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एक राजनेता... वो भी इतना सहज और बेलाग!

नितिन गडकरी की संपादकों से विशेष बातचीत

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- जयदीप कर्णिक
वैसे तो यह पूर्णतया अनौपचारिक मुलाकात थी और उसमें बहुत सारी बातें ऑफ द रेकॉर्ड थीं, पर फिर भी भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ बातें इतनी अलग और प्रभावित करने वाली रहीं, कि वो आपसे साझा होनी ही चाहिए। भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले पत्रकार तरुण विजय ने शहर के चुनिंदा संपादकों की मुलाकात बुधवार की शाम भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से करवाई।

कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में गडकरी के वीआईपी तंबू के गोबर लिपे आँगन से शुरू हुई यह बातचीत चासे शुरू होकर भोजन तक चलती रही। पूरी चर्चा के दौरान गडकरी ने अपनी साफगोई व मुद्दों पर गहरी पकड़ से सभी को खासा प्रभावित किया।

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केवल सिद्धांतों के कारण राजनीति में आया यह उद्योगपति जितना सुलझा हुआ नजर आया, वैसा कम ही देखने को मिलता है। आँकड़ों का जोड़-घटाव वे जुबानी कर लेते हैं और व्यक्ति की क्षमता को भी तुरंत भाँप लेते हैं। उनका ये मानना वाकई दम रखता है कि 21वीं सदी का अर्थशास्त्र इतना गतिशील और जटिल है कि उसे पुस्तकों में लिखे सिद्धांतों से नहीं चलाया जा सकता। हर क्षेत्र में प्रतिभाशाली लोगों की कमी का दर्द उन्हें भी भीतर तक सालता है।

वो मानते हैं कि अन्य क्षेत्रों की तरह राजनीति में भी 'मिडियोक्रेसी' अर्थात औसत प्रदर्शन कर के काम 'धकाने' वाले लोग हावी हैं। जिनमें हर काम श्रेष्ठ तरीके से कर दिखाने की ललक हो ऐसे लोग कम ही मिलते हैं और यही हमारा आज का सबसे बड़ा संकट है।

किसानों की स्थिति और उनके द्वारा की जा रही आत्महत्या को लेकर भी गडकरी काफी चिंतित नजर आए। एक किसान और उद्योगपति होने के नाते किस रकबे से कितनी फसल होगी इसका उन्हें पूरा ज्ञान है। वो मानते हैं कि मालवा की भूमि उपजाऊ है और इसका बेहतर दोहन किया जाना चाहिए।

गडकरी खाने-पीने के भी बहुत शौकीन हैं और इंदौर आकर सराफे जिसे वो 'खाऊ गल्ली' कहते हैं, में चाट और मिठाई का आनंद लेना उनका प्रिय शगल रहा है।... जितने बेलाग, सहज और निर्मल वो हैं उतने ही दृढ़ भी, ये उनसे पूरी बातचीत के दौरान स्पष्ट हुआ। अध्यक्ष पद पर अपने चयन पर लगे प्रश्नचिन्हों का जवाब वे अपनी कार्यशैली से दे रहे हैं। जो दिख रहा है, अगर वही सच है तो इंडिया शाइनिंग और पीएम इन वेटिंग के सदमों से उबरने का प्रयास कर रही भाजपा के लिए गडकरी संजीवनी साबित हो सकते हैं।

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