पश्चिमी देशों में बेहतर प्रेमी बनने के लिए पुरुष अपने लिंग में प्लास्टिक के मोती डलवा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उन्हें लगातार दर्द बना रह सकता है, लिंग में संक्रमण फैल सकता है या फिर वे पूरी तरह से नपुंसक ही हो जाएं।
डेलीमेल डॉट कॉम के लिए लीजा रेयन लिखती हैं कि ऐसा करने वाले लोगों का मानना है कि पर्लिंग या लिंग में मोती डलवाने से सेक्स का आनंद कई गुणा बढ़ जाता है। इसके लिए पुरुष लिंग की त्वचा के नीचे प्लास्टिक या धातु के मोती को डलवा लेते हैं। ऐसा करने से लिंग का अधिकाधिक हिस्सा उत्तेजित हो जाता है। दूसरी ओर सेक्सुअल हेल्थ विशेषज्ञों का कहना है कि यह कई तरह से नुकसानदेह ही नहीं वरन हमेशा के लिए नपुंसक बनने का कारण भी हो सकता है।
एसआईयू हेल्थकेयर, इलिनॉयस के विशेषज्ञ डॉ. टोबियास कोहलर कहते हैं कि कुछ लोगों के लिए पर्लिंग मात्र एक सौंदर्य बढ़ाने वाली प्रथा होती है और वे इसे लिंग छेदन या टैटू बनवाने जैसा मानते हैं।
उल्लेखनीय है कि बहुत सी संस्कृतियों में यह प्रथा मौजूद रही है और जापान में अपनाए जाने के पर्याप्त सबूत मिलते हैं। जापान के याकूजा संगठित अपराध संगठन में जिस अपराधी के लिंग में जितने मोती होते हैं, इसका अर्थ होता है कि उसने उतने ही वर्ष जेल में बिताए हैं। यह प्रथा अमेरिका में लोकप्रिय होती जा रही है और इसकी लोकप्रियता अमेरिकी जेलों में भी फैल रही है।
इस तरह डाले जाते हैं लिंग में मोती... पढ़ें अगले पेज पर....
लिंग में मोती डालने वाले पेशेवर लोग भी होते हैं या फिर इसे खुद ही कोई डाल सकता है। लिंग की डंडी की त्वचा पर एक छोटा और मामूली चीरा लगाया जाता है और इसके बाद प्लास्टिक या धातु के मोतियों को लिंग में डाल दिया जाता है।
हाल ही में, यूनवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा शैंड्स हास्पिटल में एक ऐसा मामला आया था जिसमें एक 19 साल के युवक ने एक रेजर ब्लेड से अपनी त्वचा को काट लिया था। इतना ही नहीं, उसने लिंग की डंडी पर दो मोती डाल रखे थे और एक मोती अपने लिंग छोर पर डाल रखा था।
ऐसा करने के सात घंटे बाद उसे अस्पताल के इमरजेंसी रूम में भर्ती कराया गया था। उसे तब बहुत अधिक दर्द हो रहा था, लिंग में बहुत अधिक सूजन आ गई थी और पेशाब करते समय में काफी मात्र में रक्त भी बाहर निकल रहा था।
डॉक्टरों ने सर्जरी के जरिए लिंग में बने एक हेमाटोमा (जमे हुए रक्त के कारण बहुत अधिक सूजन) को काटकर बाहर निकाला था और खून बहना बंद करने के लिए घावों को दाग दिया था। इस तरह के मामलों में सबसे बड़ा खतरा संक्रमण का होता है और मरीज को बहुत अधिक कष्ट उठाना पड़ता है।