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काँटों के ताज के धनी राजनाथसिंह

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कुशाभाऊ ठाकरे नगर (इंदौर)। , गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010 (19:44 IST)
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भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष राजनाथ सिंह के लिए अध्यक्ष का पद 'काँटो का ताज' था। इस ताज के काँटे उन्हें कितने चुभें, इसका अहसास उनके आज के भाषण से हुआ।

राजनाथ को पक्ष के बड़े नेताओं ने घेरे मे लिया था। अरुण जेटली से उनके संबंध बिगड़ गए थे। जसवंत सिंह उन्ही के कार्यकाल में पार्टी से बाहर गए। यह सब नेता खुद राजनाथ के राजनैतिक कद से कहीं ऊँचे हैं। अन्य नेताओं के भी राजनाथ के साथ मतभेद रहे।

इसका दर्द आज उन्होंने प्रकट किया। अध्यक्ष पद की महत्ता बताने के लिए उन्होंने इस पद की तुलना विक्रमादित्य के सिंहासन से की। इस पर दिनदयाल उपाध्याय से अटलबिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोग बैठे है, इसकी याद उन्होंने दिलाई।

अध्यक्ष के पद पर विश्वास, आस्था होनी चाहिए, इसका अहसास देते हुए गणित का सहारा लिया। गणित में एक संख्या मानी जाती है, उसी के आधार पर गणित का उत्तर निकलता है। उसी तरह अध्यक्ष एक पद है, उसे मान देना चाहिए, क्योंकि सत्ता का उत्तर पाने के लिए अध्यक्ष होना जरूरी है, इस कथन से उन्होंने अध्यक्ष की महत्ता बताई।

राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी राजनाथ की इस पीडा का जिक्र अपने भाषण में किया। कार्यकर्ता व नेता प्रशिक्षण की बात उन्होंने इसी संदर्भ में की। इसके साथ साथ पक्ष में अनुशासन होना जरूरी है, यह बात भी दोहराई। (वेबदुनिया न्यूज)

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