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मोदी और ममता की चक्की में फंसे उद्योगपति

- पीएम तिवारी (कोलकाता से)

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हमें फॉलो करें नरेन्द्र मोदी
, बुधवार, 10 अप्रैल 2013 (12:12 IST)
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पश्चिम बंगाल के उद्योगपतियों को गुजरात में निवेश करने के लिए आमंत्रित करने मंगलवार को राजधानी कोलकाता पहुंचे नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम तो भव्य रहा, लेकिन इसने राज्य के प्रमुख उद्योगपतियों को मोदी बनाम ममता की चक्की के बीच फंसा दिया।

ममता की नाराजगी के डर से कुछ प्रमुख उद्योगपति तो समारोह में पहुंचे ही नहीं, तो जो लोग पहुंचे उनमें भी मोदी के साथ मंच पर बैठने की खास ललक नहीं दिखी। व्यापारिक नफा-नुकसान तो अपनी जगह है, लेकिन पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर लेने का साहस भला कोई कैसे करता!

मोदी के इस कार्यक्रम का आयोजन बंगाल के तीन सबसे बड़े व्यापारिक संगठनों- भारत चैंबर ऑफ कामर्स (बीसीसी), इंडियन चैंबर आफ कामर्स (आईसीसी) और मर्चेंट चैंबर ऑफ कामर्स (एमसीसी) ने मिलकर किया था।

महानगर के पांच सितारा होटल में आयोजित इस सम्मेलन में लगभग सात सौ से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे जिनमें कई बड़े उद्योग समूहों के प्रमुख नाम थे।

गैर हाजिर : मगर सम्मेलन में शिरकत नहीं करने वालों में जाने-माने उद्योगपति हर्ष गोयनका का नाम सबसे प्रमुख था। इसकी वजह उनका विदेश में होना कहा गया। वैसे कोई यह नहीं बता सका कि उनकी विदेश यात्रा का कार्यक्रम मोदी का कार्यक्रम तय होने के पहले से था या बाद में बना।

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कभी वाममोर्चा सरकार के बेहद करीबी समझे जाने वाले गोयनका की अब ममता बनर्जी की अगुवाई सरकार से अच्छी पट रही है। उनके अलावा आरपी गोयनका समूह के मुखिया संजीव गोयनका और पैटन समूह के मालिक संजय बुधिया भी महानगर से बाहर होने की वजह से सम्मेलन में नहीं आ सके।

इन दोनों के मामले में भी यह साफ नहीं था कि उनका महानगर से बाहर होना महज एक संयोग था या सोची-समझी रणनीति के तहत ऐसा किया गया।

वैसे, व्यापारिक हलकों में कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी को नाराज नहीं करने के मकसद से ही यह लोग मोदी के कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए, लेकिन आयोजकों की दलील है कि उनकी गैर-मौजूदगी महज एक संयोग है।

मोदी-ममता की दूरी : नरेंद्र मोदी से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उसी समय से नाराज हैं जब रतन टाटा की लखटिकया परियोजना के लिए उन्होंने गुजरात में कौड़ियों के मोल जमीन दे दी थी।

उसी वजह से टाटा ने रातों-रात सिंगुर से बोरिया-बिस्तर समेट लिया था। मोदी के दौरे के मौके पर ममता दिल्ली चली गईं।

यही नहीं, आखिरी मौके पर सरकार ने मोदी के नागरिक अभिनंदन के लिए नेताजी इंडोर स्टेडियम देने से भी मना कर दिया था। पहले स्टेडियम खाली होने की बात कहने के बावजूद सरकार ने आखिर में कहा कि आठ से दस अप्रैल तक वह स्टेडियम एक स्थानीय मीडिया हाउस ने बुक कर लिया है।

वह मीडिया घराना ममता का करीबी है। ऐसे में सरकार के दावे पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

इस सम्मेलन में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को भी न्योता नहीं दिया गया। एमसीसी के दीपक जालान इस फैसले का बचाव करते हुए कहते हैं, 'खास कर किसी दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री के किसी व्यापारिक सम्मेलन में आने की हालत में स्थानीय सरकार के किसी मंत्री को न्योता नहीं देने की परंपरा है।'

सीपीएम के नेता सूर्यकांत मिश्र कहते हैं, 'ममता फिलहाल मोदी से मिलने में शर्मा रही हैं और वे इस समय यह खतरा नहीं उठाना चाहती हैं। वे कहते हैं कि बाद में समीकरण बदलने पर ममता फिर भाजपा के करीब जा सकती हैं।'

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