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इंटरनेट बना खतरा

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दुर्लभ प्रजातियों के लिए इंटरनेट बहुत बड़ा खतरा बनकर सामने आया है।

BBC
कतर की राजधानी दोहा में दुर्लभ प्रजातियों की खरीद-फरोख्त विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा गया कि आजकल इंटरनेट के माध्यम से कोई भी चीज खरीदना और बेचना पहले के मुकाबले बहुत आसान हो गया है, फिर चाहे वो शेर का जिंदा बच्चा हो या ध्रुवीय भालू की खाल।

सम्मेलन में 175 देशों के प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया।

इंटरनेशनल फंड फोर एनिमल वेलफेयर के पॉल टॉड का कहना था, 'संरक्षित प्रजातियों के वैश्विक व्यापार में इंटरनेट की बहुत बड़ी भूमिका है।'

उनका कहना है कि इंटरनेट पर हज़ारों लुप्तप्राय प्रजातियों का लगातार व्यापार हो रहा है। चूँकि इंटरनेट की बाजारू दुनिया बहुत बड़ी है इसलिए खरीदार और बेचने वाले दोनों अपनी पहचान छुपा लेते हैं और इसका उन्हें फायदा मिलता है।

गैरकानूनी व्यापार पर नजर रखने वाली एजेंसियों का कहना है कि ये व्यापार कितने का है इसका सही अंदाजा लगाना मुश्किल है। उनका कहना है कि इस व्यापार का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है, लेकिन यूरोप, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया भी अहम भूमिका में है।

प्रतिनिधियों ने ध्रुवीय भालुओं, ब्लूफिन टूना और दुर्लभ मोतियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर रोक लगाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया।

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