Shree Sundarkand

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तीस्ता नदी जल बंटवारे का मुद्दा इतना अहम क्यों

Advertiesment
हमें फॉलो करें teesta river treaty

BBC Hindi

, रविवार, 1 मई 2022 (07:49 IST)
कादिर कल्लोल, बीबीसी बांग्ला, ढाका
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ढाका के अपने संक्षिप्त दौरे में कहा कि उनके इस दौरे का लक्ष्य दोनों देशों के पारस्परिक संबंध को आगे बढ़ाना था।
 
गुरुवार को अपने दौरे में जयशंकर ने ढाका में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभेच्छा दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के भारत दौरे की अपेक्षा रहेगी। शेख़ हसीना इसी वर्ष भारत की यात्रा पर जा सकती हैं।
 
दोनों देशों के बीच अभी भी तीस्ता नदी जल बँटवारे और सीमा पर हत्याओं को बंद करने जैसे कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं हो पाई है। मगर बांग्लादेश के हित वाले इन विषयों को भारत कितना महत्व देता है, इस बात को लेकर बांग्लादेश में कई तरह की चर्चाएँ हो रही हैं।
 
तीस्ता नदी जल बँटवारे का मुद्दा
तीस्ता नदी के जल बँटवारे का मुद्दा एक दशक से भी अधिक समय से सुलझ नहीं सका है। ये मुद्दा बांग्लादेश की राजनीति के लिए एक बड़ा विषय बन गया है।
 
इस वजह से, ऐसा कहा जा सकता है कि बांग्लादेश में आम चुनाव से एक वर्ष पहले प्रधानमंत्री शेख़ हसीना जब भारत यात्रा पर जाएँगी, तब दोनों देशों के बीच बातचीत की लिस्ट में जो मुद्दे शामिल रहेंगे, उनमें तीस्ता जल बँटवारे का मुद्दा ऊपर रहेगा।
 
दोनों देशों की सीमा पर बांग्लादेश के नागरिकों की हत्या पर रोक नहीं लग पाने का मुद्दा भी बांग्लादेश के लिए एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।
 
हालाँकि, बांग्लादेश ने कई बार सीमा पर लोगों की हत्या पर रोक लगने का संकल्प जताया है, मगर इसके बाद भी इन पर रोक नहीं लग पाने से बांग्लादेश में बेचैनी है।
 
'संकल्प तो किया, मगर नतीजा नहीं'
बांग्लादेश के एक पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन का कहना है कि इससे पहले भी दोनों देशों के शीर्ष स्तर की बातचीत तक में तीस्ता नदी के जल बँटवारे की समस्या के समाधान के लिए कई तरह के संकल्प लिए गए, मगर उनका कोई नतीजा नहीं निकला।
 
उनका मानना है कि इस वजह से पीएम हसीना को भारत दौरे के समय ऐसी ही मुद्दों पर फिर से ज़ोर देना होगा।
 
तौहीद हुसैन कहते हैं, "तीस्ता नदी जल बँटवारे की समस्या लंबे समय से कोल्ड स्टोरेज में दबी है। एक और समस्या है, सीमा पर साधारण नागरिकों की बीएसएफ़ सुरक्षाकर्मियों की गोली से मारा जाना। भारत अगर चाहे तो ये एक दिन में बंद हो सकता है। यहाँ पर भारत की ओर से शुभेच्छा का अभाव नज़र आता है।"
 
वो कहते हैं कि बांग्लादेश की ओर से यही दो मुद्दे उनके लिए बड़े विषय हैं। द्विपक्षीय संपर्क का प्रभाव
अवामी लीग बांग्लादेश में 13 साल से सत्ता में है और इस दौरान बांग्लादेश के साथ भारत का संबंध बेहतर कहा जा सकता है।
 
इस कारण दोनों देशों की बातचीत में बांग्लादेश के हित की बात पर चर्चा नहीं होने से अवामी लीग सरकार को राजनीतिक तौर पर सवालों का जवाब देना पड़ सकता है।
 
विश्लेषकों का मानना है कि इसका दोनों देशों के संबंधों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इसी तीस्ता नदी के पानी की व्यवस्था के लिए अवामी लीग सरकार ने चीन की सहायता से एक योजना पर क़दम बढ़ाना शुरू किया था।
 
इसे लेकर भारत के असंतुष्ट रहने की ख़बरें कई बार सामने आई थीं। साल 2009 में शेख़ हसीना के नेतृत्व में अवामी लीग की सरकार के गठन के बाद तौहीद हुसैन भारत दौरे पर गए थे। उसी समय तीस्ता नदी जल बँटवारे को लेकर एक समाधान के बारे में दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच एकराय बन जाने की बात उठी थी।
 
मगर इसके बाद इसे लेकर प्रगति होती दिखाई नहीं दी। इस बारे में भारत में केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध को वजह बताती है।
 
कई विश्लेषकों का मानना है कि द्विपक्षीय संबंधों में बांग्लादेश के हितों वाले मुद्दों को महत्व नहीं देने से, उस समय इस तरह के विषय सामने आ सकते हैं।
 
ढाका विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के शिक्षक डॉक्टर लालूफ़ार यास्मीन कहती हैं, "बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास रखता है।"
 
डॉक्टर यास्मीन कहती हैं, "बांग्लादेश भारत संबंध में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं है। हमलोग किस देश के साथ संपर्क रखते हैं, वो बांग्लादेश का आंतरिक मामला है। यही बात दिल्ली के लिए भी कहनी होगी।"
 
दोनों देशों के बीच संपर्क या बातचीत बढ़ाने के विषय में भारत लगातार अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। इससे बांग्लादेश को कितना लाभ हुआ है, इसे लेकर भी बांग्लादेश में चर्चा होती रहती है।
 
भारत, बांग्लादेश के सामरिक मामले
पूर्व सचिव हुमायूँ कबीर का मानना है कि भारत, बांग्लादेश के सामरिक मामलों को लेकर भी आग्रही हो रहा है।
 
उन्होंने कहा, "बांग्लादेश के साथ सामरिक सामानों के निर्यात को लेकर संबंध बढ़ाने को लेकर भारत ने 50 करोड़ डॉलर का कर्ज़ दिया हुआ है। क्योंकि मौजूदा समय में सामरिक सामग्रियों के व्यापार को लेकर अमेरिका के साथ बातचीत हो रही है। इस कारण भारत दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर पर होने वाली वार्ता के विषयों में इस मुद्दे को भी प्रमुखता से उठा सकता है।"
 
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन ने कहा है कि दोनों देशों के संबंध अभी स्वर्णिम अध्याय के दौर से गुज़र रहे हैं।
 
हालाँकि, ढाका के कई विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के संबंधों में भारत को तीस्ता नदी जल बँटवारे जैसे बांग्लादेश के हितों वाले मुद्दों को महत्व देना चाहिए जिससे कि दोनों देशों के संबंधों में कोई नकारात्मक मोड़ ना आए।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

1 मई को क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस, जानिए इतिहास