उन्होंने यह ऑडियो नहीं सुनी और वह इसको सुनने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
सरकार की ओर से इस मामले पर चुप्पी के कारण इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती कि ये ऑडियो टेप्स सत्यापित हैं या नहीं। फिर भी सोशल मीडिया पर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए जा रहे हैं जिनका मुख्य बिंदु पाकिस्तान में महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों और पदाधिकारियों की सायबर सिक्योरिटी है।
इधर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की ओर से सरकारी प्रतिक्रिया आने से पहले ही इस मामले पर औपचारिक न्यायिक जांच करवाने की मांग सामने आ चुकी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि एक ओर जहां कथित ऑडियो में होने वाली बातचीत विवाद का विषय है, वहीं यह सवाल उठ रहा है कि यह गुफ़्तगू किसने रिकॉर्ड की? कैसे रिकॉर्ड की और यह ऑनलाइन कैसे पहुंची? इसी से जुड़ा महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि इस सारे मामले में पाकिस्तान की सायबर सिक्योरिटी किस हद तक मज़बूत या कमज़ोर है?
यह बात भी ध्यान में रहे कि पाकिस्तान में अतीत में भी कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों की बातचीत की कथित तौर पर ऑडियो लीक हो चुकी है हालांकि उनमें से ज़्यादातर फोन पर होने वाली बातचीत थी।
ऑडियो लीक विवाद
बीबीसी ने जिन कथित ऑडियो को सुना है उनमें से एक में कथित तौर पर प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, राष्ट्रीय असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज़ सादिक़, केंद्रीय गृहमंत्री राना सनाउल्ला, केंद्रीय रक्षामंत्री ख़्वाजा आसिफ़, केंद्रीय क़ानून मंत्री आज़म नज़ीर तारड़ और केंद्रीय योजना मंत्री अहसन इक़बाल की आवाज़ लगती है।
इस गुफ़्तगू में पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) के इस्तीफ़ों पर बात की जा रही है। लेकिन जब बीबीसी ने केंद्रीय मंत्री अहसन इक़बाल से संपर्क किया तो उनका कहना था कि अभी तक उन्होंने यह ऑडियो नहीं सुना है इसलिए वह इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते।
बीबीसी ने कथित ऑडियो उनके साथ साझा की लेकिन अहसन इक़बाल समेत पाकिस्तान मुस्लिम लीग के किसी नेता की ओर से जवाब नहीं दिया गया। सरकारी चुप्पी के कारण इस समय इस मामले पर तस्वीर साफ़ नहीं हो रही, लेकिन साथ ही सवालों का न ख़त्म होने वाला सिलसिला भी शुरू हो गया है।
क्या पीएम ऑफ़िस में किया गया रिकॉर्ड?
इधर पीटीआई के नेता फ़वाद चौधरी ने यह ऑडियो शेयर करते हुए सवाल किया, प्रधानमंत्री पाकिस्तान का ऑफिस डेटा जिस तरह डार्क वेब पर बिक्री के लिए पेश किया गया यह हमारे यहां सायबर सिक्योरिटी के हालात बताता है, यह हमारी इंटेलिजेंस एजेंसियों ख़ासकर आईबी की बहुत बड़ी नाकामी है, ज़ाहिर है राजनीतिक मामलों के अलावा सिक्योरिटी और विदेश मामलों पर भी महत्वपूर्ण बातचीत अब सबके हाथ में है।
फ़वाद चौधरी का यह दावा किस आधार पर है, यह कहना मुश्किल है लेकिन ट्विटर पर @OSINT_Insider (ओपन सर्विस इंटेलिजेंस इंसाइडर) नामी अकाउंट का दावा है कि सोशल मीडिया पर वायरल ये ऑडियो 100 घंटों से भी ज़्यादा अवधि के रिकॉर्ड किए गए उस डेटा का हिस्सा हैं जिसकी डार्क वेब हैकिंग फ़ोरम पर 345000 मिलियन डॉलर तक बोली लगाई गई।
ओपन सर्विस इंटेलिजेंस इंसाइडर का दावा है कि यह फ़ोन पर होने वाली बातचीत नहीं बल्कि पीएम ऑफिस में रिकॉर्ड की गई गुफ़्तगू है। बीबीसी इन दावों की पुष्टि नहीं कर सकता।
सबसे बड़ी सुरक्षा चूक
सोशल मीडिया पर इसे पाकिस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी सिक्योरिटी चूक बताया जा रहा है। यह सवाल किया जा रहा है कि यह गुफ़्तगू कब, कैसे और कहां रिकॉर्ड की गई? अधिकतर लोग जानना चाहते हैं कि क्या यह सच में सिक्योरिटी चूक है? और अगर ऐसा है तो यह कितने बड़े पैमाने की सिक्योरिटी चूक है और इसका ज़िम्मेदार कौन है?
