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केके शैलजा: कोरोना संकट से मशहूर केरल की 'रॉकस्टार' स्वास्थ्य मंत्री पर क्यों गिरी गाज

हमें फॉलो करें केके शैलजा: कोरोना संकट से मशहूर केरल की 'रॉकस्टार' स्वास्थ्य मंत्री पर क्यों गिरी गाज

BBC Hindi

, बुधवार, 19 मई 2021 (07:47 IST)
-इमरान कुरैशी
केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को राज्य में कोविड - 19 से निपटने के उनके प्रयासों और अपनाए गए तरीकों के लिए 'रॉकस्टार' कहा जा रहा था, मगर मुख्यमंत्री विजयन ने अपने नए मंत्रिमंडल से उनको जगह नहीं दी है।
राज्य की सीपीएम पार्टी की कमेटी ने ये फैसला किया है। मंगलवार को कमेटी की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन नए मंत्रालय में अकेले पुराने मंत्री होंगे। वो गुरुवार को शपथ लेंगे।

पार्टी की प्रदेश कमेटी के सदस्य और थारासेरी से विधायक एएम शमशीर ने बीबीसी हिंदी से बात करते हुए कहा, "पिछले मंत्रालय से सिर्फ सीएम ही मंत्री होंगे। एलडीएफ के मंत्रिमंडल में सीपीएम के 12 सदस्य होंगे। उनके अलावा सभी नए सदस्य होंगे।"
 
अब विजयन का साथ छोड़ चुके उनके पुराने मित्र कुन्हानंदन नायर ने बीबीसी हिंदी से कहा, "ये एक ग़लत फ़ैसला है। वो जोसफ़ स्टालिन की तरह हैं। इसलिए वो किसी और की राय नहीं सुनते। बंगाल में ज़्योति बसु ने भी ऐसे अपने मंत्री नहीं हटाए थे।"

नए चेहरे कौन से हैं?
नायर कहते हैं, "वो अपने दामाद को मंत्रालय में लेकर आए हैं और लोगों को ये पसंद नहीं है। ये परिवारवाद है। लेकिन पार्टी में इस मुद्दे को उठाने वाला कोई नहीं है।"

नायर पीए मोहम्मद रियास की तरफ़ इशारा करते हैं जो कि सीपीएम की युवा इकाइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। रियास ने पिछले साल विजयन की बेटी वीणा से शादी की थी।
 
मंत्रालय में एम वी गोविंदन, के राधाकृष्णण, के एन बालागोपाल, पी राजीव, वी एन वसावन, साजी चेरियन, पी शिवनकुट्टी, डॉ. आर बिंदु, वीणा जॉर्ज और वी अब्दुल रहमान को जगह दी गई है। पूर्व लोकसभा सदस्य एमबी राजेश को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया है। शैलजा को सीपीएम का व्हिप बनाया गया है। इस पद का रैंक कैबिनट मंत्री का नहीं है।

शैलजा का बयान
शैलजा ने तिरुअनंतपुरम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वो 'निराश नहीं' है। उन्होंने कहा, "मुझे पता है कि लोगों ने अपना प्यार मुझपर जताया है। उन्होंने पार्टी के प्रति भी अपना प्यार जताया है इसलिए हम वापस सत्ता में आए हैं। मैं उन सभी लोगों को मुझे चुनने के लिए शुक्रिया कहती हूं।"

क्या कोविड महामारी के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय में बदलाव करना गलत है? इस सवाल के जवाब में शैलजा कहती हैं कि महामारी में स्वास्थ्य मंत्रालय सीएम विजयन के नेतृत्व में ही काम करता था।

शैलजा ने कहा, "हम लोगों ने अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभाई है। पार्टी ने मुझे मंत्री बनाने का फैसला किया और अपने दूसरे साथियों के साथ मैंने भी अच्छा काम किया। मैं बस यही कर सकती हूं।"
उन्होंने कहा कि मंत्रालय में नए चेहरों को जगह देना अच्छा फ़ैसला है।

उन्होंन कहा, "ये किसी एक के बारे में नहीं है, सभी के बारे में है जिन्होंने एक टीम की तरह काम किया है। हमें यकीन है कि नया मंत्रालय भी अच्छे से काम करेगा। मैं एक पार्टी कार्यकर्ता हूं और पार्टी के फ़ैसले का सम्मान करती हूं।"

के सुधाकरण, ईपी जयाराजन और एके बालन को भी टिकट नहीं दिया गया था क्योंकि पार्टी नए चेहरों को मैदान में उतारना चाहती थी।

पार्टी को करीब से जानने वाले एक राजनीति विशेषज्ञ ने नाम न बताने की शर्त पर बीबीसी से कहा, "विजयन का पार्टी पर कंट्रोल ऐसा है कि पांच-छह से ज़्यादा लोगों ने शैलजा को हटाने का विरोध नहीं किया। रियास को लाने पर भी किसी ने आपत्ति नहीं जताई।"

