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मालिश से बनें स्वस्थ

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- विनोद द. मुल

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ठंड के मौसम में शरीर का अकड़ना, दर्द होना आदि आम बात है। ऐसे में शरीर के रक्त संचार को तेज कर, स्फूर्ति लाने का सर्वोत्तम उपाय है- 'मालिश'।

स्वास्थ्य रक्षा में मालिश का अपना एक अलग ही महत्व है, परंतु आजकल के इस आपाधापी के युग में जबकि हमें हमारे स्वास्थ्य की ओर ही ध्यान देने की फुर्सत नहीं है, मालिश को हम लगभग भूलते ही जा रहे हैं।

मालिश न केवल हमारे शरीर की थकावट को दूर करती है, अपितु रक्तसंचार को भी सुचारु रखती है। इससे अनेक रोग अपने आप ही दूर हो जाते हैं।

  तेल का प्रयोग मौसम के अनुसार किया जाता है। सामान्यतः गर्मी में खोपरे के तेल से एवं ठंड के मौसम में सरसों के तेल से मालिश की जाती है।      
साधारण बोलचाल की भाषा में मालिश से तात्पर्य 'शरीर को रगड़ने' से है। मालिश दो प्रकार से की जाती है- सूखी मालिश और तेल से मालिश।

सूखी मालिश में मात्र हथेलियों से संपूर्ण शरीर को रगड़ते हैं और 'तेल मालिश' में पहले सारे शरीर पर तेल लगा लेते हैं, फिर हथेलियों से शरीर को तब तक मालिश करते हैं जब तक कि शरीर पर लगा तेल त्वचा द्वारा सोख न लिया जाए।

तेल का प्रयोग मौसम के अनुसार किया जाता है। सामान्यतः गर्मी में खोपरे के तेल से एवं ठंड के मौसम में सरसों के तेल से मालिश की जाती है।

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