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सखी बाबुल
फेशियल से चेहरा चमकाने का प्रचलन आजकल सिर्फ विशिष्ट वर्ग की महिलाओं में ही नहीं रहा है, आम मध्यमवर्गीय महिला भी अब "फेशियल" की प्रक्रिया से सुपरिचित है। पड़ोस के ब्यूटी पार्लर में जाकर ही सही आजकल अधिकांश महिलाएँ फेशियल करवाती हैं। निश्चित ही चेहरे के प्रति इस जागरूकता का उन्हें फायदा मिलता है। फेशियल से चेहरे की मालिश हो जाती है, इससे रक्त का प्रवाह ठीक होता है। साथ ही चेहरे पर इकट्ठा होने वाली मृत कोशिकाएँ भी फेशियल की प्रक्रिया में हट जाती हैं। इससे चेहरे पर जल्दी झुर्रियाँ नहीं आतीं व भीतर से दमकती त्वचा की परत ऊपर दिखाई देती है। |
फेशियल से चेहरे की मालिश हो जाती है, इससे रक्त का प्रवाह ठीक होता है। साथ ही चेहरे पर इकट्ठा होने वाली मृत कोशिकाएँ भी फेशियल की प्रक्रिया में हट जाती हैं। इससे चेहरे पर जल्दी झुर्रियाँ नहीं आतीं व भीतर से दमकती त्वचा की परत ऊपर दिखाई देती है। |
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कोई भी अच्छी चीज हो उसकी अति बुरी होती है। यही फेशियल के साथ भी होता है। कुछ महिलाओं को लगता है कि हर हफ्ते फेशियल करवाने से अथवा हर पार्टी से पहले फेशियल करवाने से फायदा होगा, तो ऐसा नहीं होता।
त्वचा के सेल टर्नओवर का साइकल २८ दिनों का होता है। उतने समय में ही मृत कोशिकाओं की परत चेहरे पर बनती है। अतः महीने में एक बार या बहुत जरूरी हो तो तीन हफ्ते में एक बार ही फेशियल करवाया जाना चाहिए।
उससे पहले फेशियल करवाने का कोई फायदा नहीं, बल्कि मृत त्वचा की ऊपरी परत न होने की वजह से असली स्किन को रगड़ खाने का डर रहता है। अतः फेशियल से चेहरा दमकाइए जरूर, पर जल्दी-जल्दी नहीं।