Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

फैशन न बन जाए खतरा...

हमें फॉलो करें फैशन न बन जाए खतरा...
webdunia
NDND
- अनिल कुमा

फैशन के वशीभूत आपने सुंदर सी 4-5 इंच ऊँची हील की सैंडिल्स तो खरीद ली, पर ये क्या मात्र दो हफ्ते बाद ही पाँवों के साथ-साथ आपकी कमर में भी दर्द रहने लगा। तो सावधान हो जाइए। ऊँची एड़ी के फुटवेयर पहनना गलत नहीं है लेकिन इसके भी कुछ कायदे और सीमा हैं।

यह सच है कि ऊँची एड़ी वाली सैंडिल व जूते पहनने से कद में थोड़ा-सा इजाफा हो जाता है। साथ ही हाई हील सैंडिल पहनी हुई लड़कियों व महिलाओं का व्यक्तित्व भी आकर्षक दिखता है व चाल भी बढ़िया लगती है।

लेकिन चूँकि शरीर का पूरा वजन पैरों पर ही निर्भर करता है, इसलिए यह जरूरी है कि जूते तथा सैंडिल आकर्षक होने के साथ-साथ आरामदायक भी हो। अतः यह आवश्यक है कि इनकी खरीददारी करते समय चुनाव पर विशेष ध्यान दिया जाए। याद रखिए ऊँची एड़ी के चप्पल या सैंडिल लगातार, ज्यादा समय तक पहने रहने से नसों में खिंचाव महसूस होने लगता है।

ऊँची एड़ी के सैंडिल या जूते आगे से सँकरे व नीचे की ओर झुके होते हैं और इनका एड़ी वाला भाग काफी ऊँचा होने के कारण ऊँगली वाले भाग पर दबाव पड़ता है, जिससे ऊँगलियों पर कई गुना जोर पड़ता है। इससे पैर की मांसपेशियों की शक्ति क्षीण होने लगती है। परिणामस्वरूप पिंडलियों में स्थायी तौर पर दर्द की शिकायत हो जाती है। यही नहीं, ऊँची एड़ी के चप्पल या सैंडिलों की वजह से कई बार नसों में सूजन भी आ जाती है।

खेलकूद, पर्वतारोहण, पिकनिक, सैर-सपाटे के लिए तो ऊँची एड़ी के जूते-चप्पल सर्वथा अनुपयुक्त रहते हैं। इसलिए ऐसी जगहों पर सामान्य जूते-चप्पल ही पहनने चाहिए। हाई हील के सैंडिल अथवा जूते रोजाना इस्तेमाल करने से इनका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और गर्भावस्था में ऐसी सैंडिलें पहनने से तो महिलाओं को गर्भपात का खतरा भी रहता है।

ऊँची एड़ी के चप्पल अथवा सैंडिलें पहनकर चलने से सामान्य रूप से चलने में भी दिक्कत होती है। यदि तेज दौड़कर बस पकड़नी हो तो पैरों में मोच आने की आशंका रहती है। कई बार तो हाई हील की सैंडिलें पहने होने के कारण गिरने से लोगों की हड्डियाँ भी टूट जाती हैं।

ऊँची एड़ी के जूते या सैंडिल शरीर पर अनावश्यक भार डालते हैं और इनसे पाँवों की स्थिति एकदम सीढ़ीनुमा बन जाती है, जो नेत्र ज्योति तक को प्रभावित करती है। इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि हमारे स्वास्थ्य का संबंध काफी हद तक हमारे पैरों की स्वस्थता पर भी निर्भर करता है।

चिकित्सकों के मतानुसार पाँव ही हमारे शरीर की रक्त वाहिनियों के केंद्र बिंदु हैं, इसलिए इनकी देखरेख भी शरीर के अन्य अंगों की भाँति समुचित रूप से की जानी चाहिए। चिकित्सकों के अनुसार पैरों से ही पूरे शरीर के समस्त अंगों का संचालन होता है, अतः पैरों की उपेक्षा किसी भी कीमत पर नहीं की जानी चाहिए।

होम्योपैथी चिकित्सा परिषद नई दिल्ली के सचिव एवं चिकित्सक डॉ. ललित वर्मा के अनुसार ऊँची एड़ी के सैंडिल महिलाओं में कम उम्र में
हाई हील के सैंडिल अथवा जूते रोजाना इस्तेमाल करने से इनका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और गर्भावस्था में ऐसी सैंडिलें पहनने से तो महिलाओं को गर्भपात का खतरा भी रहता है
webdunia
बुढ़ापा ला देते हैं। ऊँची एड़ी की सैंडिल से कैलकेनियम बोन बढ़ जाती है और एड़ी के साथ ही कमर एवं शरीर की अन्य हड्डियों में भी दर्द का कारण बन जाती है, अतः जहाँ तक संभव हो ऊँची एड़ी के सैंडिल का प्रयोग कम-से- कम करना चाहिए।

एक सर्वेक्षण के अनुसार हाई हील पहनने वाली महिलाओं में से करीब नब्बे फीसदी महिलाओं को पैरों में दर्द की शिकायत रहती है।

ऊँची एड़ी के जूते अथवा सैंडिल प्रकृति के नियमों के विरुद्ध भी है क्योंकि इनसे शरीर के भार का गुरुत्व केंद्र बदल जाता है। यदि आप अपने कद को ऊँचा उठाना चाहती हैं तो ऐसे जूते-चप्पल या सैंडिल पहनें, जो सभी तरफ से ऊँचे उठे हों, न कि केवल एड़ी की तरफ सेही। यह ज्यादा आरामदेह होगा। एक या दो इंच से अधिक एड़ी वाले सैंडिल तो कदापि नहीं पहनने चाहिए।

अपने स्वास्थ्य को दाँव पर लगाकर फैशन का अंधानुकरण किया जाना भला कहाँ की बुद्धिमानी है। पैरों में जूते या सैंडिल पहनने का उद्देश्य पैरों को सुरक्षित व आरामदायक स्थिति में रखना है, न कि फैशन के वशीभूत होकर पैरों व स्वयं को खतरे में डालना। यह कभी न भूलें कि जूते-चप्पल पैरों के लिए हैं, पैर जूते-चप्पलों के लिए नहीं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi