Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जयंती विशेष : वीरता की मिसाल, स्वाभिमान का प्रतीक- महाराणा प्रताप

वीरता की पहचान- महाराणा प्रताप जयंती पर गर्व से नमन

Advertiesment
हमें फॉलो करें Rajput warrior Maharana Pratap

WD Feature Desk

, गुरुवार, 8 मई 2025 (16:45 IST)
Rajput warrior Maharana Pratap: वर्ष 2025 में, महाराणा प्रताप जयंती दो तिथियों को मनाई जाएगी, क्योंकि इसकी गणना हिंदू पंचांग और ग्रेगोरियन कैलेंडर दोनों के अनुसार की जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार महाराणर प्रताप की जयंती शुक्रवार, 9 मई 2025 को मनाई जा रही है तथा हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया तिथि पर यानी गुरुवार, 29 मई 2025 को भी मनाई जाएगी।ALSO READ: शहीद किस भाषा का शब्द है, जानिए हिंदी में शहीद को क्या कहते हैं
 
बता दें कि अधिकांश स्थानों पर, विशेषकर राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में, 9 मई को सार्वजनिक अवकाश के रूप में महाराणा प्रताप जयंती मनाई जाती है। महाराणा प्रताप जयंती उनके अद्वितीय साहस और बलिदान को याद करने और श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है। इस दिन राजस्थान और अन्य जगहों पर विशेष पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शोभायात्राएं आयोजित की जाती हैं।
 
महाराणा प्रताप: एक वीर महापुरुष, महाराणा प्रताप (9 मई 1540 – 19 जनवरी 1597) मेवाड़ के 13वें राजपूत शासक थे। वे सिसोदिया वंश के थे और अपनी वीरता, साहस और मुगल साम्राज्य के खिलाफ अटूट प्रतिरोध के लिए जाने जाते हैं। यहां इस महान योद्धा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें दी जा रही हैं:
 
• जन्म और प्रारंभिक जीवन: महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। उनके पिता महाराणा उदय सिंह द्वितीय थे और माता जयवंता बाई थीं।
 
• मेवाड़ के शासक: 1572 में अपने पिता की मृत्यु के बाद वे मेवाड़ के शासक बने। उन्होंने ऐसे समय में मेवाड़ की बागडोर संभाली जब मुगल सम्राट अकबर अपनी साम्राज्यवादी नीतियों का विस्तार कर रहा था और कई राजपूत शासकों ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी।
 
• मुगलों के खिलाफ प्रतिरोध: महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अपने राज्य की स्वतंत्रता और राजपूत गौरव की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित रहे। यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
 
• हल्दीघाटी का युद्ध : महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच 1576 में हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध हुआ। मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह प्रथम ने किया था। संख्या में कम होने के बावजूद, महाराणा प्रताप और उनकी सेना ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी। हालांकि यह युद्ध अनिर्णायक रहा, लेकिन महाराणा प्रताप का शौर्य और पराक्रम इतिहास में अमर हो गया।
 
• गुरिल्ला युद्ध: हल्दीघाटी के बाद, महाराणा प्रताप ने मुगल सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई। उन्होंने अरावली की पहाड़ियों का इस्तेमाल करते हुए मुगलों को लगातार परेशान किया।
 
• मेवाड़ का पुन: अधिग्रहण: 1580 के दशक में, मुगल साम्राज्य के अन्य हिस्सों में विद्रोहों का फायदा उठाते हुए, महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के कई मुगल-नियंत्रित क्षेत्रों को वापस जीत लिया, जिसमें उदयपुर, गोगुंदा और कुंभलगढ़ जैसे महत्वपूर्ण स्थान शामिल थे।
 
• कला और संस्कृति के संरक्षक: महाराणा प्रताप कला और संस्कृति के संरक्षक भी थे। उनके शासनकाल में चावंड कला शैली का विकास हुआ।
 
• मृत्यु: 19 जनवरी 1597 को चावंड में शिकार के दौरान लगी चोटों के कारण महाराणा प्रताप का निधन हो गया। अपनी मृत्युशय्या पर भी उन्होंने अपने पुत्र अमर सिंह को मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की शपथ दिलाई।
 
• विरासत: महाराणा प्रताप आज भी अपनी बहादुरी, देशभक्ति और अटूट संकल्प के लिए याद किए जाते हैं। वे राजस्थान और पूरे भारत में एक महान नायक और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में पूजनीय हैं। उनकी कहानी साहस और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की प्रेरणा देती है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: स्वतंत्रता का सिंह, महाराणा प्रताप की जयंती पर पढ़ें 10 प्रेरणादायी कोट्‍स

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

स्वतंत्रता का सिंह, महाराणा प्रताप की जयंती पर पढ़ें 10 प्रेरणादायी कोट्‍स