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दिल्ली नहीं दुर्ग है बलात्कार की राजधानी!

सलमान रावी, कोजीकोड, केरल से

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, मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013 (12:14 IST)
BBC
अगर आपको लगता है कि भारत में सबसे ज्यादा बलात्कार दिल्ली में होते हैं और देश की राजधानी महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित है तो जान लीजिए ऐसा नहीं है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2011 में सबसे ज्यादा बलात्कार छत्तीसगढ़ के दुर्ग-भिलाई के इलाके में हुए हैं।

आंकड़े बताते हैं कि 2011 में दिल्ली में प्रति एक लाख की आबादी में 2.8 बलात्कार हुए जबकि दुर्ग-भिलाई में ये औसत 5.7 का बताया जाता है। इस दौरान दुर्ग जिले के जामुल थाने में सबसे ज्यादा 9 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए।

जामुल थाना भिलाई शहर का वो इलाका है जहां झुग्गी झोपड़ियां ज्यादा हैं। यहा ज्यादातर मजदूर या फिर दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग रहते हैं। इन बस्तियों में अपराध के दूसरे मामले भी काफी ज्यादा हैं।

क्यों इतने बलात्कार : सुमति (बदला हुआ नाम) का यौन उत्पीड़न उस व्यक्ति ने किया जिसके मकान में वो पति से अनबन होने के बाद किराए पर रहने आईं।

सुमति के मामले में केस तो दर्ज हुआ लेकिन मामला पुलिस तक पहुंचने से पहले ही उन्हें यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। अभियुक्त के जेल जाने के बाद भी उन्हें धमकियां मिल रही हैं।

सुमति ने बताया कि वो मुझे मामला वापस लेने को कह रहे थे। इनमें एक वकील भी था जो एक बड़े नेता का बेटा है। वो कह रहे थे कि अगर मैंने मामला वापस नहीं लिया तो वो मेरे पास गांजा और चरस रखवा कर फंसवा देंगे।

जामुल थाने के प्रभारी उप निरीक्षक शेर सिंह ठाकुर कहते हैं कि बलात्कार के ज्यादातर मामले इन्हीं बस्तियों से दर्ज किए गए हैं।

मगर उनका कहना है कि इनमें ज्यादातर मामले घटनात्मक बलात्कार के नहीं हैं बल्कि ऐसे मामले ज्यादा हैं जब लोग साथ रहते थे और अलग हुए तो महिला नें शारीरिक शोषण का आरोप लगाते हुए बलात्कार का मामला दर्ज करवाया।

दुर्ग जिले के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2011 में बलात्कार के कुल 68 मामले दर्ज किए गए और पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इनमे से 51 मामले शहरी क्षेत्र के हैं।

जिले के पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश पाल का कहना है, 'इनमें 32 मामले ऐसे हैं जिनमें लड़की नाबालिग हैं। जांच में पता चला है कि उनकी इच्छा से ही प्रेम संबंध चलता रहा। मगर चूंकि वो नाबालिग हैं इसलिए इच्छा से होने के बावजूद बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं।'

पुलिस का कहना है कि 15 मामले ऐसे हैं जहां लड़का और लड़की 'लिव-इन' संबंध के तहत एक साथ रहते थे। बाद में अलग होने के बाद लड़कियों ने बलात्कार के मामले दर्ज कराए है।

पुलिस का कहना है कि कई ऐसे मामले हैं जहां लड़के और लड़की ने भागकर शादी कर ली। चूंकि लड़की नाबालिग थी तो ऐसे में भी बलात्कार के ही मामले दर्ज किए गए।

इंसाफ की मुश्किल राह : दुर्ग से लगा भिलाई शहर मिनी इंडिया के नाम से जाना जाता है जहां इस्पात संयंत्र की वजह से समाज और देश के हर वर्ग के लोग रहते हैं। हाल के सालों में भिलाई को 'एजुकेशन हब' के रूप में भी जाना जा रहा है क्योंकि यहां निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों की बाढ़ सी आ गई है।

यही वजह है यहां बड़ी संख्या में युवक और युवतियां यहां शिक्षा प्राप्त करने के लिए या तो होस्टलों में रहते हैं या फिर कमरा लेकर अकेले रहते हैं।

