इतिहास कायम कर रही है नैना
- उमर फारूक (हैदराबाद से)
नौ साल की नैना उन 18 लाख विद्यार्थियों में से एक है जो इन दिनों आंध्र प्रदेश में इंटरमीडिएट या प्लस टू की परीक्षा दे रही हैं, लेकिन दुबली पतली-सी मुस्कुराती नैना अन्य छात्रों से भिन्न है।वास्तव में यह लड़की इस समय केवल परीक्षा नहीं बल्कि इतिहास लिख रही है। नैना अब तक इस परीक्षा में बैठने वाली समसे कम आयु की लड़की है।राज्य सरकार ने उस की असाधारण प्रतिभा को देखते हुए उसे परीक्षा में बैठने की विशेष अनुमति दी है। हैदराबाद के सुल्तानुल उलूम जूनियर कॉलेज में सभी परीक्षार्थियों के बीच नैना आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।सैंट मेरी जूनियर कॉलेज की यह छात्रा पहले ही एक बड़ा कारनामा अंजन दे चुकी है। उसने मैट्रिक या दसवीं की परीक्षा आठ साल की उम्र में ही पास कर ली थी।दोनों हाथों से लिखने की क्षमता : नैना अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता अश्विनी कुमार को देती है जो एक अध्यापक हैं और जिन्होंने नैना का उत्साह बढ़ाने और उसकी प्रतिभा निखारने में खास दिलचस्पी दिखाई थी। अश्विनी कुमार का कहना है की नैना आम बच्चों जैसी है। वो कहते हैं, 'हर बच्चे को भगवान एक विशेष गुण देता है और यह माता-पिता का काम है कि उसे पहचाने और बच्चे को ठीक ढंग से आगे बढ़ाए।' अश्विनी ने कहा कि नैना पाँच साल की थी तभी उन्हें एहसास हुआ कि इस लड़की में असाधारण क्षमता है। इसी उम्र में उसने गीता के श्लोक याद कर लिए और बाद में उसे गीत का रूप देकर एल्बम के लिए रिकॉर्ड भी करवाया गया।उसके बाद अश्विनी कुमार ने अपनी बेटी को अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगु भाषा सिखानी शुरू की। अन्य विषय उसने खुद ही पढ़ने शुरू कर दिए।छोटी से नैना भविष्य के लिए बड़ी-बड़ी आशाएँ रखती है। एक ओर वह आईएएस अधिकारी बन कर देश की सेवा करना चाहती है तो दूसरी ओर वह ओलिम्पिक में टेबल टेनिस का मेडल लेना चाहती है। इस खेल में नैना माहिर भी है और राष्ट्रीय स्तर पर उसने आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है।शिक्षा में इतनी आगे जाने के बाद भी नैना कहती है कि वह कोई किताबी कीड़ा नहीं है बल्कि वह अपने समय का खेल और पढ़ाई में बराबर बँटवारा करती है। नैना को संगीत में भी रूचि है। वो पिआनो और माउथ ऑर्गन भी बजाती है।एक दिलचस्प प्रतिभा उसकी ये भी है कि वो एक साथ दोनों हाथों से लिख सकती है।