आज से टीवी पर शुरू हो रहा है एक नया रिएलिटी शो 'बिग स्विच' जो दो अलग-अलग सामाजिक वर्गों के युवाओं को एक-साथ लाएगा। इस शो को होस्ट कर रही हैं फिल्म अभिनेत्री जेनिलिया डिसूजा। मुम्बई की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की जिंदगी पर आधारित अंग्रेजी फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' को इस साल कई ऑस्कर्स मिले।
लेकिन यूटीवी बिंदास की सीईओ जरीना मेहता कहती हैं, 'बिग स्विच, स्लमडॉग मिलियनेयर से प्रभावित नहीं है क्योंकि वो फिल्म भारतीय स्लम्स पर पश्चिमी नजरिया है जबकि हमने इस शो के जरिये स्ल्मस को एक बिल्कुल अलग तरीके से देखने की कोशिश की है।
दस अमीर युवा मुम्बई की एक झुग्गी झोपड़ी में पंद्रह दिन और रातों के लिए रहे और वहाँ की जिंदगी जीनी जी। हर सुपररिच किड की जोड़ी एक झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले युवा के साथ की गई है जो ड्रीमर्स है। ये अमीर युवा अपने स्लम बडीज के सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।
दस अमीर युवाओं में से एक हैं अभिनेता कबीर बेदी के बेटे एडम बेदी। एडम कहते हैं कि ज्यादातर रियलिटी शोज में प्रतियोगियों को ईनाम के तौर पर बहुत सारा पैसा मिलता है, लेकिन बिग स्विच इन सबसे अलग है क्योंकि इससे स्लम में रहने वालों की मदद होगी। वो कहते हैं, 'इस शो में कोई भी प्रतियोगी ईनाम में मिलने वाले पैसों के लिए नहीं बल्कि जरुरतमंदों की मदद के लिए हिस्सा ले रहा है।'
अमेरिका में पले-बढ़े एडम बेदी पिछले सात-आठ साल से भारत में रह रहे हैं जहाँ वो ऐक्टिंग और मॉडलिंग से जुड़े हैं। वो कहते हैं कि उन्हें झुग्गी-झोपड़ी में रहने में कोई तकलीफ नहीं हुई बल्कि ये एक बेहतरीन अनुभव था।
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एडम ने कहा, 'इस शो की वजह से मुझे कई ऐसी बातों को अनुभव का मौका मिला जिन पर हम रोज-मर्रा की जिंदगी में ध्यान नहीं देते हैं। शूटिंग के दौरान तीन दिन तक लगातार बारिश हुई। इससे हमें पता चला कि झुग्गी-झोपड़ियों में मूलभूत सुविधाओं की कितनी कमी है और उन्हें हर साल बारिश के मौसम में इन समस्याओं से जूझना पड़ता है।'
एक और अमीर प्रतियोगी सत्ताइस वर्षीय सबाह मजीद अमेरिका में रहती हैं और संगीत और मनोरंजन की दुनिया से जुड़ी हैं। एडम की ही तरह उनका भी कहना है कि इस शो ने संपन्न परिवारों के युवाओं को एक ऐसी जीवनशैली से परिचित कराया जिनकी उन्हें आदत नहीं है।
बाइस वर्ष के भावेश झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं और उनका सपना है अपना एक घर। भावेश शो में एडम बेदी के स्लम बडी हैं। इस शो के बारे में भावेश को उनके भाई ने बताया था।
वो कहते हैं, 'मैं बहुत बोलता हूँ तो मेरे भाई को लगा कि शो में मेरा चांस बढ़िया है। बाइस लड़कों में से अकेला मैं चुना गया था। लेकिन मैं हिस्सा लेने के बारे में फैसला नहीं कर पा रहा था क्योंकि मैं एम.कॉम. का छात्र हूँ और मेरे इम्तिहान होने वाले थे। मैंने अपनी माँ से बात की तो उन्होंने कहा कि सबको ऐसा मौका नहीं मिलता है और मुझे इसे नहीं गँवाना चाहिए। इम्तिहान तो दूसरे सत्र में भी दिए जा सकते हैं। तब मैंने बिग स्विच में हिस्सा लेने का फैसला किया।'
जाहिर है जहाँ चार बर्तन होंगे वो खड़केंगे भी। इस बारे में भावेश का कहना था, 'एक ही परिवार के सदस्यों में भी झगड़े होते हैं और फिर यहाँ तो दो बिल्कुल अलग सामाजिक स्तर के बीस लोग थे। इसलिए थोड़ा बहुत झगड़ा और गलतफहमियाँ भी हुईं। लेकिन फिर भी हमें अपने अमीर पार्टनर्स को कोई भी काम करने के लिए ज्यादा कहने की जरूरत नहीं पड़ी।'
सबाह मजीद भी कहती हैं कि इस शो से सभी बीस प्रतियोगियों को एक-दूसरे से काफी कुछ सीखने का मौका मिला। सबाह कहती हैं, 'इतने दिन फोन, लैपटॉप और पैसे के बिना रहना एक अलग, लेकिन सकारात्मक अनुभव था। एक कमरे में बीस लोग एक साथ रह रहे थे जिसकी वजह से सब कुछ बहुत सोच-समझ कर और प्लैनिंग के साथ करना पड़ता था।'
ऐडम बेदी कहते हैं कि बाकी रियलिटी शोज की तरह बिग स्विच में मनोरंजन भी है, रोमांच भी है और टेंशन भी है।