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तेलंगाना में प्रदर्शन, बंद का आह्वान

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उमर फारूक, बीबीसी संवाददाता, हैदराबाद से , सोमवार, 28 दिसंबर 2009 (12:47 IST)
BBC
आंध्रप्रदेश में अलग तेलंगाना राज्य बनाने की माँग के समर्थन में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। तेलंगाना ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सोमवार और मंगलवार को विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल का आह्वान किया है, जबकि 30 दिसंबर को तेलंगाना बंद बुलाया गया है।

तेलंगाना क्षेत्र के सभी राजनीतिक दलों और 65 गैर-सरकारी महिला, छात्र और समाजसेवी संगठनों वाली तेलंगाना ज्वाइंट एक्शन कमेटी अलग राज्य के अभियान का नेतृत्व कर रही है।

कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर कोडंडा राम ने बीबीसी को बताया क्षेत्र के सभी राजनीतिक संगठन एक जुट हैं और सोमवार, मंगलवार को विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ रीले भूख हड़ताल जारी रहेगी। इस अभियान में क्षेत्र में गाँवों के स्तर से लेकर शहरों तक, सभी जगहों पर प्रदर्शन होंगे, ताकि केंद्र सरकार पर अलग तेलंगाना राज्य बनाने के लिए दबाव बनाया जाएगा।

जहाँ राज्य सरकार में अपने पदों से इस्तीफे देने वाले 13 पूर्व मंत्री केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी को मिले हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने सोंमवार से 'जय आंध्र' अभियान शुरू किया है, जिसके तहत जनता में जागरुकता पैदा की जाएगी कि किस तरह छोटे राज्यों के गठन से बेहतर प्रशासन दिया जा सकता है और पिछड़ापन दूर किया जा सकता है।

गौरतलब है कि अलग तेलंगाना राज्य की माँग वैसे तो दशकों पुरानी है, लेकिन कुछ हफ्ते पहले तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के चंद्रशेखर राव ने भूख हड़ताल पर बैठकर इस ओर केंद्र का ध्यान आकर्षित किया था और उनके अनशन के ग्यारहवें दिन केंद्र ने अलग तेलंगाना राज्य बनाने की माँग स्वीकार करने की घोषणा की थी।

लेकिन इसके विरोध में तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों में संयुक्त आंध्रप्रदेश के पक्ष में प्रदर्शन और आंदोलन शुरू हुआ था। केंद्र सरकार ने दोबारा घोषणा करते हुए कहा था कि सभी राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद ही अलग तेलंगाना राज्य पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा और प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात होगी।

इसके जवाब में तेलंगाना से निर्वाचित होने वाले 119 में से 93 विधायकों और राज्य के 13 मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था और तेलंगाना ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन हुआ था।

हैदराबाद चलो रैली, पुलिस का रुख : उधर, हाल में तेलुगू देशम पार्टी के एक विधायक पर उस्मानिया विश्वविद्यालय में हमला हुआ था, जिसके लिए टीडीपी ने टीआरएस के कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराया था और ज्वाइंट एक्शन कमेटी की बैठक से वॉकआउट कर दिया था।

लेकिन टीडीपी के खिलाफ जनाक्रोश भड़क उठा और कई जगहों पर टीडीपी के दफ्तरों को आग लगा दी गई और उसके नेताओं को घेरा जाने लगा।

रविवार को प्रोफेसर कोडंडा राम और टीडीपी नेताओं की बैठक हुई, जिसमें टीडीपी ने कहा कि क्षेत्र में उसके 39 विधायक हैं और उन्हें उचित सम्मान मिलना चाहिए। इसके बाद टीडीपी फिर ज्वाइंट एक्शन कमेटी के अभियान में लौट आई है।

उधर, उस्मानिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने तीन जनवरी को 'हैदराबाद चलो' रैली का आह्वान किया है और दावा किया है कि लगभग पाँच लाख छात्र उस दिन अलग तेलंगाना राज्य के समर्थन में हैदराबाद में एकत्र होंगे।

दूसरी ओर प्रशासन ने इस रैली की इजाजत नहीं दी है। पुलिस का कहना है कि यदि छात्रों या अन्य लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसने की कोशिश की तो उन्हें रोका जाएगा।

महत्वपूर्ण है कि तेलंगाना क्षेत्र में पहले से छह विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षा संगठन बंद है और इनमें दो बड़े विश्वविद्यालय हैं-हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय और वारंगल स्थित काकतिया विश्वविद्यालय।

आंध्रप्रदेश के जिन 13 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया था, उन्होंने केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी से बातचीत की है। एक पूर्व मंत्री गीता रेड्डी ने बीबीसी को बताया-हमें आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही आपको खुशखबरी दी जाएगी।

...लेकिन इन पूर्व मंत्रियों ने प्रणब मुखर्जी की उस हिदायत को ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पूर्व मंत्री अपने इस्तीफे वापस ले लें।

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