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ओलंपिक में अपने मुल्क के नाम के बिना रूसी खिलाड़ियों का कमाल

हमें फॉलो करें ओलंपिक में अपने मुल्क के नाम के बिना रूसी खिलाड़ियों का कमाल

BBC Hindi

, सोमवार, 9 अगस्त 2021 (09:59 IST)
रूस के एथलीट टोक्यो ओलंपिक से साल 2004 के बाद से सर्वाधिक पदक लेकर अपने देश लौट रहे हैं। हालांकि, इस साल ओलंपिक में रूस की टीम, झंडा और राष्ट्रगान सभी प्रतिबंधित थे। रूस के एथलीट इस साल रूसी ओलंपिक समिति (आरओसी) के नाम से टोक्यो ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिए। डोपिंग स्कैंडल की वजह से रूस के ओलंपिक में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध था। आरओसी एथलीटों ने इस साल 20 स्वर्ण पदकों के साथ कुल 71 पदक जीते। ये रूसी एथलीटों का साल 2004 के बाद से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
 
आरओसी ने बीजिंग, लंदन के प्रदर्शन को पीछे छोड़ा
 
आरओसी पदक तालिका में पांचवें नंबर पर रहा। इस ओलंपिक में रूसी एथलीटों ने 2008 बीजिंग और 2012 लंदन ओलंपिक से भी अच्छा प्रदर्शन किया। तब रूस की टीम अपने झंडे के साथ मैदान में उतरी थी।
 
इस साल रूसी एथलीटों ने लंदन के मुक़ाबले तीन और बीजिंग से 11 अधिक मेडल जीते हैं। जहां तक गोल्ड मेडल का सवाल है, रूसी ओलंपिक समति के एथलीटों ने रियो 2016 से एक अधिक और लंदन के बराबर मेडल जीते हैं।
 
इस बार रूसी एथलीटों ने और अधिक गोल्ड मेडल जीते होते यदि उन्होंने पारंपरिक तौर पर अपने मज़बूत खेलों में उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन किया होता।
 
रूसी एथलीट कई ऐसे मुक़ाबलों में फ़ाइनल में नहीं पहुंच पाए जिनमें वो पारंपरिक तौर पर मज़बूत रहे हैं।
 
रिदमिक जिम्नास्टिक के फ़ाइनल में इस बार रूसी ओलंपिक समिति के एथलीट नहीं पहुंच पाए जबकि ट्रैक एंड फ़ील्ड खेलों में इसके सिर्फ़ दस खिलाड़ी ही हिस्सा ले सके।
 
कामयाबी या मज़ाक?
 
आरओसी के अध्यक्ष स्टेनिसलाफ़ पोज़्दनयाकोफ़ ने अपनी टीम के लिए इस ओलंपिक को कामयाब माना है।
 
हालांकि आलोचकों का कहना है कि आरओसी के एथलीटों की कामयाबी ने प्रतिबंधों का मज़ाक बना दिया है।
 
रूसी एथलीटों को टोक्यो में कई सवालों का सामना भी करना पड़ा। कई बार ये तक कहा गया कि उन्हें टोक्यो में होना चाहिए था या नहीं।
 
हालांकि खेल के मैदानों में रूसी एथलीटों ने अपनी विनम्रता बनाए रखी। तैराक एवजीनी राइलोफ़ ने कहा कि रूस के डोपिंग इतिहास को देखते हुए अमेरिकी तैराक रियान मर्फ़ी के पास ये कहने का अधिकार था कि 'उनकी नस्ल दोषमुक्त नहीं है।'
 
तीन सौ से अधिक एथलीट तीन खेलों में उतरे
 
रियो ओलंपिक में रूस के ट्रैंक एंड फ़ील्ड एथलीटों को हिस्सा नहीं लेने दिया गया था। इसी वजह से रूस की हाई जंपर (ऊंची कूद खिलाड़ी) मारिया लेसितस्केने खेलों में हिस्सा नहीं ले पाईं थीं। टोक्यो ओलंपिक के दौरान उन्होंने कहा कि वो रूस के बारे में लोगों की राय को अब समझती हैं।
 
शनिवार को स्वर्ण पदक जीतने के बाद मारिया ने कहा, 'जो पांच साल पहले हुआ, संभवतः वो होना ही चाहिए था। इससे बहुत सा करियर बर्बाद हो गया जिसमें मेरा करियर भी शामिल है। लेकिन शायद मुझे इससे और मज़बूत होकर खड़े होने की प्रेरणा मिली ताकि ये स्वर्ण पदक मेरे गले में लटक सके।'
 
'आपको उससे आगे बढ़ना ही होगा, आपको उसे स्वीकार करना ही होगा। आपको ये भी समझना होगा कि ऐसे लोग है जो चाहते हैं कि आप यहां मैदान में हो ही ना। लेकिन मैं उन्हें भी समझती हूं। मैं ये भी जानती हूं कि वो ऐसा क्यों सोचते हैं। लेकिन मैंने अपने आप को इस खेल में इतना समर्पित कर दिया था कि मैं हार नहीं मान सकती थी।'
 
रूस के तीन सौ से अधिक एथलीटों ने आरओसी के बैनर तले तीस से अधिक खेलों में हिस्सा लिया।
 
रूस के एथलीटों ने पुरुष और महिला जिमनास्टिक में स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा कुश्ती, निशानेबाज़ी, तलवारबाज़ी और तैराकी में स्वर्ण पदक हासिल किए।
 
उन्होंने बिना रूसी झंडे के खेलों में हिस्सा लिया। जब आरओसी एथलीट स्वर्ण जीतते थे तो रूस के झंडे की जगह ओलंपिक छल्लों वाला सफ़ेद झंडा ऊंचा किया जाता था। उनके देश के राष्ट्रगान की जगह पियानो की ध्वनी बजाई जाती थी।
 
हालांकि रूसी खिलाड़ियों को रूसी झंडे के लाल, सफ़ेद और नीले रंग के ट्रैकसूटों में खेलने दिया गया।
 
रूस पर साल 2022 तक के लिए प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध हैं।
 
साल 2022 में जब बीजिंग में शीत ओलंपिक होंगे तो रूसी एथलीट एक बार फिर आरओसी के बैनर तले उतरेंगे।

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