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टाई न पहनने से बचेगी बिजली!

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BBC
मुंबई में कुछ लोगों ने बिजली और जलवायु संकट से बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया है। कार्पोरेट घरानों के लिए काम करने वाले ये लोग बिजली बचाने के लिए लोगों को टाई न पहनने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे लोग आराम महसूस करते हैं और एयरकंडीशनर नहीं चलाना पड़ता।

कुछ रिपोर्टों के मुताबिक मुंबई शहर में रोज खपत होने वाली 27 सौ मेगावाट बिजली में से एक हजार मेगावाट बिजली एयरकंडीशनरों पर खर्च होती है।

बिजली की बचत : इस साल सितंबर में बांग्लादेश की सरकार ने बिजली बचाने के लिए अपने कर्मचारियों को सूट, जैकेट और टाई न पहनने का आदेश दिया था। बांग्लादेश सरकार ने अपने अधिकारियों और मंत्रियों को एयरकंडीशनर का तापमान 24 डिग्री सेल्शियस से कम न करने को कहा था।

'नो टाई कैंपेन' के सहसंस्थापक धीरज श्रीनिवासन कहते हैं, 'मैंने कहीं पढ़ा था कि टाई पहनने से इंसान गर्मी महसूस करता है। ऐसा होने पर वह ऑफिस का तापमान कम करने को कहता है। एयरकंडीशनर के अधिक प्रयोग से कार्बन के उत्सर्जन की दर बढ़ जाती है।'

उन्होंने बताया, 'जब मैंने ऊर्जा विशेषज्ञों से इस संबंध में सलाह ली तो उन्होंने मुझे समझाया कि सामान्य तापमान 24- 26 डिग्री सेल्शियस की जगह जब हम 18-20 डिग्री सेल्शियस तापमान कर लेते हैं तो इसमें करीब 25 फीसदी अधिक बिजली की खपत होती है।'

श्रीनिवासन ने कहा कि टाई पहनना ब्रितानी संस्कृति है।

उन्होंने कहा, 'अंग्रेजों की गर्मियों के मौसम का अधिकतम तापमान हमारे लिए सर्दियों के मौसम का न्यूनतम तापमान हो सकता है। हमें यह देखने की जरूरत है कि काम की जगह पर टाई पहनने की जरूरत है या नहीं।'

उन्होंने कहा, 'हमें भारतीय मौसम के अनुकूल शर्ट और कुर्ते जैसे कपड़े पहनने चाहिए।'

पयार्वरण का सवाल : इस अभियान के दूसरे सह संस्थापक संजय विश्वनाथन ने कहा, 'जब लोग टाई पहनते हैं तो एसी का तापमान घटाकर न्यूनतम कर दिया जाता है।'

उन्होंने कहा, 'हम लोगों से यह नहीं कह रहे हैं कि उन्हें हमेशा के लिए टाई पहनना छोड़ देना चाहिए बल्कि पर्यावरण संबंधित मामलों के प्रति जागरूकता के लिए उनके दिमाग में इसका बीज डालना चाहते हैं।'

विश्वनाथन बताते हैं कि उनके अभियान को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ लोग पूछते हैं कि इसका परिणाम क्या होगा, वहीं कुछ लोग सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं।

ये अभियान अब हर साल तीन मई को 'नो टाई डे' मनाने का प्रयास कर रहा है।

श्रीनिवासन कहते हैं, 'स्थानीय स्तर पर हम बिजली बचाने पर चर्चा करेंगे, राष्ट्रीय स्तर पर हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि मौसम के मुताबिक कपड़े कैसे होने चाहिए। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम जलवायु संकट के प्रभाव पर चर्चा करेंगे।'


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