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केन्द्रीय जाँच ब्यूरो को तगड़ा झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस तथा उनके दो नाबालिग बेटों को जिंदा जलाने के दोषी दारासिंह को मौत की सजा देने की अपील को खारिज कर दिया लेकिन साथ ही उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।

न्यायाधीश पी सदाशिवम तथा न्यायाधीश बी एस चौहान की पीठ ने मौत की सजा दिए जाने की सीबीआई की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मौत की सजा केवल 'दुर्लभतम मामलों' में ही दी जाती है और वह भी तथ्यों तथा हर केस की स्थिति के अनुसार।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में दोषियों ने जिस अपराध को अंजाम दिया है, वह बेहद निंदनीय है लेकिन दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता जिसके लिए मौत की सजा दी जाए।

दारासिंह और महेन्द्र हेमब्रोम को स्टेंस तथा उनके दोनों बेटों को जिंदा जलाने का दोषी पाया गया था। स्टेंस तथा उनके दोनों बेटों को उड़ीसा के क्योंझार जिले के मनोहरपुर गांव में 22 जनवरी 1999 को उस समय जिंदा जला दिया था जब वे रात में एक गिरिजाघर के बाहर वैन में सो रहे थे।

पीठ ने पिछले साल 15 दिसंबर को सीबीआई, अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल विवेक तंखा तथा दोषियों के वकीलों के तर्को को विस्तार से सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। (भाषा)

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