दुनिया में कुछ समूहों या जनजातियों की ऐसी यौन परम्पराएं हैं जिनके बारे में जानकर आश्चर्य की सीमा नहीं रहती। दुनिया के एक हिस्से में एक ऐसी जनजाति है जिसमें पुरुष का वीर्य पीने की परंपरा है। भारत में ही कुछ समुदायों में ऐसी परंपरा है जहां कई भाई मिलकर एक पत्नी को साझा करते हैं।
पापुआ न्यू गिनी की साम्बियन जनजाति : इस प्राचीन जनजाति में लड़कों को सात वर्ष की उम्र से ही महिलाओं से अलग कर दिया जाता है। ये लड़के दस वर्षों तक अन्य पुरुषों के साथ रहते हैं और इस बीच उनका महिलाओं से किसी भी प्रकार का सम्पर्क नहीं होता है। पुरुषों के साथ रहने के दौरान युवा लड़कों की त्वचा को गोद दिया जाता है और ऐसा करते समय माना जाता है कि ऐसा करने से महिलाओं के साथ रहने के दौरान आया प्रदूषण समाप्त हो जाता है।
इस अवधि में वे नियमित रूप से अपनी नाक से खून बहाते हैं और बहुत अधिक उल्टियां करते हैं और वे गन्ने का बड़ी मात्रा में सेवन करते हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी जनजाति के बड़े-बूढ़ों का वीर्य भी पीना पड़ता है क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से उनके शरीर में ताकत आएगी। ये पुरुष उन दिनों में भी अपनी नाक से खून निकालते हैं, जिस समय उनकी पत्नियों का माहवारी चक्र चलता है।
जहां लिंग का ऊपरी हिस्सा काटकर खा जाते हैं... पढ़ें अगले पेज पर...
ऑस्ट्रेलिया में मरदूदजारा जनजाति रहती है जो कि मर्दानगी बढ़ाने के नाम पर बड़ा ही विचित्र उपाय करती है। इस जनजाति के लोग बहुत ही बर्बर तरीके से अपने लिंग के ऊपरी भाग को काट देते हैं और वे अपने ही लिंग की बाहरी चमड़ी को खा जाते हैं।
जब उनका लिंग पूरी तरह से ठीक हो जाता है तो वे अपने लिंग को ऊपर से नीचे की ओर काट लेते हैं और कभी-कभी यह कट अंडकोष की थैली तक लम्बा हो जाता है। इसे पवित्र बनाने के लिए आग में खून जाता है और इस प्रक्रिया के बाद जनजाति के लोग मूत्रमार्ग की बजाय लिंग के नीचे से पेशाब करते हैं। इस समूची प्रक्रिया से यह सवाल भी उठता है कि जब वे बच्चों लिंग को ही नष्ट कर देते हैं तो फिर उनमें मर्दानगी कैसे आ सकती है?
यहां बच्चे भी जमकर करते हैं सेक्स... पढ़ें अगले पेज पर...
पापुआ न्यू गिनी में एक और जनजाति है जिसे ट्रोब्रिंडर्स कहा जाता है। इस जनजाति के बच्चे छह वर्ष की उम्र से ही सेक्स करने लग जाते हैं। पापुआ न्यू गिनी के इस दूरस्थ और निर्जन द्वीपों में रहने वाले आदिवासियों को एक सेक्स क्रांति का उदाहरण कहना गलत न होगा।
यहां लड़कियां भी उतना ही सेक्स करती हैं जितने के लड़के करते हैं। छह से आठ वर्ष की लड़कियां और 10 से 12 वर्ष के लड़के बिना किसी सामाजिक दुष्प्रभाव या बुराई के सेक्स करते रहते हैं। इन द्वीपों में कुछ ऐसी प्रथाएं भी हैं जिनके तहत उत्तेजना भड़काने के लिए लड़कियां पारदर्शी या कम कपड़े ही नहीं वरन टॉपलेस घूमती हैं।
हालांकि कोई किसी के भी साथ विवाह से पहले सेक्स तो कर सकता है लेकिन एक साथ खाना खाने की सख्त मनाही है और जब तक आपकी शादी नहीं हो जाती तब तक आप घर के बाहर एकसाथ खाना खाने नहीं जा सकते हैं।
यहां नंग-धड़ंग लोग करते हैं प्यार का अनुष्ठान... पढ़ें अगले पेज पर...
अगर आप प्यार और जादू टोने को एक साथ देखना चाहते हैं तो आपको हैती की यात्रा करनी होगी और सौत दि यो के झरनों तक जाना होगा। लेकिन आप यह यात्रा केवल जुलाई माह में ही कर सकते हैं क्योंकि इस तरह का अनुष्ठान केवल इसी माह होता है।
यह जोखिम भरा अनुष्ठान होता है क्योंकि इस अवधि में अफ्रीका का काला जादू या वूदू करने वाले आते हैं और प्यार की देवी की पूजा करते हैं। यहां पर पूरी तरह से नंग धड़ंग लोग कीचड़ में लोटपोट होते रहते हैं जिसमें बलि दिए गए पशुओं, गायों और बकरियों का खून मिला होता है और कीचड़ में जानवरों के कटे सिर भी पड़े होते हैं।
इस समुदाय में एक ही स्त्री को भोगते हैं कई भाई... पढ़ें अगले पेज पर...
