पान की पीक से दीवारों और सड़कों को खराब होने से बचाना भारत में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन लंदन भी अब पीक की पिचकारी की चपेट में है।
उत्तर पश्चिमी लंदन में ब्रेंट इलाके में नगरपालिका ने पान खाकर सड़क गंदा करने वालों के खिलाफ एक नई मुहिम शुरू की है, क्योंकि वहाँ कई इलाको में फुटपाथ पीक से रंग गए हैं।
पान की पीक को साफ करना कोई आसान काम नहीं है, तेज धार वाले वाटर स्प्रे से धोने के बाद भी उसके निशान हटते नहीं हैं, इसलिए अब पान थूकने वालों पर 80 पाउंड यानी लगभग छह हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा रहा है।
पिछले साल दिसंबर में पुलिस अधिकारियों, स्थानीय नेताओं और व्यापारियों की एक बड़ी बैठक बुलाई गई थी जिसमें 500 लोगों ने इस नई समस्या से छुटकारा पाने के तरीकों पर विचार किया था।
स्थानीय काउंसिलर गेविन स्नेडोन कहते हैं, 'पान के निशान से ब्रेंट इलाके की छवि खराब होती है, लोग हमारे इलाके को घटिया और गंदा समझने लगते हैं।'
ब्रेंट इलाके में गुजराती समुदाय के लोगों की अधिक आबादी है, यहाँ भारतीय रेस्तराँ के अलावा पान की भी कई दुकानें हैं।
ब्रेंट के वेम्बली इलाके में रहने वाली व्यवसायी गीता सरीन इस समस्या से खासी परेशान हैं, वे कहती हैं, 'लोग न सिर्फ फुटपाथ पर थूकते हैं बल्कि उन्होंने मेरे घर के दरवाजे के बाहर और फेंस पर भी पान की पीक फेंकी है। इसकी वजह से मैं काफी परेशान हूँ।'
इस समय ब्रेंट काउंसिल को पान की पीक साफ करने के लिए सालाना 20 हजार पाउंड यानी लगभग 15 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
काउंसिल ने लोगों को पान की समस्या के बारे में जागरूक बनाने के लिए 17 हजार पाउंड की लागत से एक विशेष अभियान चलाने का फैसला किया है। इस अभियान के तहत जगह-जगह पोस्टर, बैनर लगाए जाएँगे और लोगों को पान की पीक थूकने से मना किया जाएगा।
काउंसिलर स्नेडोन कहते हैं कि लोग अगर नहीं समझेंगे तो सख्ती भी की जाएगी, 'अगर पुलिस और स्थानीय समुदाय के लोग मिलकर काम करेंगे तो हमारी सड़कों पर थूकने से पहले लोगों को दो बार सोचना होगा।'
वैसे ब्रेंट अकेला इलाक़ा नहीं है जहाँ यह समस्या है, लंदन से बाहर लेस्टर और बर्मिंघम जैसे कई और शहरों में भी जहाँ दक्षिण एशियाई लोगों की आबादी अधिक है वहाँ यह समस्या देखने को मिल रही है।