पिछले साल सुर्खियों में आईं शैलजा
शैलजा को पिछले साल अक्तूबर में कोविड महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। हालांकि कहा जाता है कि ये बात पार्टी के भीतर कई लोगों को पसंद नहीं आई। चुनाव के दौरान पार्टी ने उनकी सीट बदलने का फ़ैसला किया।

साल 2016 में वो कुत्थुपरंबा सीट से 12 हज़ार से अधिक वोटों से जीती थीं। लेकिन इस बार उन्हें कुन्नूर के मात्तानूर ज़िले से मैदान में उतारा गया। वो 60 हज़ार 935 वोटो से चुनाव जीतीं। केरल के चुनाव इतने अधिक वोटों से पहले किसी ने जीत हासिल नहीं की थी।

राजनीतिक विश्लेषक बीराआपी भास्कर बीबीसी के बात करते हुए कहते हैं, "पार्टी पुरुष प्रधान है। उन्हें ऐसा लगने लगा था कि वो बहुत बड़ी होती जा रही हैं। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि ये वही पार्टी है जिसमे गौरीअम्मा को सीएम नहीं बनने दिया था, गौरीअम्मा एक मज़बूत शख्सियत थीं जिनका दो हफ़्ते पहले देहांत हो गया। शैलजा सौम्य व्यक्तित्व की हैं।"

पार्टी का भविष्य क्या होगा?
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफ़ेसर जे प्रभाष कहते हैं, "ये दिखाता है कि मुख्यमंत्री ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके खिलाफ बोलने वाली कोई आवाज़ न बचे। दो दशकों से जब विजयन ने कमान संभाली है, पार्टी के लोगों को आलोचनात्मक दृष्टिकोण से चीज़ो को समझना सिखाया ही नहीं गया है।"

"ये फ़ैसला दिखाता है कि सरकार में दूसरा कोई फ़ैसले नहीं ले पाएगा। वो चाहते हैं कि उनके नेतृत्व पर कोई सवाल न उठाए।"

"ये पार्टी के भविष्य के लिए सही नहीं है। इस बात में किसी को शक नहीं होना चाहिए। ये सिर्फ शैलजा को हटाने की बात नहीं है। ये नए नेतृत्व के बारे में है। मुख्यमंत्री ने अपना दिमाग नहीं लगाया है। सवाल ये उठता है कि आने वाले समय के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए किसे तैयार किया जाएगा। ऐसा लग रहा है जैसे विजयन हमेशा के लिए, दुनिया के ख़त्म होने तक रहेंगे।"
 
नायर कहते हैं, "ऐसा लग रहा जैसे शैलजा को लेकर विजयन पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। सीताराम येचुरी को इस मामले में दखल देना चाहिए क्योंकि सीपीएम देश में कहीं और सत्ता में नहीं है।
 
सोशल मीडिया पर आलोचना
शैलजा जिन्हें शैलजा टीचर के नाम से जाना जाता है, उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने की कई लोगों ने सोशल मीडिया पर भी आलोचना की।
 
फिल्म समीक्षक और पत्रकार एना वैटिकेट ने लिखा, "शैलजा को हटाने का फ़ैसला जिस भी वजह से लिया गया हो, ये पार्टी की छवि, सीएम और राज्य के लिए नुकसानदेह है। इसके अलावा केरल के उन लोगों के लिए भी बुरा है जो कि राज्य में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बनाए रखना चाहते हैं।"
 
"केरल कैबिनेट के उन्हें हटाना भारतीय महिलाओं के लिए हतोत्साहित करने वाला फ़ैसला है। ये याद दिलाता है प्रगतिशील और शिक्षित होने के बावजूद केरल पितृसत्ता में डूबा हुआ है।"
 
लेखिका रेश सुज़ैन ने लिखा, "शैलजा कैबिनेट में नहीं है। कैसे? वो सबसे योग्य व्यक्ति हैं जिन्होंने निपाह और कोराना महामारी को अपने अच्छे नेतृत्व से संभाला। मुझे उम्मीद है कि ये खबर गलत होगी लेकिन ऐसा नहीं है- पुरुष और उनका अहंकार। "
 
लेखक मनु एस पिल्लई ने लिखा, "केके शैलजा को केरल के कैबिनेट में होना चाहिए। उन्हें नहीं चुने जाने की खबर से बहुत निराश हूं। उम्मीद करता हूं, वो फिर से विचार करेंगे। मुझे इसमें लिंगभेद की बू आ रही है। सीएम के अलावा सभी नए चेहरों को शामिल करने की नीति से शैलजा को अपवाद की तरह शामिल करना चाहिए था।"
 
 

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