इंटरनेट की नियामक संस्था आईसीएएनएन का कहना है कि इंटरनेट अपने अस्तित्व के बाद के सबसे बड़े बदलाव के कगार पर है। चालीस वर्ष पहले इंटरनेट अस्तित्व में आया था और अब पहली बार इंटरनेट पर टाइप किए जाने वाले पते या वेब एड्रेस के अक्षर लैटिन से अलग लिपि में होंगे।
यह प्रस्ताव 2008 में स्वीकार किया गया था जिसके तहत डोमेन नाम इत्यादि एशियाई, अरबी और अन्य लिपियों में भी रखे जा सकेंगे।
इंटरनेट को-ऑपरेशन फॉर एसाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) के अनुसार इस प्रस्ताव को अंतिम रूप 30 अक्टूबर को दिया जाएगा और गैर लातिन लिपि में पहला कार्य 16 नवंबर को शुरू होगा। आईसीएएनएन के अध्यक्ष रॉड बेकस्ट्राम ने संगठन के दक्षिण कोरिया में हो रहे एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया कि ये अंतरराष्ट्रीय डोमेन नाम अगले साल के मध्य से काम करना शुरू कर देंगे।
उनका कहना था, ‘आज दुनिया भर में करीब डेढ़ अरब लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इनमें से आधे लोग ऐसी भाषा बोलते हैं जिसकी लिपि लैटिन नहीं है।’
बैकस्ट्राम कहते हैं, ‘दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों के लिए यह बदलाव बेहद जरुरी है ताकि भविष्य में भी इंटरनेट का विस्तार हो सके।’
इस बदलाव को लागू करने के लिए बने बोर्ड के चेयरमैन पीटर डेनगेट थ्रस का कहना था कि योजना 2008 में पारित हुई थी लेकिन इसके लिए सिस्टम के परीक्षणों में काफी समय लगा है।
उनका कहना था, ‘आप इसकी तारीफ करते नहीं थकेंगे कि यह कितना जटिल काम है। हमने एक बिल्कुल अलग अनुवाद की प्रणाली बना दी है।’
इसके तहत इंटरनेट के डोमेन नाम अनुदित हो जाएँगे जैसे bbc.co.uk बदल कर दूसरी भाषा में एक आईपी एड्रेस बन जाएगा लेकिन यह बदलाव कंप्यूटर के नंबरों के जरिए होगा। थाईलैंड और चीन में इस तकनीक का इस्तेमाल कर उनकी भाषा में आईपी एड्रेस तैयार होते हैं, लेकिन इन्हें अभी तक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नहीं है।