ख़ैबर पख्तूनख़्वा के वित्तमंत्री तैमूर झगड़ा ने भी ऐसी ही आशंकाएं व्यक्त की हैं जिनकी पूर्व केंद्रीय मंत्री शौकत तरीन से गुफ़्तगू की ऑडियो कुछ ही समय पहले सार्वजनिक हुई थी। शौकत तरीन पूछते हैं, क्या कोई जवाब देगा कि राजनीतिक नेतृत्व की बातचीत को किस क़ानून के तहत और कब, कौन टेप कर रहा है चाहे पीएमओ में हो या फ़ोन पर? और इस डेटा की सुरक्षा का ज़िम्मेदार कौन है?
पंजाब में आईटी मंत्री डॉक्टर अर्सलान ख़ालिद कहते हैं कि असल सवाल तो यह है कि 100 घंटों से ऊपर की रिकॉर्डिंग हुई कैसे? क्या प्रधानमंत्री आवास में गुफ़्तगू सुनने वाले ख़ुफ़िया यंत्र लगाए गए? उनका कहना है, प्रधानमंत्री आवास में विदेश नीति समेत सभी संवेदनशील विषयों पर भी बातचीत होती है तो क्या यह सब डेटा हैकर्स के पास है? यह राजनीतिक मामला नहीं, पाकिस्तान पर सायबर हमला है।
कौन रख रहा है नज़र
शहबाज़ शरीफ़ की पिछली सरकार में पंजाब में डिजिटल सुधार लागू करवाने वाले उमर सैफ़ का कहना है कि पाकिस्तान की सायबर स्पेस सुरक्षित नहीं है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि पाकिस्तान के पास सायबर स्पेस में होने वाली प्रगति के साथ साथ चलने की क्षमता नहीं है। उनका कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है। पाकिस्तान को राजनीतिक तौर पर सनसनी फैलाने से ऊपर उठकर यह समझने की ज़रूरत है कि ख़तरा क्या है।
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने बातचीत रिकॉर्ड की या फिर वह उससे बेख़बर थीं? पत्रकार आसिमा शीराज़ी ने लिखा, जब प्रधानमंत्री आवास भी सुरक्षित नहीं तो बाक़ी का क्या कहना। मुझे जॉर्ज ऑरवेल का नावेल 1984 और इसका किरदार 'बिग ब्रदर' याद आ गया जो हर चीज़ पर ख़ुफ़िया नज़र रखता है। आज बड़ा भाई कौन है?
पत्रकार मुबश्शिर ज़ैदी लिखते हैं, प्रधानमंत्री और मरियम नवाज़ को ऑडियो लीक्स पर अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। किसी दूसरे देश में ऐसी लीक्स आएं तो अभी तक इंटेलिजेंस एजेंसियों के अध्यक्ष इस्तीफ़ा दे चुके होते।
अटकलें
सरकार की ओर से इस मामले पर कोई स्पष्टीकरण न आने के कारण सोशल मीडिया पर लोग यह सवाल करते नज़र आए कि अगर यह ऑडियो जाली नहीं है, तो फिर यह गुफ़्तगू कैसे रिकॉर्ड हुई होगी?
एक सोशल मीडिया यूज़र अज़ीज़ यूनुस ने लिखा, पहली स्थिति यह है कि वहां मौजूद किसी व्यक्ति का फ़ोन हैक किया जा चुका हो जिसमें लोकेशन की मदद से फ़ोन में मौजूद हॉट माइक को फ़ोन मालिक की मर्ज़ी के बिना इस्तेमाल किया जा सकता है।
अज़ीज़ यूनुस के अनुसार, एक स्थिति यह भी है कि प्रधानमंत्री आवास में ख़ुफ़िया यंत्र मौजूद हों जिनकी मदद से इस बातचीत को रिकॉर्ड किया गया और बाद में यह लीक हुई या कर दी गई।
पत्रकार सिरिल अलमाइडा ने लिखा, इमरान ख़ान से एक मुलाक़ात के दौरान मैंने एक बात पहली बार नोटिस की कि एक व्यक्ति ने अंदर आकर मशीन की मदद से दो बार कमरे की तलाशी ली और सभी डिजिटल गैजेट्स को कुछ दूरी पर रखा गया।