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ओम पुरी : विश्व सिनेमा में भारत की पहचान

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समय ताम्रकर

एक-दो हॉलीवुड फिल्म कर ही कलाकार इतराने लगते हैं। उन्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि ओम पुरी ने विश्व सिनेमा के पटल पर दर्जनों फिल्में की। ब्रिटिश, हॉलीवुड, अमेरिकन और पाकिस्तानी फिल्मों में उन्होंने मुख्य भूमिकाएं निभाई।  ईस्ट इज़ ईस्ट, माय सन द फेनेटिक, द घोस्ट एंड द डार्कनेस,  द पैरोल ऑफिसर, द हंड्रेड फुट जर्नी जैसी कई फिल्में उन्होंने की। एक ऐसा इंसान जिसने कोयले बीनने, चाय की दुकान पर गिलास धोने से अपना जिंदगी का सफर शुरू किया, जो अंग्रेजी नहीं समझता था, विश्व स्तरीय फिल्मों का हिस्सा बना, किसी आश्चर्य से कम नहीं है। विश्व सिनेमा में भारत की पहचान को बढ़ाने में ओम पुरी ने अभूतपूर्व योगदान दिया। खुरदरे चेहरे वाले, अंग्रेजी नहीं जानने वाले इस शख्स ने दिखा दिया कि यदि काम करने की लगन हो तो कोई भी बाधा आड़े नहीं आती। 


 
ओम पुरी का जन्म अंबाला में हुआ था। उनकी जन्म तारीख भी किसी को पता नहीं थी। उनकी मां कहा करती थी कि वे दशहरे को दो दिन बाद पैदा हुए थे। उनके चाचा ने उनकी जन्म दिनांक 9 मार्च 1950 लिखवाई थी। बाद में ओम पुरी ने तलाशा कि 1950 में दशहरा कब आया था और इसके दो दिन बाद 18 अक्टूबर की तारीख थी। इसलिए उन्होंने 18 अक्टूबर 1950 को अपनी जन्म दिनांक माना। 
 
अभिनय की ललक लिए वे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहुंच गए। वहां पर नसीरुद्दीन शाह जैसा बेहतरीन दोस्त उन्हें मिला। नसीर ने परख लिया कि उनके साथी ओम पुरी बेहद प्रतिभाशाली है। कदम-कदम पर नसीर ने ओम पुरी की मदद की। दोनों भारतीय फिल्म इतिहास के अद्‍भुत कलाकार रहे, लेकिन कभी आपसी प्रतिद्वंद्विता उनमें देखने को नहीं मिली। साथ में कई फिल्में उन्होंने की और दोनों को साथ में अभिनय करते देखना एक यादगार अनुभव दर्शकों के लिए रहा। 
 
1976 में मराठी फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से ओम पुरी ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया। इसके बाद उन्हें काम मिलना शुरू हो गया। उस दौर में फिल्मों में काम पाने के लिए हैंडसम होना अनिवार्य शर्त हुआ करती थी, लेकिन ओम पुरी ने अपने अभिनय के सौंदर्य से इस बात को झूठला दिया। 1980 प्रदर्शित 'आक्रोश' ने रातों-रात ओम पुरी को वो सफलता दिला दी जिसकी उन्हें तलाश थी। यह एक कला फिल्म थी जिसे व्यावसायिक रूप से भी अच्छी सफलता मिली। 
 
1983 में प्रदर्शित 'अर्द्धसत्य' ओम पुरी के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। इसमें उन्होंने अनंत वेलंकर नामक पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर को किस तरह व्यवस्था से जूझना होता है यह फिल्म में बेहतरीन तरीके से दिखाया गया था। ओम पुरी ने इतना बेहतरीन अभिनय किया कि दर्शक दंग रह गए। 
 
सत्तर और अस्सी के दशक में समानांतर सिनेमा अपने शबाब पर था और ओम पुरी जैसे कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर अवसर मिला। समानांतर फिल्मों का वे अनिवार्य अंग बन गए। सत्यजीत रे, श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, केतन मेहता जैसे कई बेहतरीन निर्देशकों के साथ काम करने का ओम पुरी को अवसर मिला। भूमिका, अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, सद्‍गति, आरोहण, जाने भी दो यारो, गिद्ध, मिर्च मसाला, आघात, तमस, सिटी ऑफ जॉय, द्रोहकाल, वो छोकरी, जैसी कई बेहतरीन फिल्मों का वे हिस्सा रहे। 
 
ओम पुरी का अभिनय हमेशा से विश्वसनीय रहा। जब भी उन्होंने कोई भूमिका निभाई, कभी ऐसा नहीं लगा कि वे अभिनय कर रहे हैं। वे ओम पुरी नहीं बल्कि वो किरदार लगते थे। किरदार को वे आत्मसात कर उसमें रच-बस जाते थे। कहीं कोई कोशिश नहीं नजर आती थी। बहुत ही सहजता के साथ वे अपना काम करते मानो अभिनय करना कितनी आसान बात हो। 
 
एक से बढ़ एक बेहतरीन फिल्में उन्होंने दी। हर फिल्म में उनका अभिनय अनूठा रहा। कभी कोई दोहराव नहीं। उनकी खनकदार आवाज सोने पे सुहागा का काम करती थी। पुणे में अभिनय का पाठ पढ़ते समय ओम पुरी संवाद अदायगी सीखने में रूचि नहीं लेते थे। उन्हें लगता था कि अभिनय सीखने आया हूं, संवाद अदायगी का क्या काम, लेकिन बाद में उन्होंने माना कि संवाद अदायगी अभिनय का महत्वपूर्ण हिस्सा रहती है। 
 
समानांतर सिनेमा के साथ-साथ उन्हें कमर्शियल फिल्मों का हिस्सा बनने में कोई परेशानी नहीं हुई। वे कहा करते थे कि समानांतर सिनेमा से ब्रेड मिलती है, बटर के लिए कमर्शियल सिनेमा करना पड़ता है। कमर्शियल सिनेमा में भी उनकी धाक थी। खलनायकी, हास्य, चरित्र किरदार उन्होंने निभाए। कई बार तथाकथित सितारे ओम पुरी से सामना करने से घबराते थे। कई सितारों को इस बात पर आपत्ति रहती थी कि ओम पुरी को क्यों फिल्म से जोड़ा जा रहा है। उनके सामने तो हम बौने लगेंगे। 
 
हर तरह की फिल्म और किरदार ओम पुरी ने निभाए। कई बार दोस्तों की खातिर फिल्में की। कम पैसे लिए। मुफ्त में भी कर डाली। हमेशा मददगार रहे। अपने अंतिम कुछ वर्षों में वे बेहद भावुक हो गए थे। अपनी पारिवारिक जिंदगी में उठे तूफान ने उन्हें हिला कर रख दिया था। वे इससे उबर नहीं पाए। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो गए। 
 
ओम पुरी भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक थे। उनकी फिल्मोग्राफी पर नजर डाली जाए तो एक से एक नायाब फिल्में उन्होंने की। इस तरह की फिल्मोग्राफी हासिल करना बिरलों का ही काम होता है। भारत के महानतम अभिनेताओं में हमेशा ओम पुरी का नाम रहेगा। 

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