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जीभ के जरिए देखना संभव

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हमें फॉलो करें इराक़ युद्ध
BBC
इराक़ युद्ध में अपनी आँखें गँवाने वाले ब्रिटेन के एक सैनिक क्रेग लुंडबर्ग का कहना है कि प्रौद्योगिकी के कमाल ने उनकी दुनिया ही बदल दी है और अब इस नई तकनीक के माध्यम से अपनी जीभ के जरिए 'देख' सकते हैं।

24 वर्षीय लैफ्टिनेंट कार्पोरल क्रेग लुंडबर्ग ब्रिटेन के वॉल्टन, मर्सीसाइड इलाक़े में रहते हैं और इराक में 2007 में एक बम विस्फोट में जब बुरी तरह घायल हो गए थे तो उनकी आँखों पर बहुत बुरा असर हुआ था और उनकी रौशनी चली गई थी।

अब नई प्रोद्योगिकी के जरिए विकसित की गई इस तकनीक के माध्यम से वो अपनी जीभ के जरिए शब्दों को पढ़ सकते हैं, आकारों को पहचान सकते हैं और बिना किसी की सहायता के चल-फिर भी सकते हैं।

इस प्रोद्योगिकी या मशीन का नाम ब्रेनपोर्ट है।

इस सैनिक का कहना है कि ये उपकरण उनकी जीभ में कुछ सनसनी पैदा करता है, हालाँकि उसमें कोई पिन या नुकीली चीज नहीं लगी होती है।

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने क्रेग लुंडबर्ग को इस मशीन के प्रयोग के लिए चुना। इस मशीन में एक छोटा-सा वीडियो कैमरा चश्मे में लगा हुआ है। इस चश्मे का कनेक्शन कैंडी के आकार की लॉली पॉप जैसी छोटी सी मशीन से जुड़ा हुआ है।

इस लॉली पॉप को ही प्रयोगकर्ता अपनी जीभ पर लगाता है और उसकी विद्युतीय धड़कनों के जरिए शब्दों को पढ़ना और आकारों को पहचानना संभव होता है।

कैंडी जैसी मशीन : लैफ्टिनेंट कार्पोरल क्रेग लुंडबर्ग का कहना था कि जब वो इस लॉली पॉप को अपनी जुबान पर रखते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे वो नो वोल्ट वाली एक बैटरी को चाट रहे हों।

उन्होंने कहा, 'मुझे इस लॉली पॉप को जीभ से छुआने से कुछ लाइनों और आकारों का अहसास होता है। ये मशीन काली और सफेद चीजों को देख लेती है, तो इस तरह मेरी जीभ पर दो आयामी वाली तस्वीरें बनती हैं। ये उसी तरह की सनसनी होती है जैसीकि कोई पिन या सुई लगाने से होती है, मगर बहुत तीखी नहीं।'

क्रेग लुंडबर्ग का कहना था, 'यह कोई बहुत बड़ी चीज नहीं है मगर इससे मेरे जीवन में जो परिवर्तन की संभावना है वो कोई मामूली नहीं है, उसका बहुत बड़ा असर है। नेत्रहीन लोगों के लिए यह उपकरण और प्रोद्योगिकी सचमुच एक बहुत बड़ी उम्मीद लेकर आई है।'

क्रेग लुंडबर्ग कहते हैं, 'इस मशीन ने मुझे चीजें उठाने के योग्य बना दिया है यानी मैं इस मशीन के जरिए चीजों के स्थान को भाँपकर उन्हें आसानी से उठा सकता हूँ। इसके जरिए मैं सीधे चीजों तक पहुँचकर उन्हें हाथ से उठा सकता हूँ जबकि पहले तो मुझे चीजों को हाथ से अनुभव करना होता था, यानी उन्हें हाथ से तलाश करके फिर उठा पाता था।'

फिलहाल क्रेग लुंडबर्ग को रास्ता दिखाने के लिए एक प्रशिक्षित कुत्ता ह्यूगो साथ रहता है और क्रेग का कहना है कि वो अपने इस कुत्ते को अभी तो साथ ही रखेंगे।

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस मशीन और प्रशिक्षण के लिए लगभग 18 हजार पाउंड की रकम अदा की जाएगी।

इस मशीन में एक कमी ये नजर आती है कि जब ब्रेनपोर्ट नामक इस मशीन को मुँह में रखकर इस्तेमाल किया जाता है तो व्यक्ति ना तो बोल सकता है और ना ही कुछ खा-पी सकता है।

इसलिए अब कुछ कंपनियाँ इसी तरह की एक छोटी-सी मशीन बनाने पर विचार कर रहे हैं जिसे दाँतों के पीछे या मुँह के ऊपरी हिस्से में स्थाई रूप से फिट किया जा सके जिससे इसका स्वभाविक इस्तेमाल किया जा सके।

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