बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की प्रचंड जीत और महागठबंधन की करारी हार के बाद नतीजों का विश्लेषण का दौर शुरु हो गया है। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा 89 सीटों पर जीत हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है लेकिन उसका वोट शेयर चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी रहने वाले आरजेडी से करीब तीन फीसदी कम है। चुनाव में भाजपा को 20.08% वोट प्रतिशत मिला और उसे 89 सीट हासिल हुई,जो पिछले चुनाव से 15 सीटें अधिक रहीं। वहीं आरजेडी को भाजपा से 3 फीसदी अधिक 23% वोट हासिल हुआ लेकिन वह केवल 25 सीटों पर सिमट गई जो पिछले चुनाव से 50 सीटें कम रही। आरजेडी को 2010 के बाद सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
अगर वोट के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो आरजेडी को वोट तो ज्यादा मिले लेकिन वह सीटों की जीत में तब्दील नहीं हो पाया, जिसका सीधा असर महागठबंधन पर पड़ा। महागठबंधन को 2020 की तुलना में 110 सीटें कम मिली और महागठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया। वहीं चुनव में NDA गठबंधन को 77 सीटों का फायदा हुआ और वह 2020 की 125 सीटों के आंकड़े से बढ़कर डबल सेंचुरी पार कर 202 तक पहुंच गया।
बिहार में महागठबंधन की करारी हार के बाद अब आरजेडी और कांग्रेस में समीक्षा का दौर शुरु हो गया है। बिहार में अब तक सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस में नतीजों के तुरंत बाद शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के घर हार पर मंथन हुआ, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए। बैठक के बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग और SIR को लेकर भी सवाल उठाए और वोटिंग डेटा की जांच की बात कही। वहीं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव शुरु से ही निष्पक्ष नहीं रहे।
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते है कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे विपक्ष के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी एक सबक है। चुनाव में वोट प्रतिशत का सीटों में बदलना एक नहीं कई कारणों पर निर्भर करता है। अगर किसी पार्टी का वोट शेयर बढ़े तो यह जरूरी नहीं है कि उसकी सीटें भी बढ़े या किसी पार्टी का वोट शेयर घटे तो उसकी सीटें भी घटे।
बिहार के मतदाताओं ने महागठबंधन के चुनावी वादों पर भरोसा नहीं कर पाई। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते है कि विपक्ष को पहले आत्म निरीक्षण करना पड़ेगा। विपक्ष को मतदाताओं का विश्वास बनाने और संपर्क रखने का जरिया ढूंढ़ना पड़ेगा। इसके साथ विपक्ष को भाजपा को काउंटर अटैक करने के लिए नए सिरे से सोचना होगा। आज बिहार नहीं पूरे देश में विपक्ष बिखरा हुआ दिख रहा है।