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मुहांसों के 8 आयुर्वेदिक उपचार, कारण और सावधानियां

हमें फॉलो करें मुहांसों के 8 आयुर्वेदिक उपचार, कारण और सावधानियां
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मुंहासों का कारण होता है वसा ग्रन्थियों (सिबेसियस ग्लैंड्स) से निकलने वाले स्राव का रुक जाना। यह स्राव त्वचा को स्निग्ध रखने के लिए रोम छिद्रों से निकलता रहता है।  लेकिन इसका स्त्राव रूक जाने पर त्वचा पर फुंसी या मुंहासे के रूप में इकट्ठा हो जाता है, जिसे 'एक्ने वल्गेरिस' कहते हैं। जानिए कारण, उपचार और सावधानी - 

कारण : तेज मसालेदार, तले हुए, उष्ण प्रकृति वाले पदार्थों का अधिक सेवन करना, रात को देर तक जागना, सुबह देर तक सोना, देर से शौच व स्नान, निरंतर कब्ज, कामुक विचार करने, ईर्षा व क्रोध करने, स्वभाव में गर्मी व चिड़चिड़ापन रखने आदि कारणों से शरीर में गर्मी बढ़ती है और तैलीय वसा के स्राव में रुकावट पैदा होती है, जिससे कील-मुंहासे निकलने लगते हैं।
सावधानी : हलका, सुपाच्य और सादा आहार पथ्य है, अधिक शाक-सब्जी का सेवन करना, अधिक पानी पीना, शीतल व तरावट वाले पदार्थों का सेवन करना पथ्य है। तेज मिर्च-मसालेदार, तले हुए, मांसाहारी पदार्थों तथा मादक द्रव्यों का सेवन करना अपथ्य है।

आयुर्वेदिक उपचार : 1 गाय के ताजे दूध में एक चम्मच चिरौंजी पीसकर इसका लेप चेहरे पर लगाकर मसलें। सूख जाने पर पानी से धो डालें।
2 सोहागा 3 ग्राम, चमेली का शुद्ध तेल 1 चम्मच। दोनों को मिलाकर रात को सोते समय चेहरे पर लगाकर मसलें। सुबह बेसन को पानी से गीला कर गाढ़ा-गाढ़ा चेहरे पर लगाकर मसलें और पानी से चेहरा धो डालें।
3 मसूर की दाल 2 चम्मच लेकर बारीक पीस लें। इसमें थोड़ा सा दूध और घी मिलाकर फेंट लें और पतला-पतला लेप बना लें। इस लेप को मुंहासों पर लगाएं।

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4 शुद्ध टंकण और शक्ति पिष्टी 10-10 ग्राम मिलाकर एक शीशी में भर लें। थोड़ा सा यह पावडर और शहद अच्छी तरह मिलाकर कील-मुंहासों पर लगाएं।साफ पत्थर पर पानी डालकर जायफल घिसकर लेप को कील-मुंहासों पर लगाएं।
5 लोध्र, वचा और धनिया, तीनों 50-50 ग्राम खूब बारीक पीसकर शीशी में भर लें। एक चम्मच चूर्ण थोड़े से दूध में मिलाकर लेप बना लें और कील-मुंहासों पर लगाएं। आधा घण्टे बाद पानी से धो डालें।
सफेद सरसों, लोध्र, वचा और सेन्धा नमक 25-25 ग्राम बारीक चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें। एक चम्मच चूर्ण पानी में मिलाकर लेप बना लें और कील-मुंहासों पर लगाएं।

7 कूठ, प्रियंगु फूल, मजीठ, मसूर, वट वृक्ष की कोंपलें (नरम छोटी पत्तियां), लोध्र, लाल चंदन, सब 10-10 ग्राम बारीक चूर्ण करके मिला लें। एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे कील-मुंहासों पर लगाएं।
8  वरुण (वरना) की छाल 25 ग्राम लेकर एक गिलास पानी में इतनी देर तक उबालें कि पानी आधा गिलास बचे। लाल चन्दन, काली मिर्च और जायफल, तीनों का पिसा हुआ बारीक चूर्ण 10-10 ग्राम लेकर मिला लें और शीशी में भर लें। कुनकुने गर्म पानी से कील-मुंहासों को धोकर, इस चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें और कील-मुंहासों पर लगाएं। लेप सूख जाए तब कुनकुने गर्म पानी से धो डालें।

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