असम में विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन समीकरण बिगड़ता दिख रहा है। रविवार को बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ़) की नेता प्रमिला रानी ब्रह्मा ने बीजेपी पर कई आरोप लगाए और गठबंधन से बाहर होने की घोषणा की। बीपीएफ़ असम में 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले से ही बीजेपी के साथ था। बीपीएफ़ रविवार को औपचारिक रूप से बीजेपी से अलग होकर कांग्रेस गठबंधन में शामिल हो गया। इस ख़बर को कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक 'टेलीग्राफ़' ने प्रमुखता से जगह दी है। प्रमिला रानी ब्रह्मा ने असम में ग़ैर-बीजेपी सरकार बनाने का संकल्प लिया।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार प्रमिला रानी ने कहा कि हम लोगों के साथ बीजेपी वालों ने जो किया है, उसके बाद बीजेपी के साथ कैसे रहा जा सकता है? बीजेपी वालों ने लगातार अपमानित किया है। इन्होंने बीटीसी चुनाव के बाद सार्वजनिक रूप से कहना शुरू कर दिया था कि इनका कोई गठबंधन नहीं है। असम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने सार्वजनिक रूप से बीपीएफ़ को अपमानित करना शुरू कर दिया था। पिछले साल दिसंबर में बीपीएफ़ के हाथों से 17 साल बाद बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल यानी बीटीसी का नियंत्रण निकल गया था।
बीपीएफ़, बीटीसी में बहुमत से 3 सीटें पीछे रह गई थी। असम में बीपीएफ़ के कुल 12 विधायक हैं और 3 बीजेपी सरकार में मंत्री हैं। कहा जा रहा है कि बीपीएफ़ के अलग होने से बीजेपी को नुक़सान हो सकता है। 2014 में बीपीएफ़ ने कांग्रेस से 13 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। कांग्रेस की अगुआई वाले गठबंधन ने बीपीएफ़ के फ़ैसले का स्वागत किया है। असम में 3 चरणों में विधानसभा चुनाव के मतदान हैं- 27 मार्च, 1 और 6 अप्रैल।
चीन के साथ कारोबारी संबंध में बदलाव की ज़रूरत: विदेश सचिव श्रृंगला
भारत और चीन के रिश्ते करवट ले रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प और सैन्य तनातनी के बीच द्विपक्षीय रिश्तों में कई मोर्चों को़ फिर से देखा जा रहा है। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि भारत और चीन के व्यापारिक संबंध को ठीक करने की ज़रूरत है।
अंग्रेज़ी अख़बार ' द हिन्दू' ने श्रृंगला के इस बयान को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार श्रृंगला ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 78 अरब डॉलर का है और यह चीन के पक्ष में बहुत ज़्यादा है। चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में भारत वहां से आयात ज़्यादा करता है जबकि चीन निर्यात ज़्यादा करता है। श्रृंगला ने अपनी बात रविवार को 'एशिया एकॉनॉमिक डायलॉग 2021' में रखी। इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और पुणे इंटरनेशनल सेंटर ने किया था।
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत के रिश्ते ट्रंप के दौर से कितने अलग होंगे? इस पर श्रृंगला ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों में एक किस्म की निरंतरता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रपति बराक ओबामा और राष्ट्रपति ट्रंप दोनों से अच्छी दोस्ती थी। भारत के लिए चीन सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। श्रृंगला ने कहा कि चीन के साथ कारोबारी रिश्ते को फिर से ठीक करने की ज़रूरत है।
गांधी परिवार को धन पहुंचाते थे नारायणसामी: अमित शाह
हिन्दी अख़बार दैनिक 'जागरण' ने गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान को प्रमुखता से जगह दी है जिसमें उन्होंने पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री नारायणसामी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नारायणसामी केंद्रीय सहायता के रूप में मिलने वाले 15 हज़ार करोड़ रुपए का धन गांधी परिवार तक पहुंचाते थे। यह धनराशि केंद्रशासित प्रदेश को प्रशासनिक और विकास कार्यों के लिए दी जाती थी। शाह ने कहा कि कांग्रेस में योग्यता की कोई कद्र नहीं है। 2016 में पुडुचेरी में कांग्रेस ने चुनाव ए. नमासिवयम के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था लेकिन मुख्यमंत्री बनाया नारायणसामी को। नमासिवयम अब बीजेपी में हैं।
अरविंद केजरीवाल मेरठ में किसान महापंचायत में शामिल हुए
रविवार को अरविंद केजरीवाल ने उत्तरप्रदेश के मेरठ में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए प्रदेश की योगी सरकार को निशाने पर लिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चीनी मिल मालिकों के सामने पूरी तरह से बेबस हैं। केजरीवाल ने कहा कि यूपी में गन्ने के किसानों का चीनी मिल मालिकों के पर 18 हज़ार करोड़ रुपए का बकाया है लेकिन सरकार कुछ कर नहीं पा रही है।
केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के दुख और समस्या को नहीं समझ पा रही है। 'एकॉनॉमिक टाइम्स' ने केजरीवाल के संबोधन की ख़बर को दूसरे नंबर के पन्ने पर जगह दी है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार चाहे तो बिना कोई नया पैसा खर्च किए देश की 23 की 23 फसलों पर एमएसपी दे सकती है।
केजरीवाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि 23 लाख करोड़ रुपए लगेंगे। किसान मुफ़्त में एमएसपी नहीं मांग रहे बल्कि बदले में किसान कई तरह की फसल देंगे। पिछले कुछ सालों मे केंद्र सरकार ने अपने पूंजीपति साथियों के 8 लाख करोड़ रुपए का क़र्ज़ माफ़ कर दिया लेकिन किसानों की बात आती है तो इन्हें घाटा होने लगता है।