तेलंगाना में बंद से यातायात बाधित
उमर फारुख (बीबीसी संवाददाता, हैदराबाद से)
आंध्र प्रदेश में अलग तेलंगाना राज्य की माँग में समर्थन में बुधवार को एक दिन के बंद का असर नजर आने लगा है। दक्षिण मध्य रेलवे ने 165 ट्रेनों को रद्द कर दिया है जबकि सड़क परिवहन ने 3500 बसों को रद्द किया है। यातायात में लोगों को सुबह से ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) ने पहले ही 30 दिसंबर को बुलाए गए बंद को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। आंदोलनकारियों ने मुख्य मार्ग बंद कर दिए हैं और आदिलाबाद जैसी जगहों पर लोगों ने टायर जला कर सड़क मार्ग पर रख दिए हैं। आंध्र प्रदेश के मंत्रिमंडल की बुधवार को होने वाली बैठक को रद्द करना पड़ा है और शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि बंद के कारण मंत्रिमंडल की बैठक रद्द करनी पड़ी हो। हालाँकि इसका एक कारण ये भी बताया कि तेलंगाना के 13 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है और उन्होंने इस बैठक में हिस्सा लेने से मना कर दिया था। बंद को देखते हुए आंध्रप्रदेश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं क्योंकि इस बंद का आह्वान कई राजनीतिक संगठनों और विभिन्न छात्र संस्थाओं ने किया है। धारा 144 लागू कर दी गई है। मुख्यमंत्री के रोसइया ने आगाह किया है कि आंदोलन के चलते राज्य एक बड़े आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। इस बीच तेलंगाना समस्या का हल खोजने के लिए केंद्र सरकार उच्च अधिकारियों की एक समिति का गठन करने पर विचार कर रही है। इसी मुद्दे पर केंद्र की कोर समिति की एक बैठक भी हुई जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल थे। इसके बाद चंद्रशेखर राव ने कहा है कि वे अलग राज्य के गठन के मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं। वहीं तेलंगाना में अनेक जगहों पर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। मंगलवार को कई बड़े राजमार्गों पर चक्का जाम कर दिया गया और यातायात रुक गया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम जनता भी अनेक जगहों पर सड़कों पर उतर आई है। सीपीआई (माओवादी) के प्रवक्ता एम कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी ने बीबीसी को बताया कि सीपीआई माओवादी 30 दिसंबर के बंद का समर्थन करेगी। प्रमुख तौर पर यह समर्थन छात्रों की जारी गिरफ़्तारियों के खिलाफ है। साथ ही हम नए राज्यपाल ईएल नरसिम्हन को आंध्र का कार्यभार सौंपे जाने की निंदा करते हैं क्योंकि वे निर्दोष लोगों को निशाना बनाने के दोषी हैं। दो जनरवरी को पाँच राज्यों में माओवादियों के बंद का आहवान पहले ही किया जा चुका है और यह तेलंगाना क्षेत्र में लागू होगा।विवाद : अलग तेलंगाना राज्य की माँग काफ़ी पुरानी है। कुछ हफ़्ते पहले तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर राव भूख हड़ताल पर चले गए थे और अंतत अनशन के ग्यारहवें दिन केंद्र ने अलग तेलंगाना राज्य बनाने की माँग स्वीकार करने की घोषणा की थी। लेकिन इसके विरोध में तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों में संयुक्त आंध्र प्रदेश के पक्ष में प्रदर्शन और आंदोलन शुरु हो गया है। इसके कुछ दिन बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने बयान दिया था कि सभी राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद ही अलग तेलंगाना राज्य पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। तेलंगाना से निर्वाचित होने वाले 119 में से 93 विधायक और राज्य के 13 मंत्री अपने पदों से इस्तीफ़ा दे चुके हैं और तेलंगाना ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन हुआ है। मंगलवार को कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने यातायात ठप्प कर दिया था। वारंगल, हैदराबाद-विजयवाड़ा, करीमनगर-निजामाबाद, महबूबनगर-रायचूर और हैदराबाद-नागपुर राजमार्ग पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था। उस्मानिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने तीन जनवरी को हैदराबाद चलो रैली बुला रखी है। उन्होंने क्लबों, होटलों और अन्य संस्थाओं से अनुरोध किया है नववर्ष से संबंधित सभी पार्टियों को रद्द किया जाए और इसकी जगह पर तेलंगाना चेतना दिवस मनाया जाए। विजयवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी ने अलग तेलंगाना राज्य के पक्ष में जय आंध्र अभियान शुरु किया है जबकि तेलंगाना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने विजयवाड़ा में भाजपा के दफ़्तर पर हमला किया है और तोड़फोड़ की है। वारंगल में भी विशाल प्रदर्शन हुए हैं और करीमनगर में 'रास्ता रोको' अभियान चल रहा है।