मन में श्रद्धा लिए लाखों महिलाएँ एक साथ
- जौन मैरी (केरल से)
दुनिया में शायद ही कहीं महिलाओं का इतना बड़ा समूह इकट्ठा हुआ होगा जितना कि गत रविवार को दक्षिण भारतीय राज्य केरल में जमा हुआ था। केरल की पारंपरिक साड़ी पहने बीस लाख से भी अधिक महिलाएँ राज्य की राजधानी त्रिवेंदरम में पूजा के लिए एकत्रित हुई थीं।वे हिंदू देवी काली और सरस्वती की अवतार भगवती देवी को विशेष प्रकार का भोग चढ़ाने के लिए जबर्दस्त गर्मी को बर्दाश्त करती हुई आई थीं। जय-जयकार की आवाजें आसमान छू रही थीं, इस 10 दिन के वार्षिक महोत्सव में चावल और गुड़ से लबालब मिट्टी के बरतन से अट्टुकल मंदिर की मुख्य देवी को चढ़ावा चढ़ाने में वे सारी महिलाएँ वहाँ के पुजारी के साथ थीं।वे अपने परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आशीर्वाद लेने आई थीं। यहाँ से वह प्रसाद के तौर पर पोंगला लेकर वापस लौटेंगी और उसे अपने परिवार और सगे संबंधियों को बाँटेंगी।यह एक अनूठा महोत्सव है और इससे बड़ा कोई और उत्सव नहीं है। अट्टुकल मंदिर में जमावड़ा पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है। सिर्फ 25 साल पहले तक यह उत्सव साधारण हुआ करता था और यहाँ इतने ही लोग आते थे जितने मंदिर के परिसर में समा जाते थे।लेकिन जब से इस मंदिर से जुड़े लोगों ने ट्रस्ट स्थापित कर लिया उसके बाद से यह उत्सव ज्यादा सुसंगठित हो गया, इसकी ख्यति हुई और बड़ी संख्या में महिलाएँ सारे देश से आने लगीं यहाँ तक कि विदेश से भी महिलाएँ आने लगीं।संख्या : गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने 1997 में पहली बार यहाँ आने वालों की संख्या को प्रामाणित करते हुए 15 लाख का आँकड़ा दिया था। आयोजकों के अनुसार पिछले साल यहाँ 25 लाख की भीड़ इकठ्ठा हुई थी और इस बार उनका अनुमान है कि 30 लाख लोग जमा होंगे।अट्टुकल भगवती मंदिर ट्रस्ट के सचिव केपी रामचंद्रन नायर ने कहा कि अगले वर्ष से नेशनल ज्याग्रॉफी चैनल से जुड़ी एक संस्था एरियल यानी हवाई सर्वेक्षण करेगी जिससे संख्या का ज्यादा सही पता चल पाएगा।
यह बहुत बड़ा कारनामा है। तीन हजार पुलिस बल यहाँ रात-दिन तैनात रहते हैं जिनमें से 600 महिला पुलिस कर्मचारी हैं। दो हजार पुजारियों को अलग-अलग जगह पर बिठाया गया है जो पोंगला पर पवित्र जल छिड़कते रहते हैं। 50 मोबाइल शौचालय भी मौजूद है।रविवार को बड़े पैमाने पर चढ़ावा चढ़ाने के लिए स्थानीय समय के मुताबिक सवा दस बजे पकवान पकना शुरू हुआ। मुख्य पुजारी ने मंदिर के सामने चूल्हे में आग जलाई और इसके साथ ही शहर में फैले हजारों अस्थाई चूल्हों से धुँए उठने लगे।भक्त : आँखों में आँसू लिए चीत्कार के साथ महिला श्रद्धालुओं ने मंत्र का जाप शुरू किया और अगले साल तक के लिए देवी माँ की कृपा जगाई।मलयालम की मशहूर टीवी अभिनेत्री चिप्पी भी वहाँ मौजूद थीं। उन्होंने कहा, 'मुझे याद नहीं कि मैं कितनी बार पोंगल में आ चुकी हूँ।' उन्होंने कहा, 'मैं यहाँ इसलिए आती हूँ क्योंकि मुझे विश्वास है कि अट्टुकलम्माँ (देवी माँ) अगले साल तक मेरा और मेरे परिवार का खयाल रखेंगी।'हर किसी को मंदिर के पास चढ़ावा पकाने का मौका नहीं मिल पाता और इसलिए जिसे जहाँ जगह मिलती है वहाँ चूल्हा बना लेता है। जो लोग मंदिर के पास रहते हैं वे बहुत सी महिलाओं को पोंगला पकाने का निमंत्रण देते हैं। अंग्रेजी भाषा की एक रिटायर्ड प्रोफेसर एमएस हेमा ने 100 से अधिक अपने दोस्तों और परिजनों को अपने घर पर आमंत्रित किया था।उनके मेहमानों में सैन फ्रांसिस्को की डायान जेनेट भी शामिल हैं जो 1997 के बाद से हर साल यहाँ आती हैं। वह यहाँ की महिलाओं की सामूहिक श्रद्धा जैसे विषय पर अमेरिका से पीएचडी कर रही है।उन्होंने कहा, 'इसकी व्याख्या करना मुश्किल है। मेरे दिल में ये खयाल पैदा हुआ कि मैं यहाँ हर साल आऊँ। पोंगल कुल मिला कर संप्रदाय, भक्ति और समानता के बारे में है।"उन्होंने कहा, 'इस प्रकार का दुनिया में कुछ और नहीं है। यह अद्भूत है जिस प्रकार सारा शहर महिलाओं की इस पूजा में सहायता करता है। कोई भी महिलाओं की पूजा के लिए सैन फ्रांसिस्को को एक दिन के लिए बंद करने की सोच भी नहीं सकता।'कहा जाता है कि किलियार नदी के पास जहाँ यह मंदिर स्थित है वहाँ भगवती देवी एक लड़की के भेस में आई थीं और उन्होंने नदी पार करने के लिए एक स्थानीय परिवार से मदद माँगी। उस परिवार ने उनकी मदद की फिर वह गायब हो गईं।प्राचीन धार्मिक पुस्तकों में आता है कि भगवती बुराई को खत्म करती हैं और दुनिया में अच्छाई की सुरक्षा करती हैं।