नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा कि बिहार चुनावों में हार के लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह और अरुण जेटली को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी में नेतृत्व के खिलाफ शांत असहयोग आंदोलन अब और गहराएगा।
उन्होंने कहा कि विगत में किए गए वायदों के पूरा न होने की वजह से मोदी केंद्रित अभियान में विश्वसनीयता की कमी थी और हार के लिए भाजपा की विभाजक नीतियां जिम्मेदार हैं।
वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके शौरी, जो अब पार्टी के साथ नहीं हैं, ने शाह और जेटली पर मोदी के खिलाफ एक ऐसा घेरा बनाने का आरोप लगाया जिसकी वजह से विपक्षी दलों, जिनके हाथ में 69 प्रतिशत से अधिक वोट थे, ने एकजुट होकर गठबंधन बनाया। उन्होंने कहा कि भाजपा महज 31 प्रतिशत मतों के साथ मोदी की लोकप्रियता की वजह से सत्ता में आई थी।
यह पूछे जाने पर कि हार के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, शौरी ने कहा कियह मोदी, मुख्य रणनीतिकार शाह और जेटली हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी या सरकार में कोई चौथा व्यक्ति नहीं है। उनसे पूछा गया कि बिहार में पार्टी के प्रचार अभियान में क्या गलत हुआ, शौरी ने कहा, 'सबकुछ'।
शौरी ने अपनी टिप्पणियों को पुष्ट करते हुए कहा, 'मोदी केंद्रित अभियान, विभाजक अभियान और विगत में किए गए वायदों के पूरा न होने की वजह से अभियान में विश्वसनीयता की कमी।'
इस संदर्भ में उन्होंने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान मोदी के इस दावे का जिक्र किया कि यदि वह सत्ता में आए तो काला धन भारत वापस लाएंगे और हर किसी को 15 लाख रुपए मिलेंगे।
शौरी ने कहा कि और फिर बाद में भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह एक जुमला था, इसलिए जब आप नए वायदे करेंगे तो लोग आपको गंभीरता से नहीं लेंगे।
पार्टी और सरकार के लिए हार से उत्पन्न जटिलताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनके (मोदी, शाह, जेटली) खिलाफ शांत असहयोग आंदोलन गहराएगा। कभी मोदी के बड़े समर्थक रहे शौरी अब उनकी सरकार और पार्टी के कटु आलोचक बन गए हैं। (भाषा)