नई दिल्ली। वामपंथी पार्टियों ने रविवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत हार हैं और ये ऐसे लोगों के लिए अच्छे दिन की तरह है, जिन्होंने धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए आरएसएस-भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को खारिज किया है।
वामपंथी पार्टियों ने कहा कि पहले दिल्ली में इस राजनीति को खारिज किया गया और अब बिहार में किया गया। विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की जीत के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को बधाई देते हुए वामपंथी पार्टियों ने जोर देकर कहा कि बेहतर भारत के लिए संघर्ष अब और तेज होगा।
वाम मोर्चा के प्रदर्शन पर भाकपा ने कहा कि नतीजे उसके लिए उत्साहवर्धक नहीं हैं। बहरहाल, भाकपा (माले) ने संतोष जताया कि राजग और महागठबंधन की टक्कर के बीच उसने दो सीटें जीत लीं और दो अन्य सीटों पर वह कड़ी टक्कर दे रही है जहां मतगणना अब भी जारी है।
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अनजान ने कहा, यह न केवल भाजपा की हार है, बल्कि मोदी और उनकी नीतियों की व्यक्तिगत हार है। असहिष्णुता-विरोधी अभियान भी कोई नतीजा नहीं दे सका। उनकी पार्टी के सदस्य और राज्यसभा सदस्य डी राजा ने भी ऐसी ही राय जाहिर की और महागठबंधन की जीत को निर्णायक करार दिया।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इस फैसले ने ऐसे लोगों के लिए ‘अच्छे दिन’ की शुरुआत सुनिश्चित कर दी है जिन्होंने आरएसएस-भाजपा द्वारा की जा रही सांप्रदायिक राजनीति और उनके तथाकथित विकास के एजेंडा को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, लोगों के अच्छे दिन शुरू हो चुके हैं। पहले दिल्ली और अब बिहार। (भाषा)