बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के बाद अब लालू परिवार के अंदर की महाभारत खुलकर सामने आ गई है। लालू को किडनी देकर उनकी जान बचाने वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव और उनके सलाहकारों के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। वहीं लालू की अन्य दो बेटियों ने भी पिता का घर छोड़ दिया। इसके साथ विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी और परिवार से बेदखल किए गए लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने एक बार तेजस्वी के करीबियों पर निशाना साधा है।
बेटियों की परिवार से बगावत- विधानसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के 24 घंटे के अंदर ही लालू परिवार के अंदर छिड़ी महाभारत खुलकर सामने आ गई है। लालू को किडनी देने वाली तीसरे नंबर की बेटी रोहिणी आचार्य ने पहले सोशल मीडिया और फिर मीडिया से चर्चा करते हुए भाई तेजस्वी यादव, भाभी राजश्री यादव और तेजस्वी यादव के सलाहाकर संजय यादव और रमीज नेमत पर जमकर भड़कते हुए परिवार और राजनीति से नाता तोड़ने का का एलान कर दिया।
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “कल मुझे गालियों के साथ बोला गया कि मैं गंदी हूँ और मैंने अपने पिता को अपनी गंदी किडनी लगवा दी, करोड़ों रूपए लिएm टिकट लिया तब लगवाई गंदी किडनी, सभी बेटी-बहन, जो शादीशुदा हैं उनको मैं बोलूंगी कि जब आपके मायके में कोई बेटा-भाई हो, तो भूल कर भी अपने भगवान रूपी पिता को नहीं बचाएं, अपने भाई, उस घर के बेटे को ही बोले कि वो अपनी या अपने किसी हरियाणवी दोस्त की किडनी लगवा दे"। सभी बहन -बेटियां अपना घर-परिवार देखें, अपने माता-पिता की परवाह किए बिना अपने बच्चे ,अपना काम, अपना ससुराल देखें,सिर्फ अपने बारे में सोचें, मुझसे तो ये बड़ा गुनाह हो गया कि मैंने अपना परिवार,अपने तीनो बच्चों को नहीं देखा, किडनी देते वक्त न अपने पति, न अपने ससुराल से अनुमति ली, अपने भगवान,अपने पिता को बचाने के लिए वो कर दिया जिसे आज गंदा बता दिया गया, आप सब मेरे जैसी गलती , कभी, ना करे किसी घर रोहिणी जैसी बेटी ना हो।
वहीं रोहणी की परिवार को छोड़ने के बाद उनकी तीन बहनें चंदा यादव, रागिनी यादव और राजलक्ष्मी यादव भी पटना से अपने घर लौट गई है। इससे पूरे मामले को लालू परिवार से बढ़ते तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान रोहिणी आचार्य खुलकर सक्रिय थी और सोशल मीडिया पर अपने भाई तेजस्वी यादव का बचाव और विरोधियों पर जमकर निशाना साध रही थी।
लालू परिवार में क्यों छिड़ा घमासान?-लालू परिवार की कलह की तस्वीरें विधानसभा चुनाव से पहले ही आना शुरु हो गई थी लेकिन विधानसभा चुनाव में जिस तरह से आरजेडी की हार हुई उससे अब लालू परिवार के घर की लड़ाई बाहर आ गई है। विधानसभा चुनाव के दौरान लालू यादव और राबड़ी देवी चुनाव अभियान में तेजस्वी की टीम के कामकाज से नाराज थे। पहले दौर के नामांकन के दौरान जब लालू यादव ने कुछ उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिए तो तेजस्वी यादव ने उन्हें रोक दिया था।
वहीं चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी अकेले ही चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई दिए। अब चुनाव नतीजे आने के बाद स्थिति और बिग़ड़ गई है। नतीजों के बाद रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव के साथ संजय यादव और उनकी पूरी टीम को जिम्मेदार ठहरा दिया। रोहिणी ने तेजस्वी पर आरोप लगाया कि वे पूरी तरह संजय यादव के इशारों पर चलते हैं और इसलिए हार की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि संजय के साले सुमित को तेजस्वी का निजी सहायक क्यों बनाया गया। इसके साथ रोहिणी ने संजय यादव के नजदीकी रमीज और अदनान के पार्टी में सीधे दखल पर भी सवाल उठाए। बताया जा रहा है कि परिवार के अंदर तेजस्वी यादव और रोहिणी के बीच विवाद इतना बढ़ा कि तेजस्वी और रोहिणी आमने सामने आ गए, जिसका जिक्र रोहिणी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी किया है।
वहीं तेजप्रताप यादव परिवार से बेदखल होने का पूरा ठीकरा संजय यादव के सिर पर ही फोड़ा था और खुलकर संजय यादव को जयचंद कहा था। तेजप्रताप ने आरोप लगाया था कि संजय यादव की वजह से पार्टी की की दुर्गति हो रही है जब तक तेजस्वी यादव के आस पास संजय यादव जैसे लोग रहेंगे पार्टी का भला नहीं हो सकता।
रोहिणी के समर्थन में तेजप्रताप- वहीं परिवार से पहले ही बेदखल हो चुके लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव खुलकर बहन रोहिणी के समर्थन में आ गए है। तेजप्रताप यादव ने कहा कि हमारे परिवार पर हमला करने वालों ने बिहार की जनता को ललकारा है। मेरे पिता बस एक बार इशारा दें, मैं गद्दारों को मिट्टी में मिला दूंगा। तेज प्रताप ने बहन रोहणी आचार्य का समर्थन करते हुए कहा मेरे साथ जो कुछ हुआ उसे तो मैंने सह लिया लेकिन मेरी बहन के साथ अन्याय औऱ दुव्वर्यवहार को मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करूंगा।
कौन हैं संजय यादव जिनके कारण लालू परिवार में घमासान?- हरियाणा के रहने वाले संजय यादव वर्तमान में तेजस्वी यादव के सलाहकार और आरजेडी से राज्यसभा सांसद है। संजय यादव को तेजस्वी यादव का काफी करीबी माना जाता है और तेजस्वी यादव के हर फैसले में उनकी बड़ी भूमिका देखी जाती है। हरियाणा के रहने वाले संजय यादव, तेजस्वी के राजनीति में आने से पहले उनसे जुड़े है और तेजस्वी यादव के राजनीति में एंट्री के बाद पहले उनके पीएम की भूमिका निभाई। तेजस्वी यादव के ऑफिस की बागडोर पूरी तरह से संजय यादव के ही हाथ में थी। चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव का पूरी चुनावी मैनेजमेंट भी संजय यादव ही देख रहे थे। यह भी कहा जाता है कि आरजेडी के टिकट बंटवारे में भी संजय यादव का बड़ा रोल था।