इंदौर मेरा पहला राजनीतिक पड़ाव-आडवाणी
इंदौर , शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010 (19:28 IST)
भाजपा के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने इंदौर को अपने राजनीतिक जीवन की यात्रा का पहला पड़ाव करार दिया है। बकौल आडवाणी उन्हें यहाँ आनंद का अनुभव होता है। वे इसे हमेशा याद रखेंगे।यहाँ भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व पार्टी अध्यक्ष ने कहा मैंने कल्पना नहीं की थी, अधिवेशन इंदौर में होगा। इसे भोपाल में आयोजित करने पर विचार हो रहा था, लेकिन मैंने कहा भोपाल से ज्यादा अच्छा इंदौर रहेगा। उन्होंने कहा मैं मूल रूप से सिंध का निवासी हूँ। इस मायने में मैंने सिंध के अलावा जिस बड़े नगर को पहली बार देखा, वह इंदौर ही था। उन्होंने कहा मैं 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य बना। 1943 में संघ की पहली ओटीसी के दौरान मैं इंदौर आया था। पार्टी में अध्यक्ष के चयन को अन्य दलों से भिन्न बताते हुए पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है, जहाँ इस तरह अध्यक्ष चुना जाता है। अन्य दलों में अमूमन प्रधानमंत्री ही अध्यक्ष होता है। उन्हें (अन्य दलों को) लगता है कहीं सत्ता के दो केंद्र न बन जाएँ, लेकिन हम ऐसा नहीं मानते।उन्होंने कहा यही वजह है कि भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर भी वही व्यवस्था है और प्रदेश स्तर पर भी। उन्होंने कहा गडकरीजी की इस तरह खुले तौर पर अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी भाजपा के 'पार्टी विथ डिफरेंस' होने का प्रमाण है।जिन्ना को लेकर विवादों में आए आडवाणी ने परिवारवाद की खुलकर मुखालफत की। उन्होंने कहा कि भाजपा में परिवारवाद या वंशवाद के लिए कोई जगह नहीं है। कांग्रेस और अन्य दलों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दूसरी पार्टियों में वंशवाद को योजनाबद्ध तरीके से प्रोत्साहित किया जाता है। भाजपा में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा मुझे कांग्रेस की चिंता नहीं है। चिंता इस बात की है कि देश में सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते वह जो करती है, उसका सभी पर असर होता है। (वेबदुनिया न्यूज)