नेपाल में एक ऐसा समुदाय रहता है जिसमें भाइयों का एक गुट एक ही औरत को साझा करता है। यह हिमालय के उस हिस्से की कहानी है जहां खेती और कृषि के लिए बहुत कम जमीन उपलब्ध होती है। चूंकि जिस परिवार में एक से ज्यादा बेटे होते हैं तो प्रत्येक बेटा अपना घर बसाने के लिए जमीन का हिस्सा मांगेगा।
इसलिए जमीन का बंटवारा रोकने के लिए हल यह निकाला जाता है कि घर के सभी बेटों के लिए एक ही पत्नी तलाश की जाए। विभिन्न पतियों की पत्नी को सबसे बड़ी असुविधा यह रहती है कि उसके सभी के साथ अपने समय का बंटवारा करना होता है और सभी के साथ तालमेल बैठाना होता है, तभी परिवार एकजुट रह पाता है।
यहां पत्नी चुराने की परंपरा है... पढ़ें अगले पेज पर....
नाइजर के वोडाबी जनजाति : इस जनजाति में एक परम्परा यह होती है कि लोग एक दूसरे की पत्नियों को चुरा लेते हैं। पश्चिम अफ्रीका में नाइजर देश में रहने वाली इस जनजाति वोडाबी के पुरुषों की शादी बचपन में ही हो जाती है और यह शादी चाचाओं के बेटे-बेटियों के बीच हो जाती है। लेकिन यहां प्रतिवर्ष एक जेरेवाल समारोह होता है जिसमें वोडाबी पुरुष सज संवरकर नए, अच्छे परिधानों में आते हैं और किसी दूसरे की पत्नी को चुराने के लिए महिलाओं को प्रभावित करने के लिए नाचते हैं।
अगर कोई जोड़ा बिना पता लगे गायब हो जाता है और विशेष रूप से महिला का पहला पति पता नहीं लगा पाता कि उसकी पत्नी किसके साथ चली गई है तो फिर इन विवाहों को समाज में मान्यता मिल जाती है। इस तरह के विवाहों को प्रेम विवाह माना जाता है।
यहां सामूहिक रूप से हस्तमैथुन की परंपरा है... पढ़ें अगले पेज पर....
प्राचीन मिस्र के फरोहाज : सेक्स एंड सोसायटी के अनुसार प्राचीन मिस्र के फरोहाओं द्वारा सार्वजनिक रूप से हस्तमैथुन किया जाता था। ऐसा माना जाता था कि 'नील नदी का बहाव और इसका प्रवाह सृष्टि के देवता आतुम के हस्तमैथुन करने' से बढ़ जाता है।
इसलिए नदी में पानी की मात्रा को अधिकाधिक बनाए रखने के लिए लोग फरोहाओं के पौरुष को बढ़ाने वाले देवता मिन के त्योहार के अवसर पर हस्तमैथुन करते थे। देवता को खुश रखने के लिए लोग सामूहिक रूप से हस्तमैथुन का त्योहार मनाते थे।
यहां पैसे देकर करो अस्थायी विवाह... पढ़ें अगले पेज पर....
ईरानी संस्कृति के अनुसार मुस्लिम देशों में इस तरह की प्रथा होती है कि आप पैसे खर्च करने पर अस्थायी विवाह कर सकते हैं। इस्लाम में महिला और पुरुष के संबंधों को लेकर भी बहुत सारी पाबंदियां हैं। उदाहरण के लिए, मुस्लिम दम्पति केवल 'मिशनरी पोजीशन' में ही सेक्स कर सकते हैं और अगर पुरुष अपनी पत्नी से किसी और पोजीशन की मांग करता है तो इसे अपमानजनक समझा जाता है।
ईरान जैसे देश में अगर युवा जोड़े शादी से पहले सेक्स करना चाहते हैं तो उन्हें एक अस्थायी विवाह करना होता है। एक संक्षिप्त समारोह के लिए उन्हें पैसा खर्च करना होता है। इस शादी के अंतर्गत एक लिखित अनुबंध होता है कि जोड़ा कितने समय तक पति-पत्नी की तरह रहेगा।
यहां समलैंगिकता की परंपरा काफी पुरानी है... पढ़ें अगले पेज पर...
प्राचीन यूनान में समलैंगिकता को खुलेआम किया जाता था। ग्रीक समाज में तब यौन इच्छा या व्यवहार को इस काम में भाग लेने वालों से नहीं जाना जाता था। यहां का समाज किसी भी लिंग के व्यवहार या इच्छा को उसके लिंग के आधार पर तय नहीं करते थे। वरन यह इस खेल में भाग लेने वाले की सक्रियता और निष्क्रियता के आधार पर तय होती थी।
प्राचीन यूनान में समलैंगिक संबंधों की सबसे पहले शुरुआत एक सामाजिक परम्परा के तौर पर यूनान में लौंडेबाजी के तौर पर हुई थी। इस तरह के मामलों में एक बड़ी उम्र का पुरुष और एक किशोर लड़का होता था। एक किशोर को तब तक एक किशोर माना जाता था जबकि उसकी पूरी दाड़ी नहीं निकल आती थी। प्राचीन एथेंस में ऐसे बड़े आदमियों को प्रेमी कहा जाता था जो कि लड़कों को शिक्षित करने, सुरक्षा करने, प्यार करने और अपने लौंडे के लिए रोल मॉडल होते थे। लड़का जितना सुंदर और छोटा होता था, उसका मूल्य उतना ही अधिक समझा जाता था।