हाल ही में चिकित्सा जगत का एक चमत्कार सामने आया है। एक व्यक्ति ने कृत्रिम लिंग के सहारे पिता बनने में सफलता पाई। तीस वर्षीय माइक मूर जब सात वर्ष के थे तब उन्हें अपने लिंग से हाथ धोना पड़ा था।
इस स्थिति का स्वाभाविक नतीजा यह हुआ कि उन्हें एक लम्बा समय अवसाद और निराशा में गुजारना पड़ा क्योंकि उनके साथ समवयस्कों और बड़े लोगों ने बहुत बुरा बर्ताव किया। लेकिन उन्होंने 2007 में रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी करवाई जिसके चलते सर्जन ने उनके कृत्रिम लिंग का निर्माण किया और यह काम चार अवसरों के बाद पूरा हो सका, लेकिन ऑपरेशन के तुरंत बाद ही उनकी पहली पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई। विदित हो कि उनके तीन ऑपरेशन सफल नहीं हो सके थे।
फिर भी माइक ने सामान्य जीवन की आस नहीं छोड़ी थी और वे 2011 में अपनी दूसरी पत्नी हीथर से मिले और उनकी पत्नी पिछले वर्ष कृत्रिम गर्भाधान के जरिए गर्भवती हुई। इस गर्भधारण के लिए माइक के स्पर्म का इस्तेमाल किया गया था। उनका बेटा मेम्फिस अब छह माह का है और उसके माता-पिता उसे सुपरमैन की ड्रेस पहनाए रखते हैं क्योंकि उनके लिए वह किसी चमत्कारी शिशु से कम नहीं है। मूर दम्पत्ति अब दूसरे बच्चे की योजना बना रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनके परिवार में बेटी जन्म लेगी।
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मिसीसिपी के माइक मूर ने वर्षों तक अवसाद का सामना किया क्योंकि एक बच्चे के तौर पर सात वर्ष की आयु में जब खतने का ऑपरेशन किया जा रहा था तब यह बिगड़ गया और लिंग में संक्रमण फैल गया था और जिसका नतीजा हुआ कि डॉक्टरों ने उनके शरीर से लिंग ही समाप्त कर दिया, लेकिन उन्होंने कुछ समय पहले चिकित्सा जगत में एक नया इतिहास बनाया। वे पहले ऐसे व्यक्ति बने जोकि कृत्रिम लिंग के सहारे एक बच्चे के पिता बनने में सफल हुए।
माइक ने काफी लम्बे समय तक नहीं सोचा था कि उनका विवाह भी होगा और वे एक पिता बन सकेंगे और उनका भी एक सामान्य जीवन होगा। वे चाहते थे कि उनके भी बच्चे हों, उन्हें प्यार करने वाली पत्नी हो, लेकिन शारीरिक अपंगता और अक्षमता के कारण उनके सपने दम तोड़ रहे थे।
माइक का कहना है कि चार अक्टूबर, 2013 को उनकी दुनिया ही बदल गई जब उनके घर में मेम्फिस का जन्म हुआ। हाल में उनके परिवार ने मिसीसिपी के ग्रामीण इलाके से कैलिफोर्निया के पालो आल्टो की 2200 मील की लम्बी यात्रा की और अपने नन्हे मेम्फिस को उस डॉक्टर से मिलवाया जिसने माइक का जीवन बदलने में अपूर्व योगदान दिया।
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यहां आकर उन्होंने रिकंस्ट्रक्टिव प्लास्टिक सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. गार्डन ली से भेंट की। ली स्टानफोर्ड मेडिकल सेंटर में एक प्लास्टिक सर्जन हैं और उन्होंने 2007 में पहली बार माइक मूर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया था। डेलीमेल ऑन लाइन में डेविड मैककॉर्मेक ने उनके बारे में एक लेख लिखा है, जिसमें उनके बारे सारी बातें विस्तार से बताई हैं।
डॉ. ली ने एनबीसी बे एरिया को बताया कि जहां तक मैं समझता हूं कि माइक का मामला दुनिया में पहला ऐसा है, जब पूरी तरह कृत्रिम लिंग से किसी बच्चे का जन्म संभव हो सका हो।
स्कूल में उसे सहपाठियों और अन्य बच्चों की उपेक्षा का सामना करना पड़ा क्योंकि वह उन सबसे अलग हो गया था। सात वर्ष पहले वह डॉ. ली से मिला। इससे पहले भी उसके रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के तीन असफल ऑपरेशन किए गए थे। डॉ. ली से मिलकर उसने एक बार और प्रयास करना उचित समझा।
और पहली पत्नी यह बर्दाश्त नहीं कर पाई... पढ़ें अगले पेज पर...
डॉ. ली ने उसकी जांघों के ऊतकों के जरिए नकली लिंग का निर्माण किया। गौरतलब है कि डॉ. ली का भी यह दूसरा ऑपरेशन था, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद भी माइक की तकलीफों का अंत नहीं हुआ। इस ऑपरेशन के बाद ही उनका पहला विवाह असफल सिद्ध हो गया और उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई।
मूर का कहना है कि उनकी पहली पत्नी पहले ऑपरेशन के बाद उनका अंग विशेष कैसा दिखता था, इसे देखना तक बर्दाश्त नहीं कर सकी। 2011 में उनकी दूसरी और वर्तमान पत्नी हीथर से भेंट हुई। उन्हें इस बात की खुशी है कि हीथर ने उन्हें उनकी शारीरिक कमियों के साथ स्वीकार कर लिया और इस बात को नहीं सोचा कि उनके साथ क्या नहीं था। जल्द ही दोनों का विवाह हो गया।
माइक चाहते थे कि बच्चा कुदरती तरीके से पैदा हो, लेकिन कुछ महीनों तक उन्हें सफलता नहीं मिली तो डॉक्टर ने उन्हें कृत्रिम गर्भधारण करवाने की सलाह दी। जब मूर के स्पर्म से गर्भधारण कराया गया तो डॉक्टरों को एक माह में ही सफलता मिल गई।
अपने जीवन के खराब दौर के बाद माइक खुश हैं और वे अपनी कहानी उन सभी लोगों को बताना चाहते हैं जिन्होंने इस बात की उम्मीद छोड़ दी है कि उनका जीवन भी कभी सामान्य हो सकता है। वे कहते हैं कि कोई भी बच्चों का पिता बन सकता है। मूर दम्पत्ति दूसरे बच्चे की योजना बना रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनका दूसरा बच्चा एक बेटी होगी।
चित्र सौजन्य: एनबीसी बे एरिया डॉट कॉम