भिलाई के सिविक सेंटर में कोचिंग क्लासेस में पढ़ने वाली कुछ लड़कियों ने कहा कि शहर में अकेले आने जाने में उन्हें काफी डर लगता है क्योंकि लगभग हर सड़क पर मनचलों का बोलबाला है।

वहीं देव स्पोकन इंग्लिश सेंटर चलाने वाले देवतीर्थ साहू कहते हैं कि उन्होंने देर शाम लड़कियों को पढ़ाना बंद कर दिया है। वो कहते हैं, 'खास तौर पर जो लड़कियां दूर रहती हैं, हमने उनसे कह दिया है कि वो दिन के वक्त ही आकर पढ़ें। वैसे भी जब तक लड़कियां वापस घर लौट नहीं जातीं हैं हमें डर लगा रहता है।'

कल्याण कॉलेज में विज्ञान के प्रोफेसर डीएन शर्मा कहते हैं कि बलात्कार की ज्यादातर घटनाएं भिलाई की झुग्गी झोपड़ियों में होती हैं जहां के लोग थानों में जाकर शिकायत दर्ज नहीं करवाते हैं।

शर्मा कहते हैं कि समाज का ताना बाना आज भी ऐसा है कि ज्यादातर बलात्कार के मामले थानों तक नहीं पहुंचते हैं। अगर पहुंचते भी हैं तो पुलिसवाले उन्हें दर्ज करने में आनाकानी करते हैं। अगर अभियुक्त कोई पहुंच वाला है तो पीड़ित महिला इंसाफ के लिए भटकती रहती है।

महिला जजों की मांग : वहीं नारी सशक्तिकरण के लिए एक लंबे अरसे से काम कर रहीं माधवी दानी का कहना है कि पुलिस बल में महिलाओं की कमी भी एक बड़ी वजह है जिस कारण महिलाएं थानों में मामले दर्ज करने जाना नहीं चाहती।

इसके अलावा कानूनी प्रक्रिया में जहां जज से लेकर वकील तक सब मर्द हों तो ऐसे में पीड़ित महिला को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।

इसी का फायदा अभियुक्तों को मिलता है क्योंकि वर्ष 2011 में दुर्ग के न्यायलय में 27 मामलों में फैसले सुनाए गए और इनमे सिर्फ तीन मामलों में ही अभियुक्तों को सजा सुनाई गई जबकि 24 अभियुक्तों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में देशभर में लगभग 68,000 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। मगर इनमे से सिर्फ 16,000 अभियुक्तों को ही सजा हो पाई।

इसी तरह वर्ष 2009 से लेकर 2011 तक महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के 1,22,292 मामले दर्ज किए गए जिनमें 27,408 अभियुक्तों के खिलाफ ही कारवाई हो पाई।

महिला संगठनों की मांग है कि महिला थानों के साथ साथ ही बलात्कार के मामलों के लिए महिला जजों के न्यायलय भी होने चाहिए ताकि पीड़ित महिलाओं को अपनी बात रखने में शर्मिंदगी का सामना नहीं करना पड़े।

बलात्कार के आंकड़े : 5.7 प्रतिशत की दर के बावजूद पुलिस का दावा है कि दूसरे राज्यों और शहरों खासकर दिल्ली की तुलना में दुर्ग और भिलाई शहर महिलाओं के लिए आज भी काफी सुरक्षित हैं।

मगर पत्रकार सुशील सोनी कहते हैं कि जिस हिसाब से भिलाई और दुर्ग की आबादी बढ़ रही है उस हिसाब से पुलिस व्यवस्था यहां चुस्त और दुरुस्त नहीं है। वो कहते हैं कि पुलिस की कमजोरी की वजह से ही अपराधियों का मनोबल बाधा हुआ है जो बलात्कार और दूसरे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में वर्ष 2011 में बलात्कार के कुल 24,206 मामले दर्ज किए गए हैं जिसमे उत्तर भारत में 6,227 मामले और दक्षिण भारत में 3,894 मामले दर्ज हुए।

सिर्फ बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में इस तरह के 4,409 मामले दर्ज किए गए जबकि छत्तीसगढ़ में 1053।

बलात्कार के आंकड़ों में 3404 मामलों के साथ मध्य प्रदेश सबसे ऊपर है वहीं दमन द्वीव में इस तरह का एक ही मामला पाया गया।

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