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कैटरीना कैफ : बेस्ट फाइव मूवीज़

हमें फॉलो करें कैटरीना कैफ : बेस्ट फाइव मूवीज़

समय ताम्रकर

2003 में 'बूम' नामक महाघटिया फिल्म से कदम रखने वाली कैटरीना कैफ के बारे में किसी ने सोचा नहीं था कि वे आगे चलकर बॉलीवुड की टॉफ एक्ट्रेस में शुमार हो जाएंगी। सलमान का साथ पाते ही कैटरीना उनकी खूबसूरती की वजह से फिल्में मिलने लगीं। लंबे समय तक कैटरीना महज ग्लैमर गर्ल बन फिल्म की शोभा बढ़ाती रही, लेकिन बाद में उन्होंने कुछ ऐसी फिल्में की जिन्हें देख लगा कि अच्छे रोल और निर्देशक मिले तो वे भी अभिनय करना जानती हैं। 16 जुलाई को कैटरीना का बर्थ डे है, आइए चर्चा करते हैं कैटरीना के पांच बेस्ट परफॉर्मेंसेस की।

न्यूयॉर्क (2009)

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फिल्मों में कदम रखने के छ: वर्ष बाद कैटरीना ने ऐसी कोई फिल्म की जिसमें उनके अभिनय की फिल्म समीक्षकों ने सराहना की हो। 9/11 की पृष्ठभूमि में बनी इस फिल्म में कैटरीना ने माया नामक कॉलेज गोइंग गर्ल की भूमिका निभाई थी, जिसे उसके दो सहपाठी चाहने लगते हैं। रोल कठिन था, लेकिन कैटरीना ने सहजता से इसे निभाया। 'न्यूयॉर्क' के बाद कहा जाने लगा कि इस ग्लैमर गर्ल को एक्टिंग भी आती है। फिल्म का निर्देशन कबीर खान ने किया था, जिन्होंने बाद में कैटरीना को लेकर 'एक था टाइगर' का निर्देशन किया।

राजनीति (2010)

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कैटरीना कैफ को साइन कर प्रकाश झा ने सभी को चौंका दिया। लगा कि झा बाबू जिस तरह की फिल्में बनाते हैं उसमें कैटरीना फिट नहीं होगी। लेकिन प्रकाश झा के निर्देशन में कैटरीना ने बेहद चुनौतीपूर्ण रोल आसानी से निभा दिया। नाना पाटेकर, रणबीर कपूर, अजय देवगन, मनोज बाजपेयी, अर्जुन रामपाल जैसे सशक्त पुरुष कलाकारों के बीच कैटरीना ने अपने अभिनय के दम पर उपस्थिति दर्ज कराई। उनका किरदार सोनिया गांधी से प्रेरित बताया गया, लेकिन रोल के बजाय लुक प्रेरित था। कैटरीना ने ऐसी महिला की भूमिका निभाई जिसे राजनीतिक परिस्थितियों के चलते अपने प्रेमी के बड़े भाई से विवाह रचाना पड़ता है और फिर विधवा हो वह पति की राजनीतिक विरासत संभालती हैं। उन्हें डिग्लैमराइज़ लुक में पेश किया गया, लेकिन उन्होंने अपने अभिनय से चमक बिखेरी।

जिंदगी ना मिलेगी दोबारा (2011)

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एक बार फिर कैटरीना कैफ ने अभिनेताओं की भीड़ में अपना वजूद नहीं खोने दिया। एक बिंदास और अपनी शर्तों पर जीने वाली लड़की का रोल बखूबी निभाया। उनकी दमदार एक्टिंग को फिल्म समीक्षकों ने फिल्म का सरप्राइज माना। इस फिल्म में उनका स्क्रीन प्रजेंस जबरदस्त है और जब-जब वे स्क्रीन पर नहीं दिखती तो उनकी कमी महसूस होती है। उनका रोल ज्यादा लंबा नहीं था और दर्शक कैटरीना की एक्टिंग देख सोचने लगे कि काश उनका रोल और बढ़ाया जाता।

मेरे ब्रदर की दुल्हन (2011)

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इस लव स्टोरी में कैटरीना ने डिम्पल दीक्षित नामक लड़की का रोल निभाया, जिसकी शादी तय हो गई है। शादी के कुछ दिन पहले उसकी मुलाकात दूल्हे के भाई से होती है। दोनों जम कर मस्ती करते हैं और डिम्पल दूल्हे के भाई को दिल दे बैठती है। मौज-मस्ती-नाच-गाने और रोमांस से भरपूर इस फिल्म में कैटरीना ने अपने अभिनय से फिल्म की खूबसूरती को और बढ़ाया। कैटरीना को अपने करियर की बेहतरीन भूमिकाओं में से एक इस फिल्म में मिली, जिसका उन्होंने अच्छा फायदा उठाया है। पूरी फिल्म उनके किरदार के इर्दगिर्द घूमती है। इस फिल्म ने बतौर अभिनेत्री उनके कद को ऊंचा किया।

जब तक है जान (2012)

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कैटरीना कैफ वर्तमान पीढ़ी की उन खुशनसीब नायिकाओं में से हैं जिन्हें यश चोपड़ा के साथ काम करने का अवसर मिला। यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित यह अंतिम फिल्म है। वे अपनी हीरोइनों को स्क्रीन पर बेहद खूबसूरती के साथ पेश करते हैं और कैटरीना को भी उन्होंने उसी खूबसूरती के साथ पेश किया। पहली बार इस फिल्म में कैटरीना ने शाहरुख खान के साथ काम किया। रोमांस में डूबी इस फिल्म में कैटरीना की खूबसूरती और अभिनय दोनों की तारीफ हुई।

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