एक अध्ययन से पता चला है कि जल्दी सोने से किशोरों में अवसाद और आत्महत्या के विचारों से छुटकारा मिलता है।
एक अमरीकी शोध में 12 से 18 वर्ष के किशोरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार जो किशोर 12 बजे के बाद सोते हैं उनमें उन किशोरों की तुलना में जो 10 बजे से पहले सोते हैं, अवसाद का खतरा 24 प्रतिशत अधिक रहता है।अमेरिकी जनरल में छपे अध्ययन के मुताबिक जो किशोर पाँच घंटे सोते हैं उनमें आठ घंटे साने वालों किशोरों की तुलना में अवसाद का जोखिम 71 प्रतिशत अधिक रहता है।एक आकलन के अनुसार सिर्फ ब्रिटेन में ही 80 हजार किशोर अवसाद से ग्रसित हैं।न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने 90 के दशक में इकट्ठा किए गए साढ़े 15 हजार किशोरों के डाटा का अध्ययन किया और पाया कि 15 से में एक किशोर अवसाद से ग्रसित है।खूब सोएँ : अध्ययन में किशोरों पर माता-पिता के रहन-सहन के असर के बारे में भी बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जिन बच्चों के माता-पिता आधी रात के बाद सोते हैं उनके बच्चों में अवसाद का खतरा 20 प्रतिशत अधिक रहता है।पाँच घंटे से कम सोने वालों बच्चों में आत्महत्या के विचार का खतरा 48 प्रतिशत अधिक है। साथ ही अध्ययन में ये भी कहा गया है कि जो बच्चे भरपूर सोते हैं उनमें अवसाद का खतरा 65 प्रतिशत कम होता है।अवसाद और आत्महत्या के विचार का आना किशोरियों में अधिक है। साथ ही उन बड़े किशोरों में भी अधिक है जिनके माता-पिता उनकी देखभाल कम करते है।औसत रूप से किशोर सात घंटे और 53 मिनट सोते हैं जबकि इन उम्र के किशोरों को नौ घंटे सोने की सलाह दी जाती है। यंगमाइंड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी साराह ब्रेनन का कहना है कि भावनात्मक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिए भरपूर सोना, अच्छा खाना और नियमित व्यायाम आवश्यक है।