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हाफिज सईद से यासीन मलिक की मुलाकात का सच

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, मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013 (17:47 IST)
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'जब मैंने 2006 में हाफिज सईद के कैम्प में जाकर उनसे चार घंटे बातचीत की, उनके जलसे में भाषण दिया तब हिंदुस्तान में इतना हंगामा क्यों खड़ा नहीं हुआ?' कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने ये सवाल किया है।

भारत जिस हाफिज सईद को 26 नवंबर को मुंबई पर हुए हमलों के लिए जिम्मेदार मानता है, उनके साथ यासीन मलिक की तस्वीरें और वीडियो प्रकाशित होने पर हंगामा खड़ा हो गया है।

उन्होंने कहा है कि न तो उन्होंने हाफिज सईद को आमंत्रित किया था और न ये मुलाकात किसी जलसे में हुई।

हाफिज सईद पाकिस्तान से काम करने वाले चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक माने जाते हैं और भारत में वो मोस्ट वांटेड हैं। अमेरिका ने भी उनकी गिरफ्तारी में मदद करने वाले को एक करोड़ डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है।

इस्लामाबाद से बीबीसी हिंदी को दिए एक इंटरव्यू में यासीन मलिक ने सफाई दी है कि वो अफजल गुरू को फांसी दिए जाने के खिलाफ इस्लामाबाद प्रेस क्लब में अनशन पर बैठे थे जहां हजारों दूसरे लोगों के साथ हाफिज सईद भी पहुंचे।

संयोग? : 'जब मैंने 2006 में हाफिज सईद के कैम्प में जाकर उनसे चार घंटे बातचीत की, उनके जलसे में भाषण दिया तब हिंदुस्तान में इतना हंगामा क्यों खड़ा नहीं हुआ?'- यासीन मलिक, कश्मीरी अलगाववादी नेता।

उन्होंने कहा, 'वहां हजारों की तादाद में लोग आए थे। सिविल सोसाइटी, मानवाधिकार कार्यकर्ता और आजाद कश्मीर की पूरी लीडरशिप वहां थी। हाफिज सईद भी 15 मिनट के लिए आए और फिर चले गए।'

यासीन मलिक ने कहा कि ये सच है कि वो अपने व्यक्तिगत काम से अपनी दस महीने की बच्ची के दस्तावेज (पासपोर्ट आदि) बनवाने के लिए पाकिस्तान गए थे (यासीन मलिक की पत्नी पाकिस्तानी हैं)। लेकिन अफजल गुरू को फांसी की खबर मिलने के बाद उन्होंने शांतिपूर्ण प्रतिरोध करने के लिए अनशन किया। मलिक ने सवाल उठाया कि हंगामा अभी क्यों उठाया जा रहा है।

यासीन मलिक ने कहा, 'ये शख्स (हफीज सईद) 2006 में भी हिंदुस्तान के लिए मोस्ट वांटेड था, सलाऊद्दीन साहब (हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख) भी मोस्ट वांटेड था। पर तब मैं उनके मुरीदा वाले कैम्प में गया। मैंने हफीज सईद के साथ मीटिंग की, उनके मंच पर भी मैं गया। मैंने मिलिटेंट लीडरशिप से कहा कि वो शांति प्रक्रिया में हिस्सा लें, पर तब हिंदुस्तान में ये विवाद उठा?'

यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेताओं में से हैं, लेकिन अब वो शांतिपूर्ण तरीके से कश्मीर की लड़ाई लड़ने का संकल्प कर चुके हैं।

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